Repo Rate: देश की मौद्रिक नीति में संभावित नरमी के बीच बैंकिंग सेक्टर की लाभप्रदता को लेकर चर्चाएं तेज हैं. इसी कड़ी में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन सी. एस. शेट्टी ने कहा है कि अगर आने वाली मौद्रिक नीति बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करता है, तब भी बैंक अपने शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) के तीन प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम रहेगा.
नीतिगत दर में मामूली कटौती का सीमित असर
पीटीआई-भाषा से बातचीत में शेट्टी ने कहा कि अगली आरबीआई नीति बैठक में ब्याज दरों को लेकर फैसला चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन बैंक का आकलन है कि अगर कटौती होती है तो वह सिर्फ 0.25 प्रतिशत तक सीमित रहेगी. इतनी छोटी कटौती का बैंक के मार्जिन पर कोई बड़ा नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.
एनआईएम को बनाए रखने के लिए कई रणनीतियां
एसबीआई प्रमुख ने बताया कि बैंक के पास एनआईएम को स्थिर रखने और बढ़ाने के लिए कई आंतरिक उपाय मौजूद हैं. इनमें नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में एक प्रतिशत की कटौती से मिलने वाला पूरा लाभ शामिल है. इसके अलावा पहले उच्च ब्याज दरों पर जुटाई गई सावधि जमाओं (एफडी) का पुनर्मूल्यांकन भी मार्जिन को सहारा देगा. उन्होंने यह भी कहा कि बैंक ने बचत खाते की ब्याज दरों में लगभग 0.2 प्रतिशत की कटौती की है, जिससे फंडिंग लागत में राहत मिलेगी और एनआईएम पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
रेपो से जुड़ी परिसंपत्तियां सीमित
शेट्टी ने स्पष्ट किया कि एसबीआई की कुल परिसंपत्तियों में से केवल करीब 30 प्रतिशत ही रेपो दर से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हैं. ऐसे में आरबीआई द्वारा दरों में कटौती का सीधा प्रभाव पूरे ऋण पोर्टफोलियो पर नहीं पड़ेगा और इसका असर सीमित रहेगा.
वित्त वर्ष के अंत तक मजबूती का भरोसा
एसबीआई के चेयरमैन के मुताबिक, सितंबर तिमाही में बैंक ने अपने एनआईएम को 0.03 प्रतिशत बढ़ाकर 2.93 प्रतिशत तक पहुंचा दिया है. इसी आधार पर बैंक प्रबंधन को भरोसा है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक एनआईएम तीन प्रतिशत से ऊपर बना रहेगा. कुल मिलाकर, संभावित दर कटौती के बीच भी एसबीआई को अपनी परिचालन रणनीतियों, लागत नियंत्रण और संतुलित परिसंपत्ति संरचना के दम पर मुनाफे और मार्जिन को मजबूत बनाए रखने का भरोसा है.
भाषा इनपुट के साथ
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