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सफल निवेश की कुंजी, एसेट एलोकेशन, डाइवर्सिफिकेशन और रिबैलेंसिंग

एक सफल निवेशक बनने की चाह हर किसी में होती है, लेकिन इसके लिए निवेश जगत के मूल तत्वों को समझना जरूरी है. किसी दूसरे निवेशक की सफलता को देख कर उसका अनुसरण करने से आप एक सफल निवेशक नहीं बन सकते, क्योंकि हर व्यक्ति की जोखिम क्षमता अलग-अलग होती है. इसलिए पेश है सफल […]

एक सफल निवेशक बनने की चाह हर किसी में होती है, लेकिन इसके लिए निवेश जगत के मूल तत्वों को समझना जरूरी है. किसी दूसरे निवेशक की सफलता को देख कर उसका अनुसरण करने से आप एक सफल निवेशक नहीं बन सकते, क्योंकि हर व्यक्ति की जोखिम क्षमता अलग-अलग होती है. इसलिए पेश है सफल निवेश के मूलमंत्र को बताता हुआ आज का कल्पवृक्ष.

आरआर सिंह,

निवेश सलाहकार,

जमशेदपुर

निवेश की दुनिया में यह माना गया है कि यदि आप एसेट एलोकेशन और डाइवर्सिफिकेशन पर एक समझ विकसित कर लिये हैं तो, आप एक बहुत अच्छे निवेशक बनने की ओर अग्रसर है. इन दोनों के साथ रिबैलेंसिंग (पुनर्संतुलन) को भी जान लें तो बेहतर होगा.

एसेट एलोकेशन (परिसंपत्ति आवंटन)

एसेट एलोकेशन में म्यूचुअल फंड, स्टॉक, बॉन्ड और कैश जैसी विभिन्न एसेट क्लास के बीच निवेश पोर्टफोलियो को विभाजित करना होता है.

आपके पोर्टफोलियो में कौन सा एसेट क्लास को चुनकर रखना है, यह बहुत ही व्यक्तिगत होती है. जीवन में किसी भी मोड़ पर आपके लिए सबसे अच्छे तरीके से काम में आ सकने वाला एसेट एलोकेशन आपके जोखिम सहन करने की क्षमता और आपके समय क्षितिज पर निर्भर करता है. यहां समय क्षितिज का मतलब हुआ कि जीवन में कब कौन सा लक्ष्य निर्धारित कर उसके लिए निवेश कर रहे हैं. यह महीने, साल या दशकों में हो सकते हैं.

जोखिम सहनशीलता अधिक से अधिक संभावित रिटर्न के बदले में अपने मूल निवेश के कुछ हिस्से या पूरा खोने की क्षमता और इच्छा है. एक बेहतर परिणाम प्राप्त करने की कोशिश में पैसे खोने का जोखिम सबसे अधिक होती है. एक रूढ़िवादी निवेशक उस तरह के निवेश को प्राथमिकता देता है जिसमें उसका मूल निवेश सुरक्षित रहे.

एसेट एलोकेशन इतना महत्वपूर्ण क्यों है

एक पोर्टफोलियो के भीतर विभिन्न बाजार स्थितियों के तहत ऊपर और नीचे बढ़ने वाले निवेश रिटर्न के साथ परिसंपत्ति श्रेणियों को शामिल करके, एक निवेशक महत्वपूर्ण नुकसान से बच सकता है. ऐतिहासिक रूप से, तीन प्रमुख एसेट क्लास के रिटर्न एक ही समय में ऊपर और नीचे नहीं होते हैं.

जब कभी बाजार की स्थिति के अनुसार कोई एक एसेट क्लास बेहतर रिटर्न देता है तो उस समय बाकि के दोनों एसेट क्लास सिर्फ औसत रिटर्न या औसत से कम रिटर्न ही देते हैं. इसलिए एक से अधिक एसेट क्लास में निवेश करने से आप निवेश खोने के जाखिम को कम कर सकते हैं और आपके पोर्टफोलियो का औसत रिटर्न बना रहेगा. यदि किसी एसेट क्लास का निवेश रिटर्न गिरता है, तो आप किसी अन्य एसेट क्लास में बेहतर निवेश रिटर्न के साथ हुए नुकसान भरपाई करने में सफल हो सकेंगे.

एसेट एलोकेशन में बदलाव करना

आपके वित्तीय लक्ष्य में समय के अनुसार बदलाव करने पर एसेट एलोकेशन में बदलाव करना जरूरी हो जाता है. दूसरे शब्दों में, जैसे ही आप अपने निवेश लक्ष्य के करीब पहुंचते हैं, आपको अपने एसेट एलोकेशन को बदलने की आवश्यकता होती है.

