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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष गुणों वाली 35 फसलों की किस्में राष्ट्र को समर्पित करेंगे

प्रधानमंत्री कृषि विश्वविद्यालयों को ग्रीन कैंपस अवॉर्ड भी वितरित करेंगे. साथ ही उन किसानों के साथ बातचीत भी करेंगे, जो नवीन तरीकों का उपयोग करते हैं.

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्लाइमेट चेंज से निबटने के लिए दुनिया भर के देशों से अपील करते रहते हैं. भारत में जलवायु के अनुकूल प्रौद्योगिकी को अपनाने के प्रति जागरूकता फैलाते रहते हैं. इन्हीं कोशिशों के तहत मंगलवार (28 सितंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 11 बजे विशेष गुणों वाली 35 फसलों की किस्में राष्ट्र को समर्पित करेंगे.

प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, पीएम नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये तमाम आईसीएआर संस्थानों, राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान रायपुर का नवनिर्मित परिसर भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे.

इतना ही नहीं, इस अवसर पर प्रधानमंत्री कृषि विश्वविद्यालयों को ग्रीन कैंपस अवॉर्ड भी वितरित करेंगे. साथ ही उन किसानों के साथ बातचीत भी करेंगे, जो नवीन तरीकों का उपयोग करते हैं. समारोह में उपस्थित लोगों को पीएम मोदी भी संबोधित करेंगे. समारोह में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी मौजूद रहेंगे.

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दोहरी चुनौतियों से निबटेंगी ये फसलें

जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की दोहरी चुनौतियों से निबटने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विशेष लक्षणों वाली फसल की किस्में विकसित की गयी हैं. जलवायु को लेकर लचीलापन और ऊंची पोषक तत्व सामग्री जैसे विशेष गुणों वाली 35 ऐसी फसलों की किस्मों को वर्ष 2021 में विकसित किया गया है.

इनमें सूखे को बर्दाश्त करने वाली चने की किस्म, विल्ट और स्टरिलिटी मोजैक प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में और गेहूं, बाजरा, मक्का, चना, क्विनोआ, कुटु, विंगड बीन और फाबा बीन की बायोफोर्टिफाइड किस्में शामिल हैं.

इन विशेष लक्षणों वाली फसल की किस्मों में वे फसलें भी शामिल हैं, जो कुछ फसलों में पाये जाने वाले ऐसे पोषण-विरोधी कारकों को हल करती हैं, जो मानव और पशु स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं. ऐसी किस्मों के उदाहरणों में पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 33, पहला कैनोला क्वालिटी हाइब्रिड आरसीएच1 जिसमें 2% से कम इरुसिक एसिड और 30 पीपीएम से कम ग्लूकोसाइनोलेट्स है.

एक सोयाबीन की किस्म भी शामिल है, जो दो पोषण-विरोधी कारकों से मुक्त है. इन्हें कुनिट्ज ट्रिप्सिन इनहिबिटर और लिपोक्सीजनेस कहते हैं. सोयाबीन, ज्वार, और बेबी कॉर्न सहित अन्य में विशेष गुणों वाली किस्में विकसित की गयी हैं.

राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान

रायपुर में राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान की स्थापना जैविक तनाव में बुनियादी और रणनीतिक अनुसंधान करने, मानव संसाधन विकसित करने और नीतिगत सहायता प्रदान करने के लिए की गयी है. इस संस्थान ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 से पीजी कोर्स शुरू कर दिये हैं.

ग्रीन कैंपस पुरस्कार

ग्रीन कैंपस पुरस्कारों की शुरुआत की गयी है, ताकि राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों को ऐसी आदतें विकसित करने या अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके, जो उनके परिसरों को ज्यादा हरा-भरा और स्वच्छ बनाये. छात्रों को ‘स्वच्छ भारत मिशन’, ‘वेस्ट टू वेल्थ मिशन’ में शामिल होने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के मुताबिक सामुदायिक जुड़ाव के लिए प्रेरित करे.

Posted By: Mithilesh Jha

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