Safran investment in India: फ्रांस की जानी-मानी एयरोस्पेस कंपनी सैफरान ने भारत के साथ अपने रिश्ते को और मजबूत करने की बड़ी घोषणा की है. कंपनी ने साफ कहा है कि अगर भारतीय वायुसेना राफेल लड़ाकू विमानों के लिए और ऑर्डर देती है, तो वह भारत में ही राफेल के इंजन और जरूरी पुर्जों की अंतिम असेंबली लाइन लगा सकती है. यानी राफेल इंजनों का एक बड़ा हिस्सा अब भारत में तैयार हो सकता है. यह फ्रांस के बाहर ऐसा पहला सेटअप होने वाला है.
क्यों बढ़ रहा है भारत में निवेश?
हैदराबाद में सैफरान ने अपने बड़े एमआरओ यानी मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल केंद्र का उद्घाटन भी किया है. यह केंद्र खास तौर पर राफेल के एम88 इंजन की देखभाल के लिए बनाया गया है. लगभग 4 करोड़ यूरो के निवेश से बन रहा यह प्लांट 5,000 वर्ग मीटर में फैला है और पूरी क्षमता पर आने के बाद यहां 150 से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सकता है. इस फैसले से साफ है कि भारत अब सिर्फ लड़ाकू विमान खरीदने वाला देश नहीं, बल्कि एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग का उभरता हुआ हब बन रहा है.
राफेल की भारत में क्या है जरूरत?
भारत के पास अभी 36 राफेल और 47 मिराज-2000 लड़ाकू विमान हैं. हाल ही में नौसेना ने 26 राफेल-एम का नया ऑर्डर भी दिया है. इन विमानों की ताकत और प्रदर्शन ने भारतीय सेना की क्षमता को काफी बढ़ाया है. ऐसे में इंजन सर्विसिंग और पुर्जों की उपलब्धता भारत में ही हो जाए, तो तैयारी और तेज हो सकती है.
भविष्य की बड़ी आर्थिक योजना
सैफरान के सीईओ ओलिवर एंड्रीस का कहना है कि कंपनी 2030 तक भारत से अपनी कमाई को 3 अरब यूरो से ज्यादा तक बढ़ाना चाहती है. इसका मतलब है कि आने वाले समय में भारत में और ज्यादा निवेश, नई सुविधाएं और युवाओं के लिए रोजगार के मौके बनने वाले हैं.
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