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दस्तावेज लीक मामले में सीबीआई ने आरआईएल के अधिकारी, सीए को सम्मन किया

नयी दिल्ली : सरकारी दफ्तरों से दस्तावेजों के लीक होने का मामला और भी संदेहास्पद होता दिख रहा है क्योंकि सीबीआई ने अब रिलायंस इंडस्टरीज लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी और एक जानमाने चार्टर्ड अकाउंटेंट को सम्मन किया है. यह सीए कई बडे कारपोरेट और सरकारी संस्थाओं के बोर्ड में है. इससे जुडे घटनाक्रम में […]

नयी दिल्ली : सरकारी दफ्तरों से दस्तावेजों के लीक होने का मामला और भी संदेहास्पद होता दिख रहा है क्योंकि सीबीआई ने अब रिलायंस इंडस्टरीज लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी और एक जानमाने चार्टर्ड अकाउंटेंट को सम्मन किया है. यह सीए कई बडे कारपोरेट और सरकारी संस्थाओं के बोर्ड में है. इससे जुडे घटनाक्रम में सीबीआई ने वाणिज्य मंत्रालय के तहत औद्योगिक नीति एवं पदोन्नति विभाग के उच्च वर्गीय लिपिक (अपर डिवीजनल क्लर्क) को गिरफ्तार किया है क्योंकि एजेंसी ने पाया कि एचडीएफसी बैंक लिमिटेड और ग्लेमार्क फार्मासूटिकल्स में विदेशी निवेश से संबंधित दस्तावेज भी लीक हुए हैं.

एचडीएफसी और ग्लेनमार्क ने आरोपों से इंकार किया है. सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि यह पूरा गिरोह काम कर रहा था. सरकार ने सीबीआई को दस्तावेजों के लीक मामले की पूरी तह तक जाने और सभी अपराधियों को पकडने के लिए आगे बढने की इजाजत दी है. सीबीआई सूत्रों ने कहा कि मुंबई आधारित आरआईएल का अधिकारी यहां खेमचंद गांधी के निरंतर संपर्क में था जो वाणिज्य मंत्रालय एवं वित्त मंत्रालय से गोपनीय दस्तावेज मुहैया करा रहा था.

आरआईएल ने इसको लेकर पूछे गए पीटीआई के सवालों का जवाब नहीं दिया. सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने ‘चिताले एंड एसोसिएट्स’ के साझीदार राजेंद्र चिताले को भी सम्मन किया है. उनके साझीदार परेश को बीते शुक्रवार को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. चिताले सीए हैं जो कई कंपनियों, पीएसयू और सरकारी निकायों के बोर्ड में शामिल हैं. वित्त मंत्रालय से गोपनीय दस्तावेजों की कथित बिक्री की सीबीआई जांच से खुलासा हुआ है कि जेट-एतिहाद सौदे से जुडे ज्यादातर रिकार्ड एफआईपीबी में अधिकारियों की मदद से कथित रूप से लीक हुए.

सूत्रों ने बताया कि सीबीआई द्वारा गिरफ्तार संदिग्धों की पूछताछ और जांच एजेंसी के पास उपलब्ध फोन रिकार्ड से यह सामने आया है कि 2058 करोड रुपये का जेट-एतिहाद सौदा उन अहम सौदों में एक है जिनके रिकार्ड बिचौलिए तक पहुंचाये गये. उन्होंने बताया कि यह बात सामने आयी है कि इस सौदे, जो उड्डयन के क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 26 फीसदी से बढाकर 49 फीसदी करने पर हुआ, के संबंध में प्रस्ताव के चरण से लेकर अंतिम चरण तक के रिकार्ड वित्त मंत्रालय से नियमित रूप से लीक किए जा रहे थे.

सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय में इस संबंध में ज्यादातर संवाद, जिनमें मंत्रालय में शीर्ष स्तर तक की टिप्पणियां भी शामिल हैं, कथित रूप से लीक किये गये थे. पहले सीबीआई ने कहा था कि ‘वित्त मंत्रालय में प्रथम और द्वितीय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया से समझौते किए गए’ लेकिन अब उसके सूत्रों ने बताया कि अब इस स्तर से उपर के अधिकारी भी जांच एजेंसी की जांच के दायरे में आ सकते हैं.

एचडीएफसी ने एक बयान जारी कर आरोपों को आधारहीन और बैंक की छवि को धूमिल करने का प्रयास करार दिया है. सीबीआई ने परामर्श प्रदाता कंपनी प्राइस वाटरहाउस कूपर के एक दिल्ली आधारित अधिकारी से भी पूछताछ की है जो कथित तौर पर गांधी से दस्तावेज हासिल कर रहा था.

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