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महंगाई को भी पता चल गया आटा-चावल का भाव, अप्रैल में पहुंच गई 6 साल के निचले स्तर पर

Retail Inflation: अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.16% पर पहुंच गई, जो जुलाई 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है. सब्जियों, फलों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट से उपभोक्ताओं को राहत मिली है. आरबीआई का मुद्रास्फीति लक्ष्य पूरा हुआ और ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ गई है. इससे आर्थिक सुधार को बल मिलेगा.

Retail Inflation: सब्जी, फलों और अन्य प्रोटीन-युक्त उत्पादों की कीमतों में नरमी आने की वजह से महंगाई को भी आटा-चावल का भाव पता चल गया. अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई को कीमतों में नरमी आने से 6 साल के निचले स्तर 3.16% पर आना पड़ गया. मंगलवार 13 मई 2025 को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित मुद्रास्फीति 3.16% रही, जो जुलाई, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है. जुलाई, 2019 में यह 3.15% थी.

अप्रैल में खुदरा महंगाई 3.16% पर

सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) घटकर 3.16% पर आ गई है, जो जुलाई 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है. उस समय मुद्रास्फीति दर 3.15% थी. मार्च 2025 में यह दर 3.34% और अप्रैल 2024 में 4.83% थी. महंगाई में इस गिरावट उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है.

खाद्य महंगाई में भारी गिरावट

महंगाई में गिरावट की सबसे बड़ी वजह सब्जियों, फलों और प्रोटीन-युक्त उत्पादों की कीमतों में आई नरमी है.

  • अप्रैल 2025 में खाद्य मुद्रास्फीति मात्र 1.78 % रही.
  • मार्च 2025 में यह 2.69% और अप्रैल 2024 में 8.7% थी.
  • महंगाई घटने से आम आदमी की थाली सस्ती हुई है और रसोई के बजट पर दबाव कम हुआ है.

आरबीआई का टारगेट हासिल

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को सरकार ने 4% (+/-2%) मुद्रास्फीति का लक्ष्य सौंपा है. अप्रैल में महंगाई इस संतोषजनक दायरे में रही है, जिससे वित्तीय स्थिरता को मजबूती मिली है. इसी के चलते आरबीआई पहले ही 0.50% की ब्याज दर कटौती कर चुका है.

वित्त वर्ष 2025-26 में कैसी रहेगी महंगाई?

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया है.

  • पहली तिमाही: 3.6%
  • दूसरी तिमाही: 3.9%
  • तीसरी तिमाही: 3.8%
  • चौथी तिमाही: 4.4%

हालांकि, खाद्य और ईंधन की कीमतों में अचानक बदलाव भविष्य की महंगाई दर को प्रभावित कर सकता है.

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सस्ता हो सकता है लोन

खुदरा महंगाई दर में आई गिरावट आम उपभोक्ता और नीति निर्माता सरकार दोनों के लिए राहत मिली है. अगर यही ट्रेंड बना रहता है, तो आने वाले महीनों में लोन सस्ते होने और बाजार में मांग बढ़ने की पूरी संभावना है. यह आर्थिक सुधार के संकेत हैं, जो देश के विकास के लिए अच्छे माने जा सकते हैं.

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