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Old vs New Pension Scheme: क्या नयी पेंशन स्कीम पुरानी से है बेहतर ? जानें

अगर आप एक सरकारी कर्मचारी हैं तो आपके दिमाग में एक बात तो आती ही होगी. क्या नया पेंशन स्कीम पुराने स्कीम से बेहतर है या फिर मामला इसके बिलकुल विपरीत है. चलिए जानते हैं विस्तार से.

Old Pension Scheme vs New Pension Scheme: कोई भी सरकारी कर्मचारी जब रिटायर होता है तो उसे सरकार के तरफ से पेंशन दिया जाता है. कुछ ही सालों पहले सरकार ने पेंशन स्कीम में बदलाव किये थे. अगर आप एक सरकारी कर्मचारी हैं तो आपके दिमाग में एक सवाल जरूर आता होगा. क्या नया पेंशन स्कीम पुराने पेंशन स्कीम से बेहतर है? या फिर मामला ठीक इसके विपरीत है. अगर आपके दिमाग में भी ऐसे सवाल आते हैं तो तो इस स्टोरी तो अंत तक पढ़ें. आज हम आपको इससे जुड़ी सभी बातें बताने वाले हैं.

पुराने पेंशन योजना में क्या था खास?

पुराने पेंशन योजना के तहत 1 जनवरी 2004 से पहले कार्यबल में शामिल होने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों के पेंशन भुगतान का प्रबंधन पुरानी पेंशन योजना के तहत किया जाता है. इस योजना में पेंशन भुगतान करने के लिए एक फार्मूला भी तैयार किया गया है. फॉर्मूला के तहत अंतिम आहरित मूल वेतन का 50 प्रतिशत सेवानिवृत्ति पर महंगाई भत्ता या पिछले दस महीनों की सेवा में अर्जित औसत परिलब्धियां, जो भी कर्मचारियों के लिए फायदेमंद हो. कर्मचारी को कम से कम दस साल की सर्विस देने की जरुरत थी.

पुराने पेंशन योजना के बारे में EPFO के केंद्रीय न्यासी बोर्ड के पूर्व सदस्य Birjesh Upadhyay कहते हैं- महंगाई भत्ता मुद्रास्फीति से जुड़ा हुआ है और इसलिए बढ़ सकता है. इसलिए, सरकार के लिए पेंशन देनदारियां बढ़ती रहेंगी. इसके अलावा फाइनेंशियल एडवाइजरी फर्म, फिनफिक्स रिसर्च एंड एनालिटिक्स (Finfix Research & Analytics) के संस्थापक प्रबलीन बाजपेयी कहते हैं- इसके अलावा, मृतक पेंशनभोगियों के परिवार के सदस्यों को पारिवारिक पेंशन का भुगतान किया जाता है. उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि- पुराने पेंशन योजना के और भी कई फायदे थे. जैसे कि- कर्मचारियों को ओपीएस के तहत पेंशन के लिए योगदान नहीं करना था. हालांकि, उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि अभी भी सरकार फंड में योगदान दे रही है. इससे पहले, नियोक्ता का योगदान छिपा हुआ था.

नये पेंशन योजना को क्यों शुरू किया गया? 

केंद्र ने अपने कर्मचारियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) के लिए नई या राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की शुरुआत की, जो 1 जनवरी 2004 के बाद कार्यबल में शामिल हुए. इसके बाद, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल को छोड़कर अधिकांश राज्य सरकारें भी नई व्यवस्था में बदल गई. नयी पेंशन योजना के बारे में बताते हुए लैडर 7 फाइनेंशियल एडवाइजरी (Ladder7 Financial Advisories) के संस्थापक सुरेश सदगोपन ने बताया- विभिन्न सरकारों की बढ़ती पेंशन देनदारियों के कारण बदलाव की आवश्यकता थी. ओपीएस सरकारी खजाने के लिए संभव नहीं था और इसे फिर से लागू करने के लिए वापस जाना विनाशकारी होगा. स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के एक रिपोर्ट के मुताबिक ओपीएस, या पे-एज़-यू-गो-स्कीम, केवल एक गैर-वित्तपोषित पेंशन योजना है, जहां वर्तमान राजस्व निधि पेंशन लाभ देता है.

अब कोई भी सरकारी कर्मचारी सेवानिवृत्ति के समय, कर-मुक्त एकमुश्त के रूप में कुल राशि का 60 प्रतिशत तक निकाल सकते हैं, जबकि शेष 40 प्रतिशत को अनिवार्य रूप से वार्षिकी में परिवर्तित किया जाना है, जो जीवन भर के लिए पेंशन आय उत्पन्न करेगा. ओपीएस के विपरीत एनपीएस एक निश्चित भुगतान की गारंटी देता है, एनपीएस बाजार संचालित है. लंबी अवधि में इक्विटी बाजार में तेजी, एनपीएस के पक्ष में है, लेकिन अल्पकालिक अस्थिरता की संभावना है. एनपीएस के एक सेवानिवृत्ति वाहन होने के दीर्घकालिक स्वरूप को देखते हुए, यह कर्मचारी के पक्ष में काम करता है और नियोक्ता (राज्य सरकारों) को सुनिश्चित भुगतान के बोझ से भी राहत देता है.

कई राज्य पुराने पेंशन योजना को वापस लाने की कर रहे तैयारी 

बता दें हाल ही में, पंजाब सरकार ने कहा कि वह अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना, या ओपीएस को वापस लाने पर विचार कर रही है. यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो पंजाब राजस्थान और छत्तीसगढ़ के बाद ओपीएस में वापस आने वाला तीसरा राज्य होगा. एक्सपर्ट्स की मानें तो यह सरकारी खजाने की देनदारियों और करदाताओं के बोझ को जोड़ देगा. कुछ कर्मचारी संघ नेशनल पेंशन योजना (एनपीएस) से वापस पुराने पेंशन योजना में जाने के पक्ष में भी हैं.

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