Share Market: गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार ने मजबूती के साथ कारोबार की शुरुआत की. यह तेजी अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखने के फैसले के बाद देखने को मिली.
फेडरल रिजर्व का फैसला और उसके प्रभाव
फेड ने अपनी आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटा दिया, जबकि महंगाई और बेरोजगारी दर का अनुमान बढ़ा दिया. निवेशकों ने इन घटनाक्रमों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी आई.
सेंसेक्स और निफ्टी में उछाल
कारोबार के शुरुआत में सेंसेक्स 381.49 अंकों की बढ़त के साथ 75,830.54 पर खुला, जबकि निफ्टी 118.65 अंकों की तेजी के साथ 23,026.25 पर पहुंच गया. बाजार का रुख सकारात्मक रहा, जहां निफ्टी के 50 में से 41 कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिली, जबकि 9 कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही.
शीर्ष बढ़त और गिरावट वाले शेयर
निफ्टी में बढ़त दर्ज करने वाले प्रमुख शेयरों में विप्रो, इन्फोसिस, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), हीरो मोटोकॉर्प और एचसीएल टेक्नोलॉजीज शामिल रहे. दूसरी ओर, एचडीएफसी लाइफ, अल्ट्राटेक सीमेंट, जेएसडब्ल्यू स्टील, सन फार्मा और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ.
Also Read: जेरोम पॉवेल का दुनिया को तगड़ा झटका, ब्याज दर को स्थिर रखकर दिया 2008 जैसी महामंदी का संकेत
विशेषज्ञ की राय
बैंकिंग और बाजार विशेषज्ञ अजय बग्गा ने कहा, “कल सभी केंद्रीय बैंकों ने बाजार की उम्मीदों के अनुसार कदम उठाए. बैंक ऑफ जापान ने अपने नीतिगत फैसलों में ठहराव रखा, क्योंकि व्यापार नीति में जारी अनिश्चितता उसकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल रही है.” उन्होंने आगे कहा, “बैंक इंडोनेशिया ने रुपये में भारी गिरावट और गिरते उपभोक्ता मांग के कारण अपनी नीतियों में कटौती से परहेज किया. चीन के पीबीओसी ने भी अपनी प्रमुख दरों में कोई बदलाव नहीं किया.”
ब्राजील का अलग रुख
ब्राजील के केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में 100 बेसिस पॉइंट की वृद्धि की, जो लगातार तीसरी बार हुई दर वृद्धि है. यह कदम बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया, जिससे देश की बेंचमार्क सेलक दर 14.25% तक पहुंच गई, जो 2016 के बाद का उच्चतम स्तर है.
अमेरिकी बाजारों का रुख
बग्गा के अनुसार, “अमेरिकी फेडरल रिजर्व के इस फैसले को निवेशकों ने नरम रुख के संकेत के रूप में लिया, जिससे वॉल स्ट्रीट में तेजी आई, बॉन्ड यील्ड में गिरावट आई और अमेरिकी डॉलर मजबूत हुआ. फेड द्वारा QT (मात्रात्मक कसाव) को 25 अरब डॉलर से घटाकर 5 अरब डॉलर प्रति माह करने का फैसला अप्रत्यक्ष रूप से एक नीतिगत राहत के रूप में देखा जा रहा है, जिससे वैश्विक तरलता की स्थिति में सुधार हो सकता है.”
भारतीय बाजारों का प्रदर्शन
भले ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने बिकवाली जारी रखी हो, भारतीय बाजार ने मजबूती दिखाई. निफ्टी 50 के 23,000 अंक को पार करने की उम्मीद है, जिससे बाजार में और तेजी आ सकती है. हालांकि, वैश्विक व्यापार तनाव को लेकर चिंता बनी हुई है, विशेष रूप से 2 अप्रैल से लागू होने वाले पारस्परिक शुल्कों को लेकर.
सोने की कीमतों में उछाल
बढ़ती वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच सोने की कीमतों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. आर्थिक चिंताओं, राजनीतिक अस्थिरता और सुरक्षा जोखिमों के कारण सोने में निवेशकों का रुझान बढ़ा है. बग्गा ने कहा, “सोने में नई ऊंचाइयों का सिलसिला जारी है, क्योंकि आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण इसकी मांग बढ़ी है. भारतीय बाजार ने एफपीआई बिकवाली के बावजूद मजबूती दिखाई है और निफ्टी 50 के 23,000 के स्तर को पार करने की संभावना है, जिससे शॉर्ट पोजीशन का दबाव कम हो सकता है और तेजी और बढ़ सकती है.”
उन्होंने आगे कहा, “बाजार पर सबसे बड़ा दबाव 2 अप्रैल को लागू होने वाले पारस्परिक शुल्कों का है, जो विश्व स्तर पर व्यापार शुल्कों में वृद्धि का कारण बन सकता है और बदले में प्रतिक्रिया चक्र शुरू हो सकता है. इस स्थिति को देखते हुए, भारतीय बाजार को लेकर सतर्क रहना जरूरी है, भले ही हाल ही के दिनों में इसमें सुधार देखा गया हो.”
Also Read: खिलाड़ियों के साथ अंपायरों की भी होती है मोटी कमाई, जानिए कितनी मिलती है IPL में सैलरी
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.