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‘रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में 0.75 प्रतिशत की कटौती करे, लाभ ग्राहकों को मिले यह भी सुनिश्चित हो”

नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक को ऋण की वृद्धि सुस्त रहने और कमजोर मांग के बीच ब्याज दरों में 0.5 से 0.75 प्रतिशत की कटौती की जाए. साथ ही बैंकों से इसका लाभ ग्राहकों को स्थानांतरित करने को भी कहा जाए क्‍योंकि नोटबंदी की वजह से उन्‍हें ‘अप्रत्याशित लाभ’ हुआ है. एक उद्योग संगठन ने […]

नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक को ऋण की वृद्धि सुस्त रहने और कमजोर मांग के बीच ब्याज दरों में 0.5 से 0.75 प्रतिशत की कटौती की जाए. साथ ही बैंकों से इसका लाभ ग्राहकों को स्थानांतरित करने को भी कहा जाए क्‍योंकि नोटबंदी की वजह से उन्‍हें ‘अप्रत्याशित लाभ’ हुआ है. एक उद्योग संगठन ने आज यह बात कही.

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की अगली बैठक 7-8 फरवरी को होने जा रही है. उद्योग मंडल एसोचैम ने केंद्र और वित्त मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ब्याज दरों में कटौती का लाभ उचित तरीके से स्थानांतरित हो.

एसोचैम ने कहा कि उद्योग ब्याज दरों में 0.50 से 0.75 प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर रहा है और बैंकों को इसका पूरा लाभ उपभोक्ताओं को स्थानांतरित करना चाहिए. उद्योग मंडल ने कहा कि नोटबंदी की वजह से बैंकों को चालू खाते-बचत खाते (कासा) में सस्ते कोष के रूप में अप्रत्याशित लाभ हुआ है.

कासा की दर सिर्फ तीन से चार प्रतिशत है और ऋण की आधार दर करीब दो अंकीय है. ऐसे में बैंक निचली दरों का लाभ ग्राहकों को स्थानांतरित कर सकते हैं. एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोडिया ने कहा कि बैंकों के बहुलांश स्वामित्व और नियामक के रूप में सरकार और रिजर्व बैंक के पास बैंकों को यह सलाह देने की भूमिका है वे ब्याज दरों में कटौती के लाभ को आगे स्थानांतरित करें.

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