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Aadhaar Rules Change: 31 दिसंबर की आधी रात के बाद बदल जाएगा आपका आधार, नियमों में होगा बड़ा बदलाव

Aadhaar Rules Change: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) 31 दिसंबर 2025 की आधी रात के बाद से आधार से जुड़े कई बड़े नियमों में बदलाव करने जा रहा है. उसने 1 दिसंबर 2025 से नया आधार कार्ड के डिजाइन को लागू कर दिया है, जिसमें सिर्फ फोटो और क्यूआर कोड होगा. फिजिकल फोटोकॉपी की जगह डिजिटल वेरिफिकेशन, फेस ऑथेंटिकेशन को कानूनी मान्यता और आधार–पैन लिंकिंग की अंतिम डेडलाइन तय की गई है. समय पर अपडेट न करने पर टैक्स और फाइनेंशियल सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं.

Aadhaar Rules Change: नए साल 2026 से ठीक पहले आधार से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव लागू होने जा रहे हैं. दिसंबर 2025 में यूआईडीएआई का फोकस डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने और आधार डेटा के दुरुपयोग को रोकने पर है. इसी कड़ी में आधार कार्ड के डिज़ाइन से लेकर वेरिफिकेशन प्रक्रिया और पैन लिंकिंग तक कई अहम बदलाव किए जा रहे हैं, जिनका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा.

आधार कार्ड का नया डिजाइन

डिजिटल फ्रॉड और डेटा लीक की घटनाओं को देखते हुए यूआईडीएआई ने आधार के नये डिजाइन को 1 दिसंबर 2025 से लागू कर दिया है. इस नए कार्ड में केवल आपकी फोटो और एक सुरक्षित क्यूआर कोड होगा. यूआईडीएआई ने इस अपडेट कराने की आखिरी तारीख 14 जून 2026 निर्धारित किया है. इस नए आधार कार्ड में न तो आपका नाम छपा होगा और न ही आधार नंबर ही दिखाई देगा. इसका उद्देश्य साफ है कि अगर कार्ड की फोटोकॉपी गलत हाथों में भी चली जाए, तो उसका दुरुपयोग न हो सके. हालांकि, मौजूदा आधार कार्ड पूरी तरह से मान्य रहेंगे.

फोटोकॉपी के इस्तेमाल पर ब्रेक

यूआईडीएआई के नए नियमों के तहत फिजिकल आधार कॉपी देने को हतोत्साहित किया जाएगा. अब पहचान सत्यापन के लिए क्यूआर कोड स्कैन, ऑफलाइन आधार एक्सएमएल और मास्क्ड आधार पर ज्यादा जोर दिया जाएगा. यूआईडीएआई का मानना है कि फोटोकॉपी के जरिए सबसे ज्यादा डेटा लीक होता है. इसलिए, डिजिटल वेरिफिकेशन को प्राथमिक विकल्प बनाया जा रहा है.

फेस ऑथेंटिकेशन को कानूनी मान्यता

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट के तहत फेस ऑथेंटिकेशन को औपचारिक कानूनी मान्यता दी जा रही है. अब सुरक्षित डिजिटल पहचान के लिए फेस रिकग्निशन को वैध तरीका माना जाएगा, जिससे बैंकिंग, सरकारी योजनाओं और अन्य सेवाओं में आधार वेरिफिकेशन और सुरक्षित हो सकेगा.

आधार–पैन लिंकिंग की डेडलाइन

31 दिसंबर, 2025 आधार–पैन लिंकिंग की अंतिम तारीख है. अगर इस तारीख तक पैन को आधार से लिंक नहीं किया गया, तो 1 जनवरी 2026 से वह पैन निष्क्रिय हो जाएगा. इसका असर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने, रिफंड पाने और अन्य फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन पर पड़ेगा. यानी बिना लिंक किए पैन के कई काम अटक सकते हैं.

10 साल पुराने आधार को अपडेट करना जरूरी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन आधार कार्डों को बने 10 साल से ज्यादा हो चुके हैं, उन्हें लगातार वैधता के लिए डेमोग्राफिक अपडेट की जरूरत होगी. नाम, जन्मतिथि और पता जैसी जानकारी अपडेट रखने से न सिर्फ आपका आधार एक्टिव रहेगा, बल्कि वेरिफिकेशन में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी.

आपको अभी क्या करना चाहिए

अगर आपने अब तक आधार–पैन लिंक नहीं किया है, तो 31 दिसंबर, 2025 से पहले यह काम जरूर पूरा करें. वेरिफिकेशन के लिए डिजिटल या मास्क्ड आधार का इस्तेमाल करें और अनावश्यक रूप से फिजिकल कॉपी देने से बचें. साथ ही, अगर आपका आधार बहुत पुराना है, तो यूआईडीएआई की सिफारिश के अनुसार जानकारी अपडेट करवा लें.

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आपकी पहचान होगी ज्यादा सुरक्षित

कुल मिलाकर, आधार नियमों में यह बदलाव आपकी पहचान को ज्यादा सुरक्षित और डिजिटल बनाने की दिशा में बड़ा कदम है. थोड़ी सी सावधानी और समय पर अपडेट आपको भविष्य की फाइनेंशियल और कानूनी परेशानियों से बचा सकता है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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