35.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

West Bengal: दक्षिणेश्वर काली मंदिर में होती है भव्य पूजा, जानें क्या है खास

पश्चिम बंगाल में जितनी धूम दुर्गापूजा की होती है उतनी ही धूम कालीपूजा की भी होती है. दक्षिणेश्वर काली मंदिर में भी कालीपूजा के दौरान मां काली की काफी भव्य तरीकें से पूजा की जाती है.रात के अंतिम पहर में काली पूजा के दिन शुरु होती है मां काली की पूजा.

पश्चिम बंगाल में जितनी धूम दुर्गापूजा की होती है उतनी ही धूम कालीपूजा की भी होती है. बंगाल के विभिन्न जिलों में मां काली की पूजा अर्चना की जाती है. दक्षिणेश्वर काली मंदिर (Dakshineswar Kali Temple) में भी कालीपूजा के दौरान मां काली की काफी भव्य तरीकें से पूजा की जाती है.मां काली की पूजा की शुरुआत सुबह 4 बजे की मंगल आरती से की जाती है और उसके बाद पूजा की अन्य तैयारियां शुरु होती है.गौरतलब है कि दक्षिणेश्वर काली मंदिर पश्चिम बंगाल के कोलकाता के दक्षिणेश्वर में हुगली नदी के किनारे स्थित है. इस मंदिर में मां भवतारिणी की मूर्ति स्थापित है. इन्हें मां काली का रुप माना जाता है. कहा जाता है कि यहां मां के दर्शनमात्र से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामना पूरी हो जाती हैं.

Also Read: West Bengal News: शैलेश पांडेय दो भाईयों के साथ ओड़िशा से गिरफ्तार, गुजरात से पकड़ा गया मददगार
रात के अंतिम पहर में काली पूजा के दिन शुरु होती है मां काली की पूजा

दक्षिणेश्वर काली मंदिर में कालीपूजा के दिन रात के अंतिम प्रहर में मां काली की पूजा शुरु होती है. ऐसी मान्यता है कि जब तक नदी का ज्वार का पानी आकर मंदिर के पास से चला जाता है तब उसके बाद से ही मां काली की पूजा की तैयारियां शुरु की जाती है. कई सार पंडितों के संरक्षण में यह पूजा अर्चना की जाती है.

नारायण शीला के स्नना के बाद शुरु होता है महापूजा 

दक्षिणेश्वर काली मंदिर में काली पूजा के दिन रात के लगभग 10.30 के बाद महापूजा की शुरुआत की जाती है. दक्षिणेश्वर काली मंदिर के सेक्रेटरी कुशल चौधरी ने बताया कि मां काली की पूजा हर रोज ही भव्य तरीकें से की जाती है लेकिन काली पूजा के दिना मां काली की महापूजा का आयोजन किया जाता है. मंदिर के अंदर नारायण शीला को रखा गया है उस नारायण शीला को गंगा में स्नान कराने के बाद महापूजा की शुरुआत की जाती है. चार प्रहर में मां काली की पूजा समाप्त होती है जिसके बाद मंहाआरती की जाती है.

108 दीपकों को जलाकर महाआरती की जाती है

कालीपूजा के दिना 108 दीपकों को जलाकर महाआरती की जाती है और उसके साथ ही पुष्पाजंलि भी होती है. ऐसी मान्यता है कि मां काली के दर्शन करने आने वालों की सभी मनोकामाना पूर्ण होती है.

मां काली को लगाया जाता है 36 व्यंजनों का भोग

कालीपूजा के दौरान मां को 36 तरह के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. यहां पर मां काली को हर रोज ही मछली और भात का भोग लगाया जाता है. लेकिन काली पूजा के दौरान मां को 5 तरह की मछली, 5 तरह का चावल, 5 तरह की सब्जी, खीर, पूड़ी मिठाई के साथ ही घी भात का भाेग लगाया जाता है. मां को बनारसी साड़ी पहनाकर गहनों से सजाया जाता है. कालीपूजा के दिन 24 घंटे ही मां काली की पूजा होती है.

51 शक्तिपीठों से एक है मंदिर

दक्षिणेश्वर काली मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं पर मां की असीम कृपा बनी रहती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े किए थे तो उनके दाएं पैर की कुछ उंगलियां इसी जगह पर गिरी थी.मंदिर में मां काली के अवतार मां भवतारिणी की पूजा की जाती है. 25 एकड़ में फैले इस मंदिर में हर रोज देश भर से हजारों श्रद्धालु आते हैं.

Also Read: West Bengal : काली पूजा, छठ व जगधात्री पूजा के लिए सिटी पुलिस ने गाइडलाइन किया जारी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें