नयी दिल्ली : वित्तीय वर्ष 2020-21 का बजट एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण प्रस्तुत करेंगी. यह उनका दूसरा बजट होगा. इस बजट को पेश करते हुए उनके सामने कई चुनौतियां भी हैं, क्योंकि अभी अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रही है. विकास दर अनुमान में लगातार कमी के संकेत मिले हैं. ऐसे में सरकार अगर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना चाहती है, तो उसके सामने यह चुनौती है कि वह किस तरह बजट तैयार करे कि वह जनता को भी लुभाये और अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करे. इस तमाम सवालों के बीच हम आपको बजट से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारी देना चाहते हैं, जिसे जानना आपके लिए बहुत जरूरी है.
* बजट की छपाई पहले राष्ट्रपति भवन में होती थी, लेकिन साल 1950 में पेपर लीक होने के बाद बजट दिल्ली के सिक्योरिटी प्रेस में छापा जाने लगा. 1980 से बजट पेपर नॉर्थ ब्लॉक से प्रिंट होने लगा.
*. बजट छपने की शुरुआत हलवा सेरेमनी से हो जाती है. इस रस्म के बाद वित्त मंत्रालय के अधिकारी नॉर्थ ब्लॉक में ही रहते हैं और उनका परिवार से भी संपर्क नहीं होता है. वे लगभग 10 दिनों तक यहीं रहते हैं और किसी से फोन पर भी बात नहीं करते हैं.
*. वर्ष 1970-71 का बजट इंदिरा गांधी ने पेश किया था, वे उस वक्त देश की प्रधानमंत्री थीं, लेकिन मोरारजी देसाई के इस्तीफे के बाद उनके पास वित्त मंत्रालय भी था. इस बजट को पेश करने के साथ ही वह देश में पहली ऐसा महिला बन चुकी थीं, जिन्होंने पहली बार बजट पेश किया.
* देश में तीन प्रधानमंत्रियों के नाम यह रिकॉर्ड है कि उन्होंने देश का बजट पेश किया. इनमें शामिल हैं पंडित जवाहर लाल नेहरु, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी. नेहरू ने 1958-59, इंदिरा ने 1970-71 और राजीव गांधी 1987-88 में बजट पेश किया था.
* बजट में जीएसटी का जिक्र पहली बार 28 फरवरी 2006 को हुआ था. उस वक्त के वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने पहली बार बजट में जीएसटी की बात की थी. उन्होंने यूपीए-2 के कार्यकाल में पूरे देश के लिए एक टैक्स प्रणाली की बात कही थी.
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