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शेयर बाजार में आधी आबादी का बज रहा डंका, पुरुषों से अधिक कमा रही हैं मुनाफा

Women in Stock Market: महिलाओं की बढ़ती निवेश जागरूकता और सूझबूझ भरा दृष्टिकोण उन्हें शेयर बाजार में सफल बना रहा है. वे शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग से बचते हुए लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट को प्राथमिकता दे रही हैं. आने वाले सालों में महिलाओं की भागीदारी और अधिक बढ़ने की उम्मीद है, जिससे वे वित्तीय रूप से और अधिक सशक्त होंगी.

Women in Stock Market: शेयर बाजार में निवेश को लेकर आम धारणा रही है कि यह पुरुषों का क्षेत्र है, लेकिन हाल के सालों में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है. दिलचस्प बात यह है कि महिलाएं अधिक समझदारी के साथ निवेश कर रही हैं और पुरुषों के मुकाबले में बेहतर रिटर्न हासिल कर रही हैं.

महिला निवेशकों की तेजी से बढ़ती संख्या

शेयर बाजार में डीमैट खातों की संख्या 2021 में 8 करोड़ थी, जो दिसंबर 2024 तक बढ़कर 18.50 करोड़ हो गई. इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी 25% के करीब पहुंच चुकी है. महिलाओं की बढ़ती भागीदारी यह दर्शाती है कि वे अब वित्तीय स्वतंत्रता और निवेश की समझ को प्राथमिकता दे रही हैं.

लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट पर जोर

बाजार विनियामक सेबी की एक रिपोर्ट अनुसार, इंट्राडे ट्रेडिंग में नुकसान उठाने वाले निवेशकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हर 10 में से 7 निवेशकों को इसमें नुकसान होता है. इस क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी 2018-19 में 20% थी, जो 2022-23 में घटकर 16% रह गई. महिलाओं ने शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग से दूरी बनाते हुए म्यूचुअल फंड और एसआईपी जैसे सुरक्षित निवेश विकल्पों को चुना है.

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कम नुकसान

वित्त वर्ष 2022-23 में सालाना 1 करोड़ से अधिक के टर्नओवर वाले पुरुष ट्रेडर्स का औसत नुकसान 38,570 रुपये था, जबकि महिला ट्रेडर्स का औसत नुकसान सिर्फ 22,153 रुपये रहा. घाटे का यह अंतर इस बात का सबूत है कि महिलाएं सोच-समझकर निवेश कर रही हैं और जोखिम प्रबंधन में अधिक कुशल हैं.

म्यूचुअल फंड और एसआईपी में बढ़ता निवेश

महिलाएं शेयर ट्रेडिंग की बजाए म्यूचुअल फंड में अधिक निवेश कर रही हैं. ग्रो की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन सालों में महिला निवेशकों की संख्या 185% तक बढ़ी है. एसआईपी निवेश में भी उनकी 20% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

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टियर-2 और टियर-3 शहरों में महिला निवेशकों की बढ़ती भागीदारी

महिलाओं की निवेश प्रवृत्ति में एक और दिलचस्प पहलू यह है कि टियर-2 और टियर-3 शहरों से आने वाली महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. इससे यह साबित होता है कि निवेश का ज्ञान केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि छोटे शहरों में भी महिलाएं वित्तीय आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं.

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Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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