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Success Story: गुवाहाटी की महिला ने आर्ट ज्वेलरी बेचकर कर ली 2 करोड़ की कमाई, अब दांत काट रहे लोग

Success Story: गुवाहाटी की दीक्षा सिंघी ने सिर्फ 5,000 रुपये से आर्ट ज्वेलरी बेचकर 2 करोड़ रुपये की कमाई का सफल बिजनेस खड़ा किया. उनकी ब्रांड ए लिटिल एक्स्ट्रा आज देशभर में लोकप्रिय है और 75,000 से अधिक ग्राहकों को सर्विस दे चुकी है. बोल्ड, कॉन्सेप्ट-बेस्ड और अफोर्डेबल ज्वेलरी डिजाइन ने उन्हें बाजार में अलग पहचान दी. सोशल मीडिया, कारीगरों का सहयोग और निरंतर मेहनत ने उनके स्टार्टअप को बड़ी सफलता दिलाई.

Success Story: सजना-संवरना और सजने-संवरने के लिए ज्वेलरी खरीदना भारतीय महिलाओं का सबसे बड़ा शौक है. लेकिन, क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि कोई महिला भारतीय महिलाओं के इसी शौक को आधार बनाकर लाखों रुपये की कमाई कर सकती हो? आपको यह यकीन ही नहीं होगा. लेकिन, यह हकीकत है जनाब! असम के कामरूप जिले के गुवाहाटी शहर की रहने वाली एक महिला ने आर्ट ज्वेलरी बेचकर करीब 2 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है. अब आप कहेंगे कि इस महिला का नाम क्या है? इस महिला का नाम दीक्षा सिंघी है और इसकी कंपनी का नाम ए लिटिल एक्स्ट्रा है. आइए, जानते हैं कि ए लिटिल एक्स्ट्रा के फाउंडर दीक्षा सिंघी ने आर्ट ज्वेलरी से इतनी बड़ी रकम की कमाई कैसे की.

दीक्षा सिंघी का विजन

ए लिटिल एक्स्ट्रा की फाउंडर दीक्षा सिंघी मानती हैं कि ज्वेलरी केवल सजने-संवरने का साधन नहीं, बल्कि वह कला, कहानी और पर्सनैलिटी का प्रतीक है. उनका विजन था कि हर ग्राहक अपनी कलाई, उंगलियों और गर्दन पर अपनी पहचान पहन सके. यही सोच उन्हें कॉन्सेप्ट-बेस्ड, बोल्ड और चंकी ज्वेलरी बनाने की ओर ले गई.

स्टार्टअप की शुरुआत

स्टार्टअप पीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ए लिटिल एक्स्ट्रा स्टार्टअप की शुरुआत साल 2020 में देश की राजधानी दिल्ली में हुई. ए लिटिल एक्स्ट्रा कोई साधारण फैशन ज्वेलरी ब्रांड नहीं, बल्कि एक अफोर्डेबल कॉन्सेप्ट ज्वेलरी कंपनी है, जो रिंग्स, कफ, ब्रेसलेट्स, इयररिंग्स, नेकपीस, हेयर एक्सेसरीज और बहुत कुछ बनाती है. अब तक यह 75,000 से ज्यादा ग्राहकों को सर्विस दे चुकी है.

गुवाहाटी की रहने वाली हैं दीक्षा सिंघी

रिपोर्ट में कहा गया है कि दीक्षा सिंघी मूल रूप से गुवाहाटी की रहने वाली हैं. उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएट लेवल की पढ़ाई की है. कॉलेज के अंतिम साल में ही उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें खुद का कुछ शुरू करना है.

डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी से फैशन ज्वेलरी तक का सफर

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 में दीक्षा सिंघी ने अपनी डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी शुरू की और कई बड़े ब्रांड्स के साथ काम किया, जिनमें शुरुआती दौर का मामाअर्थ भी शामिल था. साल 2019 तक वह एजेंसी बढ़ाती रहीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें प्रोडक्ट-ओरिएंटेड बिजनेस में दिलचस्पी होने लगी. कोविड-19 के दौरान गुवाहाटी लौटने के बाद उन्होंने अपने लिए नए अवसर तलाशने शुरू किए. पहले उन्होंने कपड़ों की लाइन शुरू की, लेकिन कुछ समय बाद उसे बंद कर दिया. फिर उन्होंने सोचा, “मैं लंबे समय तक क्या कर सकती हूं?” जब जवाब में ज्वेलरी मिला, तो उन्होंने गहराई से रिसर्च शुरू की. उन्हें बाजार में एक खाली जगह दिखी और वह बोल्ड, यूनिक, कॉन्सेप्ट-बेस्ड फैशन ज्वेलरी का अभाव था.

