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कुछ दिनों में और कम होगी आपकी EMI, FM अरुण जेटली ने दिया भरोसा

नयी दिल्ली : आवास, वाहन तथा अन्य कर्जों की मासिक किस्तें आने वाले दिनों में और कम हो सकती हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि बैंकों ने आने वाले दिनों और सप्ताहों में ब्याज दरों में और बडी कमी करने का वादा किया है. वित्त मंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के […]

नयी दिल्ली : आवास, वाहन तथा अन्य कर्जों की मासिक किस्तें आने वाले दिनों में और कम हो सकती हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि बैंकों ने आने वाले दिनों और सप्ताहों में ब्याज दरों में और बडी कमी करने का वादा किया है. वित्त मंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ यहां बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि वित्तीय सेवा सचिव धन के इंतजार में अटकी परियोजनाओं पर पर गौर करेंगे. साथ ही उन्होंने विश्वास जताया कि जल्दी ही अर्थव्यवस्था उच्चतर वृद्धि के मार्ग पर आगे बढेगी.

नीतिगत ब्‍याज दरों का फायदा ग्राहकों को मिले

इस बैठक में जेटली ने बैंकों से जुडे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जिसमें रिजर्व बैंक की नीतिगत दर में कटौती का फायद ग्राहकों को देने और ऋण-वसूली की समस्या पर चर्चा हुई. जेटली ने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्त वर्ष 2015-16 के लिए बजट में आवंटित राशि से अधिक पूंजी दिये जाने की मांग पर विचार करेगी. रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती का फायदा ग्राहकों को देने के संबंध में मंत्री ने कहा कि बैंकों ने विस्तृत प्रस्तुति दी है कि उन्होंने अपने ऋण की ब्याज दरों को कैसे कम किया है.

मंत्री ने कहा ‘नीतिगत दर में कटौती के एक हिस्से का फायदा उपभोक्ताओं को दिया जा चुका है पर कुछ बैंकों ने ऐसा नहीं किया है. मुझे लगता है कि अगले कुछ दिनों में, कुछ बैंक को लगता है कि वे अगले कुछ हफ्तों में और अधिक कटौती करने की स्थिति में होंगे.’ जेटली ने कहा कि कुछ बैंकों ने ब्याज कम करने में अपने तुलन पत्र से जुडी समस्या और लघु बचत योजनाओं पर उच्च ब्याज दर को लेकर परेशानी जाहिर की. जेटली ने कहा ‘हालांकि माहौल आशावादी है. बैंकिंग क्षेत्र में गतिविधियां सुधर रही हैं और इससे अर्थव्यवस्था में और तेजी आने की उम्मीद जगती है.’

आरबीआइ ने तीन बार घटाये ब्‍याज दर

आरबीआइ द्वारा दो जून को दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती के बाद प्रमुख बैंक एसबीआइ समेत कई बैंकों ने अपनी ब्याज दरें घटाई हैं. आरबीआइ जनवरी से अब तक तीन बार में रेपो दर में कुल मिला कर 0.75 प्रतिशत की कटौती की है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की अधिक पूंजी डालने की मांग के मद्देनजर जेटली ने कहा कि उनकी बात में दम है और सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में अंतिम फैसला मंत्रिमंडल लेगा. सरकार ने 2015-16 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 7,900 करोड रुपये की पूंजी डालने का प्रावधान किया है. आरबीआइ ने बाद में कहा कि यह राशि अपर्याप्त है और इसे बढाने की जरुरत है.

फंड के अभाव में अटकी परियोजनाएं जल्‍द होंगी शुरू

धन के इंतजार में अटकी परियोजनाओं के संबंध में जेटली ने कहा कि वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ऐसी परियोजनाओं की सूची बनाएंगे और इस मुद्दे के समाधान की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा ‘सचिव और यदि जरुरत पडी तो मैं, दोनों ही अगले कुछ दिनों में संबंधित राज्य सरकारों, परियोजनाओं और संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाएंगे और उनके मुद्दों को सुलझने की कोशिश करेंगे.’

अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी से सुधार के संकेत

जेटली ने कहा कि अर्थव्यवस्था पिछले कुछ साल में गंभीर चुनौतियों का सामना करने के बाद अब उबर रही है. उन्होंने कहा ‘हम इस बात से कुछ संतोष कर सकते हैं कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां हमें सबसे तेज उभरती अर्थव्यवस्थाओं में गिन रही हैं लेकिन हमारा अपना लक्ष्य इससे भी उपर है.’ उन्होंने कहा कि मूल राजकोषीय आंकडे अच्छे दिख रहे हैं तथा अर्थव्यवस्था पहले से अधिक तीव्र वृद्धि के मार्ग पर है. उन्होंने कहा ‘अटकी पडी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी लाने के संबंध में सरकार बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाना जारी रखेगी. सरकार ने बुनियादी ढांचे पर व्यय बढाया है.’

एनपीए पर काम करने की जरुरत

उन्होंने कहा ‘मार्च 2015 के समाप्त तिमाही में वसूल नहीं हो रहे कर्ज (एनपीए) का अनुपात 5.64 प्रतिशत से घटकर 5.2 प्रतिशत हो गया. पर एक तिमाही के आंकडों से रुझान का संकेत नहीं मिलता. इसलिए मैं पैटर्न क्या है इसको देखने के लिए कुछ और समय इंतजार करुंगा. बैंकों का खुद आकलन है कि थोडा और सुकूनदेह स्थिति आने में दो-तीन तिमाहियां लगेंगी.’ मंत्री ने यह भी भरोसा जताया कि सरकार द्वारा व्यय बढाने से और अर्थव्यवस्था में और तेजी आने से एनपीए की स्थिति सुधरेगी.

एनपीए के संबंध में जेटली ने कहा कि बैंक अपना एनपीए घटाने के लिए खुद प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने कहा ‘हमने उच्च एनपीए वाले हर बैंक से कहा है कि वे इसकी वजह बताएं और उन समूहों का ब्योरा दें जिनके कारण उनका एनपीए ज्यादा हो रहा है. अगले कुछ महीनों में सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी.’ जेटली ने यह भी कहा कि हालांकि खुदरा ऋण बढा है लेकिन कार्पोरेट ऋण में रफ्तार आनी बाकी है.

मानसून पर सरकार की पैनी नजर

बारिश के बारे में जेटली ने कहा ‘जहां तक मानसून का सवाल है हम आशंकित हैं. मानसून का मौसम शुरू हो चुका है.’ उन्होंने कहा ‘मैंने बैंकों को बताया कि राजस्व की स्थिति सुकूनदेह हो रही है. कृषि में ज्यादा निवेश होगा ताकि ग्रामीण स्तर पर मांग बढे.’ जेटली ने कहा कि महीने भर में सामाजिक क्षेत्र की सुरक्षा योजनाओं – जन सुरक्षा बीमा एवं जीवन ज्योति बीमा – की 10.17 करोड पालिसी बिकी.

जेटली ने कहा ‘इन योजनाओं में निजी क्षेत्र के बैंकों की आरंभिक भागीदारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की तरह नहीं रहीं. लेकिन आज ऐसी प्रतिक्रिया देखकर निजी क्षेत्र के बैंकों ने कहा कि उनसे भी इसके संबंध में जानकारी मांगी जा रही है और वे भी इसमें बडी भूमिका निभाएंगे.’ आज की बैठक में जिन बडे मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें ऋण वृद्धि, शिक्षा और आवास ऋण मुद्रा बैंक के लिए कार्यान्वयन के लिए खाका शामिल है.

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