Rent Rules 2025: भारत में किराएदार और मकान मालिक के बीच संबंधों को नियंत्रित करने के लिए किराया नियंत्रण अधिनियम लागू किया गया है. इसका उद्देश्य किराएदारों को अनुचित निकासी से बचाना, किराया उचित स्तर पर बनाए रखना और दोनों पक्षों के हितों में संतुलन बनाए रखना है. केंद्रीय कानून 1948 में लागू हुआ था, लेकिन प्रत्येक राज्य ने अपने अनुसार नियम विकसित किए हैं, जिससे कुछ नियम संपत्ति के स्थान के अनुसार अलग हो सकते हैं.
किराएदारों के अधिकार
किराया नियंत्रण अधिनियम मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए सुरक्षा प्रदान करता है. किराएदारों को अनुचित निकाले जाने से बचाव, न्यायसंगत किराया सुनिश्चित करना और आवश्यक सेवाओं तक निरंतर पहुंच का अधिकार मिलता है. केवल कानूनी कारण होने पर ही निकाला जा सकता है और अधिकांश राज्यों में इसके लिए अदालत से आदेश लेना आवश्यक है.
मकान मालिक के अधिकार
मकान मालिक को संपत्ति का सुरक्षित उपयोग करने, किराया निर्धारित करने और आवश्यकता पड़ने पर मरम्मत या अल्पकालिक कब्जे का अधिकार होता है. अधिनियम मकान मालिक को उनके निवेश और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है.
आसान किराया और टैक्स नियम
- आसान टैक्स नियम: मकान मालिक और किराएदार दोनों जानते हैं कि कितना टैक्स देना है.
- एक प्रकार का रेंट एग्रीमेंट: लिखित और पंजीकृत अनुबंध, जिससे विवाद कम हों.
- स्पष्ट किराया वृद्धि: किराया केवल साल में एक बार नोटिस के साथ बढ़ सकता है.
- जमा राशि सीमा: सुरक्षा जमा केवल 2 महीने के किराए तक सीमित.
- त्वरित विवाद समाधान: रेंट ट्रिब्यूनल 60 दिनों में विवाद सुलझाएंगे.
- TDS लाभ: ₹6 लाख तक वार्षिक किराया आय पर TDS नहीं लगेगा.
भारत में किसी भी आवासीय या वाणिज्यिक संपत्ति को किराए पर लेने या देने के लिए लिखित अनुबंध अनिवार्य है. अनुबंध दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित और दिनांकित होना चाहिए, स्टाम्प पेपर पर तैयार होना चाहिए और यदि अवधि 11 महीने से अधिक हो तो पंजीकरण आवश्यक है. बिना वैध अनुबंध के मकान मालिक और किराएदार के अधिकार कानूनी रूप से सुरक्षित नहीं होते.
अधिनियम कब लागू नहीं होता
किराया नियंत्रण अधिनियम उन संपत्तियों पर लागू नहीं होता जो किसी निजी या सार्वजनिक कंपनी को, जिनकी पूंजी ₹1 करोड़ या उससे अधिक है, दी गई हों. इसके अलावा, PSU, बैंक, राज्य या केंद्रीय अधिनियम के तहत निगम या विदेशी कंपनियों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को दी गई संपत्तियों पर भी यह लागू नहीं होता.
दस्तावेज और कॉन्ट्रैक्ट की वैधता
वाणिज्यिक रेंटल अनुबंध के लिए पैन कार्ड, सरकारी पहचान, पासपोर्ट, व्यवसाय प्रमाण, स्टाम्प पेपर पर अनुबंध, कंपनी के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ रखना अनिवार्य है. सभी पक्षों को अनुबंध की प्रति दी जानी चाहिए और उन्हें इसे पढ़ने और समझने का समय दिया जाना चाहिए.
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