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ट्रेड एग्रीमेंट से शराब कारोबारियों में हड़कंप, सता रहा नुकसान का खौफ

Trade Agreement: भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत के बीच शराब कारोबारियों में हड़कंप मच गया है. सीआईएबीसी ने चेतावनी दी है कि अगर शराब पर आयात शुल्क में कटौती हुई, तो घरेलू ब्रांड को भारी नुकसान होगा. यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया से सस्ती शराब के आयात से भारतीय बाजार पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे स्थानीय उद्योग को खतरा है.

Trade Agreement: भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत चल रही बातचीत से देश के शराब बनाने वाले कारोबारियों और कंपनियों में हड़कंप मचा हुआ है. उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि अगर इस व्यापार समझौते की बातचीत में शराब पर आयात शुल्क में कटौती पर सहमति बन गई, तो स्थानीय शराब निर्माता कंपनियों को भारी नुकसान होगा. शराब बनाने वाली कंपनियों के संगठन सीआईएबीसी ने शुक्रवार को कहा कि भविष्य में होने वाले व्यापार समझौतों में आयात शुल्क में कटौती से घरेलू शराब निर्माता कंपनियों को नुकसान हो सकता है. इसका कारण यूरोपीय यूनियन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयातित शराब पर रियायती शुल्क से भारतीय बाजार में इनकी सप्लाई बढ़ सकती है.

न्यूनतम आयात मूल्य व्यवस्था लागू करने का सुझाव

सीआईएबीसी (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज) ने सरकार को कम लागत और कम गुणवत्ता वाली बोतलबंद स्पिरिट, थोक और बोतलबंद शराब के आयात को रोकने के लिए न्यूनतम आयात मूल्य व्यवस्था लागू करने का भी सुझाव दिया. संगठन ने कहा कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत स्कॉच व्हिस्की पर शुल्क में कटौती से घरेलू प्रीमियम श्रेणी के व्हिस्की ब्रांड पर असर पड़ सकता है, क्योंकि इससे कम कीमत वाली स्कॉच व्हिस्की का आयात बढ़ने के आसार हैं. भारत समझौते के तहत ब्रिटेन की व्हिस्की और जिन पर शुल्क को 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत करेगा तथा समझौते के 10वें वर्ष में इसे और घटाकर 40 प्रतिशत कर देगा.

घरेलू शराब के ब्रांड पर पड़ेगा दबाव

सीआईएबीसी के महानिदेशक अनंत एस. अय्यर ने कहा, ‘‘यदि यूरोपीय संघ, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे शराब उत्पादक देशों के साथ भविष्य के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत वाइन सहित अन्य स्पिरिट पर भी इसी प्रकार की शुल्क रियायतें दी जाती हैं, तो इससे भारतीय बाजार में शराब के आयात के लिए रास्ता खुल जाएगा और घरेलू स्तर पर उत्पादित गुणवत्तायुक्त शराब के ब्रांड पर अनुचित दबाव पड़ सकता है.’’ भारत, अभी तक ब्रिटिश शराब पर कोई शुल्क रियायत नहीं दे रहा है तथा दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते के तहत ब्रिटेन की बीयर पर केवल सीमित आयात शुल्क लाभ दे रहा है.

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ऑस्ट्रेलिया को 2022 से शुल्क में रियायत

भारत ने व्यापार समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को शराब पर शुल्क रियायत दी जो 29 दिसंबर 2022 को लागू है. उस सौदे में प्रीमियम आयातित वाइन पर शुल्क 150 प्रतिशत से घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया था. शराब बनाने वाले प्रमुख राज्यों में महाराष्ट्र और कर्नाटक शामिल हैं.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
Deputy Chief Content Writer in Prabhat Khabar Digital With Experience of More than 24 Years in Print and Digital Media. One Book Published on 300 years hindi Journalism in Rajasthan Book Named Naye aayam ki khoj : Rajasthan Patrkarita.

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