दीक्षा सिंघी ने सिर्फ 5,000 रुपये से की शुरुआत

फिर क्या था. उन्हें रास्ता मिल गया था. उन्होंने केवल 5,000 रुपये की लागत से एक कारीगर को रंगीन, हाथ से बने टेराकोटा इयररिंग्स का छोटा बैच बनवाया और इंस्टाग्राम पर डाल दिया. कुछ ही दिनों में 30–40 ऑर्डर मिले और पूरा बैच बिक गया. दीक्षा बताती हैं, “पहले बैच से मैंने 15,000 रुपये कमाए. तब से मैंने कभी अपनी जेब से पैसा नहीं लगाया. पूरा बिजनेस खुद ही बढ़ता गया.” यह सफलता 2020 में ए लिटिल एक्स्ट्रा की आधिकारिक शुरुआत बन गई.

ज्वेलरी पोर्टफोलियो का विस्तार

पहले सफल बैच के बाद दीक्षा सिंघी ने फैब्रिक, ऑक्सिडाइज्ड ज्वेलरी और कई क्रिएटिव वैरायटीज पर एक्सपेरिमेंट करना शुरू किया. धीरे-धीरे उन्होंने नेकपीस, रिंग्स, ब्रेसलेट और इयररिंग्स सहित एक बड़ा पोर्टफोलियो तैयार किया. सही वेंडर और कारीगर खोजने में उन्हें सात महीने लगे. आज भी उनका पहला वेंडर उनके साथ काम करता है. देशभर के कई कारीगर अब ए लिटिल एक्स्ट्रा को डिजाइन और आर्टवर्क उपलब्ध कराते हैं.

ब्रांड बिल्डिंग

दीक्षा सिंघी ने ए लिटिल एक्स्ट्रा का लोगो खुद कैनवा पर डिजाइन किया. शुरू में नोट्स लिखना, ज्वेलरी को लिफाफे में सजाना जैसी पैकेजिंग उनकी बहन करती थीं. बाद में जब उनके दुर्गा इयररिंग्स वायरल हुए, तब उन्होंने 5,000 कस्टम बॉक्स बनवाए. उस समय प्रति बॉक्स लागत सिर्फ 12 रुपये थी. डिलीवरी के लिए ब्रांड पहले डेल्हिवरी पर निर्भर था, लेकिन बढ़ती डिमांड के साथ ब्लूडार्ट और शैडोफैक्स भी जुड़ गए.

बड़ी चुनौतियां और बिजनेस की जिम्मेदारियां

दीक्षा सिंघी कहती हैं, ‘भागदौड़ या देर रात तक काम करना उन्हें कभी चुनौती नहीं लगा1 लेकिन] असली चुनौती सही टीम हायर करना, उसे बनाए रखना, सही मैन्युफैक्चरर्स ढूंढना और कस्टमर सैटिस्फैक्शन बढ़ाना थी. ब्रांड के बढ़ने के साथ ये जिम्मेदारियां और भी महत्वपूर्ण हो गईं.

ए लिटिल एक्स्ट्रा क्यों है इतना खास?

ए लिटिल एक्स्ट्रा आर्ट ज्वेलरी में बेहद खास ब्रांड है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बोल्ड और यूनिक डिजाइन, कॉन्सेप्ट-बेस्ड ज्वेलरी, अफोर्डेबल रेंज, कारीगरों को सीधे काम देना और मजबूत सोशल मीडिया प्रेजेंस है. इन सब वजहों से यह ब्रांड आज 2 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री कर चुका है.

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पैशन और लगातार मेहनत की मिसाल

दीक्षा सिंघी की सफलता की कहानी साबित करती है कि सही आइडिया, निरंतर मेहनत और सोशल मीडिया के स्मार्ट इस्तेमाल से एक साधारण शुरुआत करोड़ों का बिजनेस बन सकती है. महज 5,000 रुपये से शुरू हुई यह यात्रा अब हजारों कस्टमर्स और करोड़ों की कमाई तक पहुंच चुकी है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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