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Oppo, Vivo और Mi को सरकार ने जारी किया नोटिस, ये है मामला

Oppo, Vivo और Mi एक बार फिर से सरकार के स्कैनर में आ चुकी है. इन तीनों ही कंपनी पर टैक्स चोरी का आरोप है. इन तीनों ही कंपनियों को सरकार की तरफ से नोटिस भी जारी किया गया है.

Oppo, Vivo and Mi Under Govt. Scanner: टैक्स चोरी के मामलों में चाइनीज स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां एक बार फिर भारतीय एजेंसियों के निशाने पर आ गए हैं. इस मामले में सरकार ने Oppo, Vivo और Xiaomi को नोटिस भी जारी कर दिया है. इस बात की जानकारी फाइनेंस मिनिस्टर Nirmala Sitaraman ने राज्य सभा में दी. स्मार्टफोन मार्केट में Oppo, Vivo और Xiaomi के काफी बड़ी मात्रा में शेयर मौजूद है. वित्त मंत्री ने कहा कि राजस्व आसूचना विभाग ने विपक्ष को कुल 4389 करोड़ रुपये सीमा शुल्क का नोटिस जारी किया है. यह इस आधार पर है कि कुछ सामानों की गलत घोषणा से सीमा शुल्क में कम भुगतान होता है. उन्होंने यह भी कहा कि कर चोर लगभग ₹ 2,981 करोड़ रुपये है.

Xiaomi के बारे में फाइनेंस मिनिस्टर ने क्या कहा

अन्य फर्मों के बारे में, फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि Xiaomi एक अन्य मोबाइल कंपनी है जो असेंबल किए गए MI मोबाइल फोन से संबंधित है. वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि “उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं और उन पर लगभग 653 करोड़ रुपये का शुल्क बकाया है. इन तीनों की कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं.

Vivo ने जमा किये केवल 60 करोड़ रुपये

तीसरी फर्म Vivo इंडिया है, जिसके लिए ₹ 2,217 करोड़ का डिमांड नोटिस भी जारी किया गया है, जिसके लिए उन्होंने 60 करोड़ स्वैच्छिक जमा के रूप में जमा किए हैं, Nirmala Sitaraman ने सदन को सूचित किया. इनके अलावा, ईडी उन 18 कंपनियों को देख रहा है जो Vivo ग्रुप द्वारा स्थापित की गई थीं और वहां उन्होंने स्वेच्छा से 62 करोड़ जमा के रूप में प्रेषित किए हैं, लेकिन भारत के बाहर मूल कंपनी की कुल बिक्री 1.25 लाख करोड़ है.

हो रही मामले की जांच

इन तीनों ही कंपनियों पर टैक्स चोरी की जांच करने का जिम्मा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग और राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) सहित विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों को सौंपा गया है. रिपोर्ट्स की मानें तो ये फर्म भारत में अपनी मूल कंपनियों से अलग संस्थाओं के रूप में पंजीकृत थीं, लेकिन वे चीन से निर्देश ले रही थीं और पर्याप्त मात्रा में धन को वापस पड़ोसी देश में भेज रही थीं. आपको बता दें कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में कथित चीनी संबंधों वाली फर्मों के खिलाफ 700 से अधिक मामले दर्ज किए थे.

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