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न्यू लेबर कोड से 75,000 करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगी खपत, संगठित क्षेत्र 15% बढ़ेगी कामगारों की संख्या

New Labour Code: नई श्रम संहिताओं के लागू होने से भारत की खपत में 75,000 करोड़ रुपये तक बढ़ोतरी और संगठित क्षेत्र में 15% तक रोजगार वृद्धि की उम्मीद है. एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, हर व्यक्ति प्रतिदिन 66 रुपये अतिरिक्त खर्च कर सकेगा, जिससे मांग और बाजार गतिविधि मजबूत होगी. नई संहिताएं सामाजिक सुरक्षा कवरेज को 85% तक बढ़ा सकती हैं और मध्यम अवधि में बेरोजगारी दर में 1.3% की कमी संभव है. यह बदलाव श्रमिकों और कंपनियों दोनों के लिए लाभकारी होंगे.

New Labour Code: नई श्रम संहिताएं लागू हो जाने से भारत में खपत और रोजगार में बढ़ोतरी होने के आसार अधिक हैं. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नई श्रम संहिताएं के लागू होने से देश के आर्थिक ढांचे पर बड़ा सकारात्मक असर पड़ेगा. नई श्रम संहिताएं 21 नवंबर से लागू हो चुकी हैं और इसके प्रभाव आने वाले महीनों में स्पष्ट दिखेंगे.

खपत में होगा 75,000 करोड़ रुपये का इजाफा

एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, नए लेबर कोड से देशभर में 75,000 करोड़ रुपये तक अतिरिक्त खपत पैदा होगी. रिपोर्ट कहती है कि राष्ट्रीय बचत दर लगभग 30% है. श्रम संहिताओं के बाद प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन 66 रुपये अतिरिक्त खर्च करने में सक्षम होगा. यह बढ़ी हुई खर्च करने की क्षमता अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त मांग पैदा करेगी, जिसके चलते ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बाजार को मजबूती मिलेगी.

सामाजिक सुरक्षा कवरेज 85% तक पहुंचने की संभावना

रिपोर्ट में कहा गया है कि नई श्रम संहिताएं व्यापक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली को मजबूती देंगी. भारत में असंगठित क्षेत्र में लगभग 44 करोड़ लोग कार्यरत हैं. इनमें से 31 करोड़ ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि यदि इनमें से 20% लोग भी असंगठित वेतन प्रणाली से संगठित व्यवस्था में आ जाते हैं, तो लगभग 10 करोड़ लोगों को सीधे लाभ होगा. इसके साथ ही अगले दो–तीन वर्षों में देश में सामाजिक सुरक्षा कवरेज 80–85% तक पहुंच सकता है.

संगठित रोजगार में 15% की बढ़ोतरी

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, नए लेबर कोड के लागू होने से औपचारिक रोजगार में 15.1% तक की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. इसका कारण बेहतर कार्य परिस्थितियां, न्यूनतम वेतन का सरलीकरण और कंपनियों के लिए अनुपालन प्रणाली का सरलीकरण है.

अधिक पारदर्शी लेबर मैनेजमेंट

रिपोर्ट यह भी कहती है कि बेरोजगारी दर में कमी की गति राज्यों की पूरक नीतियों, कंपनियों की अनुकूलन लागत और सुधारों को अपनाने की गति पर निर्भर करेगी. मध्यम अवधि में बेरोजगारी दर 1.3 प्रतिशत तक घटने की संभावना दर्ज की गई है.

कंपनियों और श्रमिकों के लिए फायदेमंद

नई श्रम संहिताओं का उद्देश्य सुरक्षित, आधुनिक और दक्ष कार्यबल तैयार करना है. यह कंपनियों के लिए अनुपालन में आसानी, लचीली भर्ती व्यवस्था और उत्पादकता में वृद्धि की क्षमता रखती है. वहीं, श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का विस्तार, वेतन और कार्य-घंटों में स्पष्टता और स्वास्थ्य, बीमा और पेंशन की बेहतर पहुंच बनाएगी. इन सुधारों से भारत का श्रम बाजार अधिक प्रतिस्पर्धी और निवेश के अनुकूल बनेगा.

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अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव

नई श्रम संहिताओं से भारत की अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. खपत में भारी वृद्धि, संगठित रोजगार में बढ़ोतरी और सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क का विस्तार ये सभी संकेत देते हैं कि आने वाले वर्षों में श्रम सुधार अर्थव्यवस्था को नई गति दे सकते हैं.

भाषा इनपुट के साथ

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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