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डीजल-पेट्रोल, LPG के बाद अब चिकन, दूध, फल और सब्जियों के भी बढ़ेंगे दाम! रिपोर्ट में बतायी गयी यह वजह

नयी दिल्ली : पेट्रोल-डीजल (diesel petrol) और एलपीजी (LPG) की बढ़ती कीमतों से परेशान आम लोगों को आने वाले समय में खाद्य पदार्थों पर भी महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है. फलों, सब्जियों, चिकन और दूध की कीमतों में वृद्धि होने की उम्मीद में भारत की खाद्य मुद्रास्फीति आने वाले महीनों में बढ़ने की संभावना है. खराब आपूर्ति को सामानों की कीमतों में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. कहा जा रहा है कि कोरोना संकट के दौरान लॉकडाउन के बाद से किसानों ने उत्पाद घटा दिये हैं.

नयी दिल्ली : पेट्रोल-डीजल (diesel petrol) और एलपीजी (LPG) की बढ़ती कीमतों से परेशान आम लोगों को आने वाले समय में खाद्य पदार्थों पर भी महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है. फलों, सब्जियों, चिकन और दूध की कीमतों में वृद्धि होने की उम्मीद में भारत की खाद्य मुद्रास्फीति आने वाले महीनों में बढ़ने की संभावना है. खराब आपूर्ति को सामानों की कीमतों में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. कहा जा रहा है कि कोरोना संकट के दौरान लॉकडाउन के बाद से किसानों ने उत्पाद घटा दिये हैं.

चिकन और अंडों की कीमतों में भी पिछले कुछ महीनों में महंगाई की मार देखने को मिली. कोरोना संकट के समय तो पोल्ट्री उद्योग औंधे मुंह गिरा था. किसानों के डर का एक कारण यह भी है कि बड़े थोक मांगकर्ताओं की दुकानें लॉकडाउन के दौरान बंद रही और किसानों के उत्पादों की मांग काफी अल्प रही. होटल, रेस्त्रां आदि के बंद रहने से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा.

हालांकि अनलॉक के दौरान इन सभी को खोलने की इजाजत जरूर मिल गयी, लेकिन किसान अभी भी बाजार की मांग को समझ नहीं पा रहे हैं और सावधानी बरतने की फिराक में हैं. खाद्य पदार्थों की कीमतों में हुई बेतहारा बढ़ोतरी अभी भी बरकरार है. आलू, प्याज के साथ-साथ सरसो तेल और अन्य खाने वाले तेलों की कीमतों में अब भी कोई गिरावट नजर नहीं आ रही है.

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गोदरेज एग्रोवेट के प्रबंध निदेशक बलराम यादव ने ब्लूमबर्ग को बताया कि बाजार में आपूर्ति की कमी है क्योंकि किसानों ने भविष्य की संभावनाओं पर चिंता के बीच उत्पादों पर निवेश नहीं बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि फलों और सब्जियों की कीमत अल्पावधि में बढ़ सकती है, लेकिन अगले 6-8 महीनों में सामान्य होने की संभावना है. जैसा कि आर्थिक गतिविधि फिर से शुरू हुई और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार हुआ.

यादव ने कहा कि जनवरी-मार्च की अनुमानित कीमतों के मुकाबले अगले छह से आठ महीनों में चिकन की कीमतों में 18-20 फीसदी का उछाल देखने को मिल सकता है. जबकि अंडे की कीमतों में 7-8 फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा सकती है. उन्होंने कहा कि देश के 25 मिलियन किसान पोल्ट्री फार्मिंग से जुड़े हैं और 5 मिलियन लोगों को रोजगार उपलब्ध कराते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 95 बिलियन अंडों के सालाना उत्पादन के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अंडा उत्पादक देश है.

Posted By: Amlesh Nandan.

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