मुंबई : सोने की वैश्विक मांग 2016 की दूसरी तिमाही के दौरान मुख्य तौर पर निवेश की मांग के कारण 15 प्रतिशत बढकर 1,050 टन रही. यह बात विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने अपनी ताजा रपट में कही. डब्ल्यूजीसी स्वर्ण मांग रझान के मुताबिक 2016 की दूसरी तिमाही के दौरान सोने की कुल मांग पिछले साल की इसी तिमाही में 910 टन थी. डब्ल्यूजीसी ने अपनी रपट में कहा कि निवेश मांग बढकर 448 टन रही क्योंकि निवेशकों ने जोखिम विविधीकरण और निरंतर राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक अस्थिरता के मद्देनजर सुरक्षित निवेश का विकल्प चुना. एक्सचेंज ट्रेडेट फंड (ईटीएफ) का प्रदर्शन अप्रैल-जून की अवधि में 237 टन रहा जबकि सोने की छड तथा सिक्कों की मांग अमेरिका समेत विभिन्न बाजारों में 101 प्रतिशत बढकर 25 टन रही.
रपट के मुताबिक, ‘इस तिमाही की मांग में बढोतरी का अर्थ है कि 2016 की पहली छमाही में सोने की मांग रिकार्ड 2,335 टन रही.’ डब्ल्यूजीसी के बाजार आसूचना एलिस्टेयर हेविट ने कहा, ‘सोने के वैश्विक रुझान पर पश्चिमी निवेश के लिए बढती मांग का दबाव रहा क्योंकि निवेशकों ने सरकारी बांडों पर आय नकारात्मक और बढती राजनीतिक एवं आर्थिक अनिश्चितता के बीच अपने निवेश को पुनर्संतुलित करने की कोशिश की.’
अमेरिका में जेवरात की मांग एक प्रतिशत तक बढी जबकि ईरान में 10 प्रतिशत बढी जबकि पारंपरिक तौर पर बडे आभूषण बाजार, चीन तथा भारत में दूसरी तिमाही के दौरान इसकी मांग में गिरावट दर्ज हुई. चीन में आभूषण की मांग 15 प्रतिशत घटकर 114 टन जबकि भारत में यह 20 प्रतिशत घटकर 98 टन रही. रपट के मुताबिक ग्रामीण आय के दबाव में रहने और सरकार के उत्पाद शुल्क बढाने के फैसले के मद्देनजर भी भारतीय बाजार प्रभावित रहा.
डब्ल्यूजीसी की रपट के मुताबिक केंद्रीय बैंकों की मांग 40 प्रतिशत घटकर 77 टन रही जो पिछले साल की इसी अवधि में 127 टन रही. इस तरह पहली छमाही में कुल खरीद 185 टन रही. रपट में कहा गया कि केंद्रीय बैंक का अभी भी वैश्विक मांग में प्रमुख योगदानकर्ता बने रहने की उम्मीद है क्योंकि सोना मुद्रा भंडार विशेष तौर पर डालर से विविधीकरण प्रदान करता है.
इस बीच कुल आपूर्ति 2016 की दूसरी तिमाही में 10 प्रतिशत बढकर 1,145 टन रही जो पिछले साल की इसी अवधि में 1,042 टन थी. रपट के मुताबिक इस साल जून की तिमाही में खानों का उत्पादन सालाना स्तर पर 787 टन रहा जो पिछले साल के बराबर ही रहा.
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