Pension Scheme: केंद्र सरकार में कार्यरत 30 लाख से अधिक कर्मचारियों में पेंशन को लेकर फिर से बहस तेज हो गई है. सरकार की ओर से NPS ऑप्ट करने वाले कर्मियों को UPS में शामिल होने के विकल्प के लिए 30 जून तक का समय दिया गया है. केंद्र सरकार के 30 लाख कर्मचारियों में से 30,000 कर्मचारी भी UPS नहीं अपनाना चाहते हैं, बल्कि पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को वापस लाने के लिए कर्मचारी संगठनों में हलचल तेज हो गई है.
क्या है NPS और UPS
वर्तमान में केंद्र सरकार के अधीन आने वाले ज्यादातर कर्मचारी नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के तहत आते हैं, जो वर्ष 2004 से लागू की गई थी. इस स्कीम में पेंशन तय नहीं होती, बल्कि कर्मचारी और सरकार दोनों का योगदान एक फंड में जाता है, जिसे शेयर बाजार और अन्य साधनों में निवेश किया जाता है. वहीं यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सरकार द्वारा समर्थित पेंशन योजना है जो कर्मचारियों के लिए बाजार से जुड़ी NPS (एनपीएस) की जगह एक स्पेसिफिक पेंशन भुगतान की गारंटी देती है.
पुरानी पेंशन योजना वापस लाने की हुई मांग
केंद्र सरकार में पुरानी पेंशन योजना (OPS) को वापस लाने को लेकर एक बार फिर कर्मचारी संगठनों में हलचल तेज हो गई है. इसका कारण है कि सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के तहत आने वाले कर्मचारियों को 30 जून 2025 तक “यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)” में शामिल होने का विकल्प दिया है, लेकिन अब तक इसमें अपेक्षित रुचि देखने को नहीं मिली है.
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UPS में शामिल न होने कि क्या है वजह
डॉ मंजीत सिंह पटेल, नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत के अध्यक्ष के अनुसार, यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का सबसे अहम पहलू यह है कि पेंशन लाभ इस बात पर निर्भर करता है कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी कितने साल जीवित रहता है. यदि कोई कर्मचारी 30-35 साल की सेवा के बाद रिटायर होकर UPS से अंशदान निकाल लेता है, तो उसे औसत अंतिम वेतन का केवल 30% पेंशन मिलेगी, जबकि पत्नी को मृत्यु की स्थिति में महज 18%. ऐसे में NPS जितनी पेंशन पाने के लिए रिटायर व्यक्ति को कम से कम 16 साल तक जीवित रहना जरूरी होगा.
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