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अन्‍य देशों की तुलना में अधिक फायदेमंद होगा भारत में निवेश : अरुण जेटली

हांगकांग : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विदेशी निवेशकों को जोरदार तरीके से आकर्षित करते हुए आज कहा कि भारत में उनका निवेश देशों की तुलना में अधिक फायदेमंद होगा. जेटली ने साथ ही भरोसा दिलाया कि सरकार विदेशी कंपनियों के साथ कुछ बडे चर्चित विवादों को शीघ्रता से सुलझाने का रास्ता निकालने में लगी […]

हांगकांग : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विदेशी निवेशकों को जोरदार तरीके से आकर्षित करते हुए आज कहा कि भारत में उनका निवेश देशों की तुलना में अधिक फायदेमंद होगा. जेटली ने साथ ही भरोसा दिलाया कि सरकार विदेशी कंपनियों के साथ कुछ बडे चर्चित विवादों को शीघ्रता से सुलझाने का रास्ता निकालने में लगी हुई है. विदेशी निवेशकों और निवेश कोषों के साथ बैठक के लिये यहां आये जेटली ने जोर देकर कहा कि भारत अपने यहां कर संबंधी व्यवस्था में किसी भी प्रकार की अस्थिरता को यथा शीघ्र समाधान करना चाहती है क्योंकि कर संबंधी अनिश्चितता से निवेश के वातावरण नहीं सुधरता.

वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार देश में कारोबार की सुगमता बढाने पर विशेष ध्यान दे रही है. उन्होंने कहा कि देश को बुनियादी ढांचा क्षेत्र को भारी निवेश की जरुरत है और विदेशी निवेश के जरिए कुछ अतिरिक्त संसाधन मिल सकते हैं. यहां निवेशकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत अन्य देशों की तुलना में अधिक लाभ देगा.’ सिंगापुर और हांगकांग की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में यहां पहुंचे जेटली ने कहा कि सरकार विदेशी कंपनियों वोडाफोन, केयर्न और शेल से जुडे तीन बडे कर विवादों का जल्द-से-जल्द समाधान निकालना चाहती है और इनके शीघ्र निपटान के लिए रास्ता निकालने का काम चल रहा है.

कर विवाद जल्‍द निपटा लेगी सरकार

लंबित कर विवादों पर एक सवाल के जवाब में जेटली ने कहा, ‘हमें कई कर विवाद विरासत में मिले हैं. शायद, यह उन सबसे कडी चुनौतियों में से एक है जो हमें विरासत में मिले हैं.’ यहां मीडिया के साथ बातचीत में वित्त मंत्री जेटली ने कहा, ‘तेजी से मामलों का निपटान करने पर काम चल रहा है और ये मामले उन कंपनियों से जुडे हैं जिनका जिक्र आपने किया है. हम जल्द से जल्द समाधान निकालने के इच्छुक हैं.’ उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वस्थ्य नीति वह है जिसमें हम वास्तविक अर्थव्यवस्था पर ध्यान दें न कि केवल बाजार को प्रभावित कर रहे बाह्य कारकों पर. इस महीने होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले नीतिगत दर में कटौती का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि को गति देने के मामले में मौद्रिक नीति अहम भूमिका निभाती है और उन्हें उम्मीद है कि इस मोर्चे पर जवाबदेही के बोध के साथ केंद्रीय बैंक उपयुक्त कदम उठाएगा. उद्योग जगत वृद्धि को गति देेने के लिये ब्याज दर में और कटौती की मांग कर रहा है ताकि पूंजी की लागत कम हो सके.

‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ पर विशेष जोर

विदेशी निवेश आकर्षित करने के इरादे से उन्होंने कहा कि ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ को विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए तैयार किया गया है और इन क्षेत्रों में भारत में काफी संभावना है. सुधार की गति मंद पडने को लेकर जतायी जा रही चिंताओं पर उन्होंने कहा, ‘मैं इस नजरिये से इत्तेफाक नहीं रखता क्योंकि सरकार एक स्पष्ट दिशा में बहुत सतत ढंग से अपने सुधार एजेंडे पर आगे बढ रही है.’

जेटली ने कहा, ‘एक या दो निर्णय ऐसे हैं जिनके सामने विपक्ष रोडा खडा करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन हम या तो अपनी संसदीय संख्या के बल पर उन निर्णयों को आगे बढाएंगे या उस उद्देश्य को हासिल करने के लिए एक वैकल्पिक रास्ता अपनाएंगे.’ अरुण जेटली ने कहा, ‘जहां तक अर्थव्यवस्था की तस्वीर का सवाल है, अगर आपकी अपनी प्रणाली मजबूत है और व्यवस्थित है, तब सामान्य स्थिति बहाल करने की आपकी क्षमता बेहतर है. इसीलिए स्वस्थ्य नीति वह है जिसमें हम वास्तविक अर्थव्यवस्था पर ध्यान दें न कि केवल बाजार को प्रभावित कर रहे बाह्य कारकों पर.’ जेटली के अनुसार विदेशी निवेशकों ने रेलवे से जुडे क्षेत्रों में काफी रुचि दिखा रहे हैं.

सीमा विवाद जल्‍द होगा समाप्‍त

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार चीन के साथ सीमा विवाद तेजी से हल होते देखने को इच्छुक है, हालांकि उससे लगी भारत की सीमा पश्चिमी सीमाओं की तुलना में कहीं अधिक शांतिपूर्ण है. सीमा मुद्दे पर उन्होंने इन सुझावों को खारिज कर दिया कि यह छद्म युद्ध जैसी स्थिति है. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि यह इस्तेमाल की जाने लायक सही परिभाषा है. सीमा विवाद है और उस विवाद पर गौर करने के लिए 2003 से एक तंत्र है.’ जेटली ने कहा, ‘हम यह देखने को बहुत इच्छुक हैं कि सीमा विवाद बहुत तेजी से सुलझे. हालांकि, चीन के साथ लगी सीमा हमारी पश्चिमी सीमा से कहीं अधिक शांतिपूर्ण है.’

चीन की नरमी का भारत पर असर नहीं, 7.3 फीसदी ज्‍यादा होगा वृद्धि दर

चीन में आयी नरमी के बाद भारत के एफडीआइ आकर्षित करने के अवसरों के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि वह भारत के लिए इसे एक महत्वपूर्ण अवसर के तौर पर देखते हैं क्योंकि चीन में आयी नरमी का भारत पर उतना प्रभाव नहीं पडेगा. बाद में शाम में जेटली ने हांगकांग में इंडियन चैंबर आफ कामर्स के सदस्यों के साथ भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया. उन्होंने भारत की वृद्धि में रुचि दिखाने के लिये उनका धन्यवाद दिया और कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की 7.3 प्रतिशत से अधिक रहनी चाहिए.

मंत्री ने उन्हें सुधारों को निरंतर आगे बढाने का भी भरोसा दिलाया. बडे व्यापार प्रतिनिधिमंडल के साथ वित्त मंत्री ने संस्थागत निवेशकों के साथ भी बैठकें की. भारत के वित्त मंत्री के रूप में इस वैश्विक वित्तीय केंद्र की अपनी पहली यात्रा के दौरान कल जेटली एपीआइसी-इंडिया कैपिटल मार्केट्स तथा संस्थागत निवेशकों के सम्मेलन को संबोधित करेंगे.

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