नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक नरमी और भू-राजनैतिक तनाव के आगे तन कर खडी रही है तथा अब तीव्र वृद्धि के अवसरा का लाभ उठाने को तैयार है. जेटली ने यह भी कहा कि भारतीय समाज अब उंची आकांक्षाएं रखने वाला समाज है और उसने यह […]
नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक नरमी और भू-राजनैतिक तनाव के आगे तन कर खडी रही है तथा अब तीव्र वृद्धि के अवसरा का लाभ उठाने को तैयार है.
जेटली ने यह भी कहा कि भारतीय समाज अब उंची आकांक्षाएं रखने वाला समाज है और उसने यह समाज नेताओं को सुधारों का समर्थन करने को विवश कर रहा है. हालांकि उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि जहां विकसित देश जनसंख्या में तीव्र वृद्धि पर लगाम लगाने में सफल रहे वहीं भारत जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्यों को अभी नहीं हासिल कर पाया है.
जेटली ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह में कहा कि विगत में औद्योगिक और प्रौद्योगिकी क्रांति के दौर में अपनी रुढिवादी सोच के कारण भारत उन अवसरों से चूक गया..लेकिन अब भारत के लोग उंची आकांक्षाएं रखते है इससे राजनीतिज्ञों पर सुधार की दिशा में पहल के लिए दबाव बना है. उन्होंने कहा कि इस समय पूरी दुनिया में नरमी है. अगर कोई देश ऐसे समय में डेढ-दो प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर ले रहा है तो वह इस बात में ही संतुष्टि है कि चलो अर्थव्यवस्था में संकुचतन तो नहीं हुआ.
जेटली ने कहा, ‘‘वास्तव में भारत इस समय हवा के विपरीत चल रहा है. इतिहास में पहली बार हम (वैश्विक) रझान के विरीत चल रहे हैं. तमाम अवसरों को गंवाने के बाद अब हम दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. ” जेटली ने कहा कि वैश्विक स्तर पर देश इस समय घबराहट में ब्याज दर को रिणात्मक (शून्य से नीचे) या नाम मात्र के बराबर रखने और विनिमय दर अवमूल्यन की होड का प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन जैसे कदम उठा रहे हैं. कही रोजगार घट रहा है तो दुनिया के कुछ अन्य देशों में भू-राजनीतिक संकट, शरणार्थी और आतंकवाद की समस्या है.
वित्त मंत्री जेटली ने कहा, ‘‘परंपरागत सोच के कारण भारत ने विभिन्न मौके पर अवसर गंवाये। हमने औद्योगिक क्रांति के समय अवसर गंवाया. अमेरिकी तथा यूरोपी देशों ने उस अवसर को पकडा। जब प्रौद्योगिकी क्रांति हुई, हम उसमें भी शामिल नहीं हो पाये।” वित्त मंत्री के अनुसार अब भारत में एक मजबूत राय है कि देश की तरक्की की जरुरत है.
उन्होंने कहा, ‘‘लगातार दो महत्वपूर्ण कानून….दिवाला एवं जीएसटी….आम सहमति से पारित हुए। इसका कारण यह है कि लोगों की मजबूत राय है कि हम अब धीमे पडना या अवसर गंवाना नहीं चाहते जिसका दबाव राजनेताओं पर पडा है.” अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष :आईएमएफ: ने 2017 के लिये वैश्विक वृद्धि के अनुमान को 0.1 प्रतिशत कम कर 3.4 प्रतिशत कर दिया। भारत की वृद्धि दर 2016 और 2017 में 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है. जेटली ने कहा कि सेवा क्षेत्र अर्थव्यवस्था की मुख्य ताकत है जबकि देश विनिर्माण उत्पादन बढाने की कोशिश कर रहा है.
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