India Russia Trade: भारत और रूस के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों के बीच वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसमें संतुलन लाने और भारत के निर्यात को सशक्त बनाने की अभी भी बड़ी गुंजाइश मौजूद है. गोयल ने फिक्की की ओर से आयोजित भारत-रूस व्यापार मंच की बैठक में स्पष्ट कहा कि व्यापार 70 अरब डॉलर तक पहुंचने के बावजूद भारत को अपने निर्यात में और विविधता लाने की जरूरत है.
भारत के निर्यात के लिए उभरते अवसर
उन्होंने कहा कि भारत के उद्योगों के पास रूस में उत्पाद भेजने के लिए कई बड़े अवसर हैं. उपभोक्ता वस्तुएं, खाद्य उत्पाद, मोटर वाहन, ट्रैक्टर, भारी वाणिज्यिक वाहन और स्मार्टफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स ऐसे सेक्टर हैं, जहां भारत अपने निर्यात को बड़े पैमाने पर बढ़ा सकता है. इसके अलावा, औद्योगिक कल-पुर्जे और वस्त्र भी रूस में मजबूत संभावनाओं वाले क्षेत्र माने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक भारत इन क्षेत्रों में अपनी हिस्सेदारी नहीं बढ़ाएगा, तब तक व्यापार असंतुलन को कम करना मुश्किल होगा.
59 अरब डॉलर का व्यापार घाटा चिंता का कारण
आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में भारत ने रूस को 4.9 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया, जबकि रूस से आयात 63.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया. इससे कुल व्यापार घाटा करीब 59 अरब डॉलर का रहा, जो भारत की निर्यात क्षमता और बाजार विविधीकरण की आवश्यकता को दर्शाता है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बढ़ते आयात के बीच संतुलन तभी संभव है, जब भारत रूस को अधिक प्रतिस्पर्धी और विविध उत्पादों की निर्यात आपूर्ति कर सके. दोनों देशों ने वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके लिए भारत के निर्यात को बढ़ाना अनिवार्य होगा.
सेवा क्षेत्र में भी भारत के पास बड़ी संभावनाएं
पीयूष गोयल ने बैठक में यह भी रेखांकित किया कि भारत सिर्फ वस्तुओं में ही नहीं, बल्कि सेवा क्षेत्र में भी रूस को बड़ी पेशकश कर सकता है. भारत की आईटी सेवाएं, फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग रूस के लिए मजबूत समाधान साबित हो सकते हैं.
रूस की मांग, भारत बढ़ाए हिस्सेदारी
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ मैक्सिम ओरेश्किन ने कहा कि रूस के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी अभी दो प्रतिशत से भी कम है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कृषि, औषधि, दूरसंचार उपकरण, औद्योगिक कल-पुर्जे और मानव संसाधन जैसे क्षेत्रों में भारत की आपूर्ति बढ़ाने से व्यापार अधिक संतुलित हो सकता है.
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प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि रूस को भारत का निर्यात बढ़ाने के लिए व्यापार प्रक्रियाओं को सरल और सुगम बनाना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि भारतीय व्यवसायों को रूसी बाजार तक निर्बाध पहुंच दिलाना ही व्यापार संतुलन को सुधारने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम होगा.
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