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Success Story: कभी 250 रुपये रोज कमाते थे, अब मुर्गी पालन से गांव में खड़ा किया लाखों का बिजनेस

Success Story: एक समय था जब दीपक मनरेगा में 250 रुपये रोज की मजदूरी करते थे, लेकिन सरकारी योजना के तहत मिली ट्रेनिंग ने उनकी किस्मत बदल दी. अब वही दीपक गांव में पोल्ट्री बिजनेस चलाकर हर महीने 30 से 40 हजार रुपये कमा रहे हैं.

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Success Story: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के दीपक की कहानी न सिर्फ़ प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी बताती है कि अगर कोई व्यक्ति सीखने और मेहनत करने का जज्बा रखता हो, तो सरकारी योजनाएं उसकी जिंदगी बदल सकती हैं. कभी मनरेगा में मजदूरी करने वाले दीपक अब सफल पोल्ट्री व्यवसायी बन चुके हैं और हर महीने अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं.

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘प्रोजेक्ट उन्नति’ एक ऐसी पहल है, जो मनरेगा के तहत काम करने वाले परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तैयार की गई है. इस योजना के तहत उस परिवार के एक सदस्य को, जिसने पिछले वित्तीय वर्ष में 100 दिन का कार्य पूरा किया हो, निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है.

इस योजना का मकसद है कि मनरेगा पर आश्रित परिवारों को स्थायी स्वरोज़गार की ओर बढ़ाया जाए, ताकि वे सिर्फ मजदूरी पर निर्भर न रह जाएं और खुद का व्यवसाय खड़ा कर सकें.

मुर्गी पालन की 10 दिन की ट्रेनिंग बनी टर्निंग पॉइंट

दीपक को जब प्रोजेक्ट उन्नति के तहत मुर्गी पालन की ट्रेनिंग के लिए चुना गया, तो उन्होंने इस मौके को पूरी गंभीरता से लिया. उन्होंने ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरसेटी), बिलासपुर में 10 दिनों की ट्रेनिंग प्राप्त की. इस दौरान उन्हें वैज्ञानिक तरीके से मुर्गी पालन, रोग प्रबंधन, पोषण, टीकाकरण, और बाजार से जुड़ाव की जानकारी दी गई. साथ ही, उन्होंने यह भी सीखा कि व्यवसाय को कैसे शुरू किया जाए और आर्थिक रूप से कैसे स्थिर बनाया जाए.

दस मुर्गियों से हुई शुरुआत

ट्रेनिंग के बाद दीपक ने अपनी बचत और मनरेगा से प्राप्त मजदूरी के पैसों का उपयोग कर 10 मुर्गियों से शुरुआत की. उनकी सोच साफ थी — छोटे स्तर से शुरू करो, लेकिन ईमानदारी और मेहनत से काम करो. उन्होंने धीरे-धीरे अपनी आमदनी बढ़ाई और उसी पैसे से फिर से मुर्गियां खरीदीं. देखते ही देखते, उनका यह छोटा प्रयास एक स्थायी और सफल व्यवसाय का रूप ले चुका था.

एक लाख रुपये में बनाया आधुनिक पोल्ट्री शेड

जब दीपक की आमदनी स्थिर हो गई, तो उन्होंने एक बड़ा कदम उठाते हुए एक लाख रुपये की लागत से एक आधुनिक पोल्ट्री शेड का निर्माण कराया. इस शेड में अब लगभग 450 मुर्गियां हैं. इससे उनकी आमदनी में जबरदस्त उछाल आया और वे हर महीने 30 से 40 हजार रुपये तक की कमाई करने लगे.

दीपक के व्यवसाय से न सिर्फ उनकी जिंदगी बदली है, बल्कि गांव के अन्य लोगों को भी लाभ हो रहा है. अब ग्रामीणों को अंडे और मुर्गियां खरीदने के लिए शहर नहीं जाना पड़ता. वे सीधे दीपक से खरीद लेते हैं, जिससे समय और खर्च दोनों की बचत होती है. इतना ही नहीं, दीपक ने अब अपने फार्म पर कुछ स्थानीय युवाओं को भी काम देना शुरू किया है, जिससे गांव में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए हैं.

विस्तार और ऑनलाइन मार्केटिंग

दीपक अब अपने व्यवसाय को और विस्तार देने की योजना बना रहे हैं. वे अतिरिक्त जमीन पर नया यूनिट खोलने की तैयारी में हैं. इसके साथ ही, वे ऑनलाइन माध्यमों जैसे व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के जरिए ऑर्डर लेने की दिशा में भी काम कर रहे हैं. उनका लक्ष्य है कि गांव में रहकर ही एक ऐसा मॉडल खड़ा करें, जिससे बाहर के लोग भी उनसे प्रेरणा लें.

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