Income Tax Notice: आयकर विभाग ने उन करदाताओं पर नजर कड़ी कर दी है, जिन्होंने मूल्यांकन वर्ष 2025–26 के लिए दायर आयकर रिटर्न (आईटीआर) में अपनी विदेशी परिसंपत्तियों (फॉरेन एसेट्स) का ब्योरा नहीं दिया है. विभाग का कहना है कि ऐसे मामलों को ‘उच्च-जोखिम’ कैटेगरी में चिह्नित किया गया है और जल्द ही नोटिस भेजे जाएंगे.
28 नवंबर से शुरू होगी नोटिस भेजने की प्रक्रिया
आयकर विभाग ने स्पष्ट किया कि 28 नवंबर से करदाताओं के पंजीकृत मोबाइल नंबर और ईमेल पर संदेश भेजे जाएंगे. ऐसे मामलों में करदाताओं को 31 दिसंबर 2025 तक संशोधित रिटर्न (रिवाइज्ड आईटीआर) भरने की सलाह दी जाएगी, ताकि वे दंडात्मक कार्रवाई से बच सकें. आयकर विभाग का यह कदम अनुपालन बढ़ाने और विदेशी आय के पारदर्शी रिकॉर्ड सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है.
पिछले अभियान का बड़ा असर
आयकर विभाग ने पिछले वर्ष भी इसी तरह का अभियान चलाया था. स्वचालित सूचना आदान-प्रदान (एईओआई) के तहत विदेशी क्षेत्राधिकारों से मिले डाटा के आधार पर विभाग ने सैकड़ों करदाताओं की पहचान की थी, जिन्होंने विदेशी निवेश या खातों की जानकारी आईटीआर में नहीं दी थी.
इस अभियान के परिणामस्वरूप 24,678 करदाताओं ने अपना आईटीआर संशोधित किया, 29,208 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्तियों का खुलासा हुआ और 1,089.88 करोड़ रुपये की विदेशी आय सामने आई. यह आंकड़े बताते हैं कि अभियान बेहद सफल रहा और अब सरकार इसे और सख्त करने के लिए फिर से सक्रिय हुई है.
नई तकनीक से मिल रहा है विस्तृत विदेशी डेटा
भारत सरकार को विदेशी परिसंपत्तियों का डाटा कॉमन रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड (सीआरएस) और एफएटीसीए (फॉरेन अकाउंट टैक्स कम्प्लायंस एक्ट) जैसे अंतरराष्ट्रीय सिस्टम के जरिये मिलता है. ये जानकारियां बैंक खातों, निवेश, विदेशी फंडों, बीमा पॉलिसियों और अन्य वित्तीय संपत्तियों के बारे में होती हैं, जिससे विभाग को आईटीआर में छुपाई गई जानकारी का पता चलता है. प्राप्त डेटा को मिलान कर विभाग उन मामलों की पहचान करता है, जहां व्यक्ति के पास विदेशी संपत्ति है. लेकिन, आईटीआर में उसका उल्लेख नहीं है.
आईटीआर में खुलासा करने पर कड़ी कार्रवाई
विदेशी परिसंपत्तियों और विदेशी स्रोत से आय का सही विवरण देना आयकर अधिनियम, 1961 और कालाधन कानून, 2015 के तहत कानूनी रूप से जरूरी है. जानकारी छुपाने पर भारी जुर्माना, टैक्स डिमांड ब्याज और गंभीर मामलों में अभियोजन जैसी सख्त कार्रवाई भी हो सकती है.
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समय रहते करें खुलासा
आयकर विभाग ने साफ किया है कि इस अभियान का उद्देश्य करदाताओं को दंड देना नहीं, बल्कि उन्हें सही अनुपालन की ओर प्रोत्साहित करना है. इसलिए जिन भी करदाताओं को नोटिस मिलें, वे अपने विदेशी निवेश और संपत्तियों की सही जानकारी देते हुए समय पर संशोधित आईटीआर भरें, ताकि किसी भी प्रकार की कानूनी परेशानी से बचा जा सके.
भाषा इनपुट के साथ
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