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कल से 1000 व 500 के पुराने नोट पकड़े जाने पर 10,000 रुपये जुर्माना, जेल नहीं

नयी दिल्ली : सरकार ने चलन से बाहर किए जा चुके पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को किसी व्यक्ति द्वारा 10 से ज्यादा संख्या में रखे जाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है और इस पर न्यूनतम 10,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान किया है पर हालांकि इसमें चार साल जेल की सजा के […]

नयी दिल्ली : सरकार ने चलन से बाहर किए जा चुके पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों को किसी व्यक्ति द्वारा 10 से ज्यादा संख्या में रखे जाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है और इस पर न्यूनतम 10,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान किया है पर हालांकि इसमें चार साल जेल की सजा के प्रस्ताव को छोड़ दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कल मंत्रिमंडल की बैठक में विनिर्दिष्ट नोट (दायित्व का समापन) अध्यादेश-2016 को मंजूरी प्रदान की गयी थी. इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति ऐसे पुराने नोटों को 10 से ज्यादा संख्या में नहीं रख सकता है. केवल शोधार्थियों और विद्वानों को ऐसे 25 नोट रखने की अनुमति इस अध्यादेश में दी गयी है.

शीर्ष सूत्रों के अनुसार इस अध्यादेश को जल्द ही राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और यह 31 दिसंबर से प्रभावी होगा. इस अध्यादेश को लाने का सरकार का मकसद 31 मार्च के 1000 और 500 रुपये के बंद किये जा चुके पुराने नोट रखने को एक दंडनीय अपराध बनाना है. इसके लिए सरकार ने न्यूनतम 10,000 रुपये या पायी गयी राशि का पांच गुना जो भी ज्यादा हो जुर्माना तय किया है.

सरकार ने स्पष्ट किया कि गलत जानकारी के साथ एक जनवरी से 31 मार्च के बीच पुराने नोट जमा कराने पर 5,000 रुपये या राशि का पांच गुना जो भी ज्यादा हो, जुर्माना वसूला जायेगा. इसके लिए विशेष खिड़कियां खोली जाएंगी जिस पर सिर्फ नोटों को बदला जा सकेगा.इस अध्यादेश में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन का प्रावधान है ताकि नोटबंदी को कानूनी जामा पहनाया जा सके. इससे समय के अंदर नहीं बदले गये प्रतिबंधित नोटों को लेकर केंद्रीय बैंक की देनदारी भी खत्म हो जाएगी. सरकार ने पुराने नोटों को बदलने के लिए जनता को 50 दिन का वक्त दिया था जिसकी मियाद कल समाप्त हो रही है.

गौरतलब है कि सरकार ने आठ नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से 1000 और 500 रुपये के पुराने नोटों की कानूनी मान्यता रद्द कर दी थी. इसके लिए जारी की गयी अधिसूचना इन नोटों को लेकर केंद्रीय बैंक और सरकार के दायित्व को समाप्त करने के लिए काफी नहीं थी जिसके चलते यह अध्यादेश लाया गया है. साथ ही इससे सरकार को भविष्य में किसी तरह के विवाद से बचने में भी मदद मिलेगी.

नोट पर केंद्रीय बैंक की ओर से धारक को कीमत अदा करने का वादा अंकित होता है. इस दायित्व को केवल कानूनी तौर पर ही खत्म किया जा सकता है और इससे पहले हर किसी को पुराने नोट बदलने का अवसर देना पड़ता है. सूत्रों ने बताया कि चार साल कारागार की सजा के प्रावधान को अनुमति प्रदान नहीं की गयी है.सरकार को इस अध्यादेश को छह महीनों के भीतर संसद से पास कराना होगा तभी यह पूर्ण तौर पर कानून बन पाएगा. इस अध्यादेश से अब बंद हो चुके 500 और 1000 रुपये के नोटों के रूप में दस हजार रुपये से ज्यादा रखने, लेनदेन करने और ग्रहण करना दंडनीय अपराध हो जाएगा.

सूत्रों के अनुसार 31 मार्च तक रिजर्व बैंक के काउंटरों पर अब इन नोटों को कड़े प्रावधानों के तहत ही बदला जा सकेगा. यह सुविधा विदेश में रह रहे लोगों, सुदूरतम इलाकों में तैनात सशस्त्र बलों के जवानों और वैध कारण देने वाले लोगों को ही मिलेगी.वर्ष 1978 में तत्कालीन मोरारजी देसाई की सरकार भी इसी तरह का अध्यादेश लायी थी जब उसने 1,000, 5,000 और 10,000 रुपये को नोटों को चलन से बाहर किया था.

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