Budget 2026: यूनियन बजट 2026 को लेकर देश में खास उत्साह है. खासकर युवाओं, निवेशकों और नौकरीपेशा वर्ग के बीच में. भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल 8 प्रतिशत से ज्यादा की रफ्तार से बढ़ रही है और महंगाई भी काबू में है. इसके बावजूद दुनिया भर में चल रहे तनाव और बाजारों की उठापटक लोगों को सोचने पर मजबूर कर रही है. ऐसे में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि विकास को बनाए रखते हुए खर्च और कर्ज पर भी लगाम कैसे रखी जाये.
फिस्कल डेफिसिट कंट्रोल में है तो आगे क्या?
अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच भारत का फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का लगभग 4 प्रतिशत रहा है, जो पूरे साल के तय लक्ष्य 4.4 प्रतिशत से कम है. यह संकेत देता है कि सरकार फिजूलखर्ची से बच रही है. बजट चर्चा में बार-बार Fiscal Responsibility and Budget Management Act का जिक्र आता है, जिसके तहत भविष्य में घाटा और कर्ज दोनों को धीरे-धीरे कम करना है. युवा पीढ़ी के लिए यह जरूरी है, क्योंकि आज लिए गए फैसलों का असर आने वाले सालों की नौकरियों और अवसरों पर पड़ने वाला है.
क्या आपकी जेब और खर्च पर ध्यान रहेगा?
सरकार जानती है कि अगर लोगों की जेब में पैसा रहेगा, तो बाजार चलने वाला है. हाल के समय में इनकम टैक्स और जीएसटी में राहत से खपत बढ़ी है. खाने-पीने की चीजों की कीमतें भी थोड़ी स्थिर हुई हैं. साथ ही, ब्याज दरों में नरमी के संकेत मिल रहे हैं, जो होम लोन और एजुकेशन लोन लेने वालों के लिए राहत की बात है. यह सब मिलकर युवाओं के खर्च और सपनों को सहारा देता है.
मेक इन इंडिया और एमएसएमई को क्या मिलेगा?
बजट 2026 से ‘मेक इन इंडिया’ और ‘विकसित भारत 2047’ जैसे लक्ष्यों को नई दिशा मिलने की उम्मीद है. छोटे और मध्यम उद्योग जो लाखों युवाओं को रोजगार देते हैं, उनके लिए आसान लोन, कम कागजी झंझट और एक्सपोर्ट सपोर्ट अहम होने वाला है. इसके अलावा ऊर्जा सुरक्षा और जरूरी खनिजों पर फोकस भविष्य की टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप्स के लिए रास्ते खोल सकता है.
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