16.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

भारत की सख्ती के बाद अमेरिका का छलका दर्द, हाथ जोड़कर लोट रहे टैरिफ पर टरटराने वाले ट्रंप के मंत्री

India America Relationship: भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ा, जब ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% तक का टैरिफ लगाया. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने भारत की कृषि और तेल नीतियों की आलोचना की, जबकि भारत ने किसानों और ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता दी. रूस से सस्ते तेल आयात पर भारत अड़ा रहा. रक्षा और प्रौद्योगिकी साझेदारी बरकरार है, लेकिन व्यापारिक मतभेद भविष्य में और गहराने के आसार हैं. इस टकराव से दोनों देशों के रिश्तों में सहयोग और टकराव का मिश्रण झलकता है.

India America Relationship: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारी-भरकम टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. अमेरिका ने भारत पर 50% तक का भारी-भरकम टैरिफ लगाया है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से लेकर उनके वरिष्ठ मंत्री बार-बार भारत पर आरोप लगाते रहे हैं कि नई दिल्ली अपने बाजार को विदेशी वस्तुओं के लिए पर्याप्त रूप से नहीं खोलता. ट्रंप के टैरिफ पर भारत की सख्ती के बाद अमेरिका का असली दर्द छलकने लगा है. अब टैरिफ पर टरटराने वाले ट्रंप के वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक भारत के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा रहे हैं और साक्षात्कारों के जरिए बयान दे रहे हैं कि भारत हमसे मक्के की एक बोरी भी नहीं खरीदता, जबकि वह हमारे यहां अपना सामान बेचता है.

भारत हमारी चीजें नहीं खरीदता: लुटनिक

‘एक्सियोस’ को दिए एक इंटरव्यू में डोनाल्ड ट्रंप के मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि भारत अपनी 140 करोड़ आबादी पर गर्व तो करता है, लेकिन जब अमेरिकी कृषि उत्पादों की बात आती है, तो वह आयात में बहुत ही सीमित रुख अपनाता है. लुटनिक ने नाराजगी जताते हुए कहा, “भारत कहता है कि उसकी आबादी 140 करोड़ है, लेकिन वह हमसे एक बुशल (लगभग 25 किलो) मक्का तक नहीं खरीदता. वह हर वस्तु पर टैरिफ लगा देता है.” लुटनिक के अनुसार, अगर यह रवैया जारी रहा तो अमेरिका जैसे बड़े निर्यातक देश के लिए भारत के साथ व्यापार करना बेहद कठिन हो जाएगा.

संरक्षणवाद पर अमेरिका की चिंता

अमेरिकी मंत्री लुटनिक ने भारत के संरक्षणवादी रुख की आलोचना करते हुए कहा कि यह वैश्विक व्यापार के संतुलन के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि अमेरिका खुले बाजार की अर्थव्यवस्था में विश्वास करता है और भारतीय सामान बड़े पैमाने पर आयात करता है. इसके विपरीत जब अमेरिकी उत्पादों को भारतीय बाजार में प्रवेश चाहिए होता है, तो उन पर ऊंचे शुल्क और पाबंदियां लगा दी जाती हैं. लुटनिक ने इसे “अनुचित” करार दिया और कहा कि इससे अमेरिकी व्यवसायी निराश हैं.

रूसी तेल पर भारत की मजबूती

लुटनिक ने अपने बयान में भारत के रूस से रियायती दरों पर कच्चा तेल आयात करने के मुद्दे को भी उठाया. पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन भारत ने सस्ते तेल का लाभ उठाना जारी रखा है. लुटनिक ने कहा कि भारत की यह नीति वैश्विक व्यापार कूटनीति में असंतुलन पैदा करती है. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि विकासशील अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत को सस्ती ऊर्जा की आवश्यकता है.

रणनीतिक साझेदारी फिर भी कायम

बढ़ते मतभेदों के बावजूद अमेरिका और भारत रक्षा, प्रौद्योगिकी और निवेश जैसे क्षेत्रों में मजबूत रणनीतिक साझेदार बने हुए हैं. लुटनिक ने यह स्पष्ट किया कि वॉशिंगटन भारत से रिश्ते कमजोर नहीं करेगा, लेकिन कृषि शुल्क और तेल आयात जैसे मुद्दों पर अड़चनें बनी रहेंगी. इससे साफ है कि दोनों देशों के रिश्ते में सहयोग और टकराव का मिश्रित स्वरूप जारी रहेगा.

अमेरिकी राजदूत नामित का बयान

पिछले सप्ताह अमेरिका में भारत के लिए राजदूत पद के लिए नामित सर्जियो गोर ने सीनेट की विदेश संबंध समिति को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत अहम चरण में पहुंच चुकी है. गोर ने भरोसा दिलाया कि यह समझौता अब बहुत दूर नहीं है. साथ ही, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के प्रतिनिधिमंडल को अगले सप्ताह अमेरिका आने का न्योता भी दिया है.

किसानों और नागरिकों का हित पहले: भारत

भारत ने अमेरिकी दबाव के बावजूद अपने हितों को प्राथमिकता देने की नीति पर जोर दिया है. नई दिल्ली ने साफ कहा है कि रूस से कच्चे तेल की खरीद पर वह समझौता नहीं करेगा, क्योंकि इससे देश की ऊर्जा जरूरतें पूरी होती हैं. इसी तरह, डेयरी और कृषि क्षेत्र को अमेरिका के लिए खोलने से भारत ने साफ इनकार कर दिया है. भारतीय सरकार का मानना है कि यदि ऐसा किया गया तो लाखों किसानों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी.

अमेरिका की क्या है मंशा

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव ने यह साफ कर दिया है कि दोनों देश अपनी-अपनी प्राथमिकताओं से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. अमेरिका चाहता है कि भारत अपने बाजार को अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए खोले, जबकि भारत अपने किसानों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा पर अड़ा हुआ है. वहीं, रूस से सस्ते तेल की खरीद भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अहम है, जिसे लेकर अमेरिका असहज है. हालांकि, रणनीतिक साझेदारी और रक्षा-प्रौद्योगिकी सहयोग से दोनों देशों के रिश्ते कायम हैं, लेकिन व्यापारिक मतभेद भविष्य में और गहराने की संभावना रखते हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel