नयी दिल्ली : विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों को लगातार कॉल ड़्राप से निपटने के लिए कहे जाने के बाद भी सुधार नहीं होने से प्रधानमंत्री नाराज है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों से ‘कॉल ड्राप’ की समस्या को तुरंत सुलझाने को कहा है. उन्होंने कहा कि इससे सीधे आम आदमी प्रभावित होता है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सोमवार शाम को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्देश दिया गया. बैठक में उन्होंने डिजिटल एवं ग्रामीण बुनियादी ढांचा के अलावा कनेक्टिविटी की प्रगति की समीक्षा की. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) द्वारा जारी बयान के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री ने कॉल ड्राप के मुद्दे पर गंभीर चिंता जतायी और अधिकारियों से पूछा कि आम आदमी को प्रभावित करने वाले इस समस्या के हल के लिये क्या किया जा रहा है.’
बयान में कहा गया है, ‘उन्होंने समस्या के समाधान के लिये तेजी से कदम उठाने का निर्देश दिया और यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि ‘वॉयस कनेक्टिविटी’ की समस्या डेटा कनेक्टिविटी तक नहीं पहुंचे.’ बैठक में मोदी को देश भर में मोबाइल कनेक्टिविटी की स्थिति से अवगत कराया गया. उन्होंने अधिकारियों से दूरदराज और फोन संपर्क सुविधाओं से वंचित क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिये रेलवे तथा अन्य संचार संबंधी ढांचागत सुविधाओं समेत मौजूदा संसाधनों का उपयोग करने को कहा.
बयान के अनुसार, ‘उन्होंने जोर देकर कहा कि डिजिटल बुनियादी ढांचे के लक्ष्य को डिजिटल इंडिया पहल के लक्ष्य के साथ जोडा जाना चाहिए.’ प्रधानमंत्री ने 1,000 दिन के भीतर देश में बिजली सुविधा से वंचित गांवों में बिजली पहुंचाने के लिये की गयी तैयारियों के बारे में अधिकारियों से ब्योरा मांगा. प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इसका जिक्र था. बयान के अनुसार, ‘उन्होंने संबंधित विभागों को तात्कालिक आधार पर इस लक्ष्य में हुई प्रगति पर नजर रखने का निर्देश दिया.’
सौर ऊर्जा परियोजनाओं खासकर रेलवे स्टेशनों तथा हवाईअड्डों पर इन परियोजनाओं की प्रगति का जायजा लेते हुए उन्होंने इच्छा जतायी कि रेलवे विश्वविद्यालयों की स्थापना संबंधी कार्यों में तेजी लायी जाए. उन्होंने नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से जुडी सडकों के मामले में प्राथमिकता देने का आह्वान किया. बयान के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री ने कहा कि बुनियादी ढांचा निर्माण के लिये पर्याप्त कोष उपलब्ध कराया जा रहा है, ऐसे में संबद्ध मंत्रालयों की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि इन खर्चों का सही अनुपात में परिणाम निकले.’ नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया भी बैठक में मौजूद थे. पीएमओ, नीति आयोग तथा अन्य मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे.
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