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SBI के ग्राहकों को लगने वाला है बड़ा झटका, 1 दिसंबर से बंद हो जाएगा एमकैश

SBI: एसबीआई ग्राहकों के लिए बड़ा झटका मिलने वाला है, क्योंकि बैंक ने घोषणा की है कि 1 दिसंबर से एमकैश फीचर पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा. इस बदलाव के बाद ग्राहक बिना लाभार्थी पंजीकरण किए मोबाइल नंबर या ईमेल के माध्यम से धनराशि नहीं भेज पाएंगे. एसबीआई ने उपयोगकर्ताओं को यूपीआई, आईएमपीएस, एनईएफटी और आरटीजीएस जैसे सुरक्षित और तेज डिजिटल भुगतान विकल्प अपनाने की सलाह दी है. यह बदलाव ग्राहकों की सुरक्षा और बेहतर डिजिटल अनुभव सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है.

SBI: भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) के ग्राहकों को बड़ा झटका लगने वाला है. इसका कारण यह है कि एसबीआई दिसंबर महीने से अपनी ऑनलाइन सर्विस एमकैश बंद करने जा रहा है. भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने घोषणा की है कि वह इस साल 30 नवंबर के बाद ऑनलाइनएसबीआई और योनो लाइट पर एमकैश भेजने और दावा करने की सुविधा बंद कर देगा. इसका मतलब है कि ग्राहक अब लाभार्थी पंजीकरण के बिना पैसे नहीं भेज पाएंगे या इस सेवा के बंद होने के बाद एमकैश लिंक या ऐप के जरिए धनराशि का दावा नहीं कर पाएंगे.

30 नवंबर के बाद बंद हो जाएगी एमकैश सर्विस

एसबीआई ने अपने ऐलान में कहा है, ”30 नवंबर 2025 के बाद ऑनलाइनएसबीआई और योनो लाइट पर उपलब्ध एमकैश भेजने और दावा करने की सुविधा पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी. यह बदलाव डिजिटल बैंकिंग करने वाले लाखों ग्राहकों को प्रभावित करेगा.”

एमकैश सुविधा क्या है, कैसे करती है काम

एसबीआई की एमकैश सेवा ग्राहकों को लाभार्थी जोड़ने की जरूरत के बिना तत्काल पैसा भेजने की सुविधा देती है. यह उन लोगों के लिए बेहद उपयोगी है, जिन्हें जल्दी पैसे भेजने हों, लेकिन लाभार्थी जोड़ने के लिए प्रतीक्षा नहीं करना चाहते थे. इस सेवा के माध्यम से ग्राहक केवल मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी के आधार पर पैसे भेज सकते थे. दूसरी ओर, प्राप्तकर्ता किसी भी बैंक का ग्राहक हो सकता था और एसबीआई एमकैश मोबाइल ऐप या एसएमएस/ईमेल के माध्यम से भेजे गए सुरक्षित लिंक का उपयोग करके धनराशि का दावा कर सकता था.

कैसे किया जाता है एमकैश के जरिए पैसे का दावा

प्राप्तकर्ता को एक सुरक्षित लिंक भेजा जाता था, जिसमें एक 8 अंकों का पासकोड होता था. इस लिंक के माध्यम से लाभार्थी अपने किसी भी बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर सकता था. एमकैश का इस्तेमाल कई चरणों में किया जाता है.

  • गूगल प्ले स्टोर से एसबीआई एमकैश मोबाइल ऐप डाउनलोड किया जाता है.
  • एमपिन रजिस्ट्रेशन करने के बाद लॉगइन किया जाता है.
  • भेजे गए पासकोड के माध्यम से धनराशि का दावा करना पड़ता है.
  • इसके बाद रकम को मनचाहे बैंक खाते में ट्रांसफर कर सकते हैं.
  • भविष्य में तेज दावों के लिए खाता नंबर और आईएफएससी कोड सुरक्षित रख सकते हैं.

यह सुविधा उन ग्राहकों के लिए बेहद उपयोगी है, जो बिना समय गंवाए फटाफट भुगतान या छोटे लेनदेन करते थे.

क्यों बंद हो रहा है एसबीआई का एमकैश

एसबीआई ने यह सेवा चरणबद्ध तरीके से बंद करने का निर्णय लिया है. बैंक का कहना है कि आज के समय में यूपीआई, आईएमपीएस, एनईएफटी और आरटीजीएस जैसे डिजिटल भुगतान माध्यम अधिक सुरक्षित, तेज और सुविधाजनक हो चुके हैं. इसलिए बैंक ग्राहकों को सलाह दे रहा है कि वे तुरंत यूपीआई (भीम एसबीआई पे), आईएमपीएस, एनईएफटी और आरटीजीएस जैसे विकल्पों का इस्तेमाल करना शुरू कर दें, जो देशभर में व्यापक रूप से स्वीकार किए जाते हैं. बैंक का मानना है कि आधुनिक डिजिटल भुगतान सिस्टम एमकैश की तुलना में अधिक सुरक्षित और स्केलेबल हैं.

30 नवंबर 2025 के बाद क्या बंद हो जाएगा?

एसबीआई की आधिकारिक घोषणा के अनुसार, 30 नवंबर 2025 के बाद एमकैश भेजना, एमकैश लिंक के माध्यम से धनराशि का दावा करना, एमकैश ऐप के जरिए पैसे ट्रांसफर करना आदि बंद हो जाएंगे. इसके बाद ग्राहक बिना लाभार्थी जोड़े तत्काल धनराशि नहीं भेज पाएंगे.

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ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर?

इस बदलाव का सीधा असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा, जो अक्सर एमकैश का इस्तेमाल करके फटाफट लेनदेन करते थे. अब उन्हें लाभार्थी जोड़ना होगा. यूपीआई या आईएमपीएस जैसे विकल्प अपनाने होंगे. तत्काल छोटे भुगतान के लिए यूपीआई प्राथमिक तरीका बन जाएगा. हालांकि एसबीआई का दावा है कि यह बदलाव ग्राहकों की सुरक्षा और सुविधा को बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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