उदाहरण के लिए, सेवानिवृत्ति के लिए निवेश करने वाले अधिकांश लोग स्टॉक में कम और बांड व नकद में अधिक निवेश रखते हैं क्योंकि वे सेवानिवृत्ति की आयु के करीब पहुंच रहे होते हैं. यदि आप जोखिम क्षमता में कोई परिवर्तन करते हैं, तो आपको अपने एसेट एलोकेशन में भी बदलाव करने की जरूरत हो सकती है.

रिबैलेंसिंग (पुनर्संतुलन)

आपके पोर्टफोलियो को आपके मूल एसेट एलोकेशन के मिक्स को वापस लाने की प्रक्रिया को पुनर्संतुलन या रिबैलेंसिंग कहा जाता है. यह आवश्यक है क्योंकि समय के साथ आपके कुछ निवेश आपके निवेश लक्ष्यों के रास्ते से बाहर हो सकते हैं.

आप पाएंगे कि आपके कुछ निवेश दूसरों की तुलना में तेज़ी से बढ़ रहे हैं. पुन: संतुलन करके, आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपका पोर्टफोलियो एक या एक से अधिक एसेट श्रेणियों पर दवाब नहीं बना रहा और इस तरह आप अपने पोर्टफोलियो को एक बार फिर से एक आरामदायक जोखिम के स्तर पर लौटा सकते हैं.

रिबैलेंसिंग के तीन तरीके

मूल रूप से तीन अलग-अलग तरीके से आप अपने पोर्टफोलियो को पुनः प्राप्त कर सकते हैं

01 आप ओवर वेटेड एसेट श्रेणियों से निवेश को बेच कर हटा सकते हैं और उसका उपयोग करते हुए अंडर-वेटेड एसेट श्रेणियों में निवेश कर सकते हैं.

02 आप अंडर वेटेड एसेट श्रेणियों में नया निवेश शुरू कर सकते हैं.

03 यदि आप पोर्टफोलियो में निरंतर योगदान दे रहे हैं, तो आप अपने योगदान को बदल सकते हैं, ताकि आपके पोर्टफोलियो के वापस संतुलन में आने तक अधिकांश निवेश अंडर-वेटेड एसेट श्रेणियों में जाये.

अपनी योजना के साथ रहें

कम में खरीदें, ज्यादा में बेचें – यानी एक बेहतर प्रदर्शन करनेवाले एसेट श्रेणी से धन को दूसरे खराब प्रदर्शन करनेवाले एसेट श्रेणी में स्थानांतरित करना आसान नहीं होता है, लेकिन यह एक बुद्धिमानी भरा कदम हो सकता है. अच्छा प्रदर्शन करने वाले निवेश को बेच कर दूसरे खराब प्रदर्शन करने वाले एसेट श्रेणी में निवेश करने की रिबैलेंसिंग की प्रक्रिया ही आपको ‘सस्ते में खरीदने और महंगा होने पर बेचने’ की ओर ले जा सकता है. और इस तरह आप रिबैलेंसिंग की योजना में बने रह सकते हैं.

निवेश के विकल्प

निवेश उत्पादों की एक विशाल श्रेणी बाजार में उपलब्ध है- जैसे स्टॉक और स्टॉक म्यूचुअल फंड, कॉरपोरेट और म्यूनिसिपल बॉन्ड, बॉन्ड म्यूचुअल फंड, लाइफसाइकिल फंड, एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड(इटीएफ), मनी मार्केट फंड आदि. कई वित्तीय लक्ष्यों के लिए शेयरों, बांड और नकदी, तीनों में निवेश करना एक अच्छी रणनीति होती है.

शेयर : स्टॉक्स सबसे अधिक जोखिम और सबसे अधिक रिटर्न देने वाला विकल्प है. एक एसेट क्लास के रूप में स्टॉक एक पोर्टफोलियो के लिए सबसे अधिक चुना जाता है क्योंकि इसमें निवेश बहुत ही तेजी से बढ़ने की क्षमता होती है. लेकिन यह उतनी ही तेजी से नुकसान भी देता है. शेयरों की अस्थिरता उन्हें अल्पावधि में बहुत ही जोखिम भरा विकल्प बनाता है.

बाॅन्ड : बॉन्ड आमतौर पर शेयरों की तुलना में कम अस्थिर होते हैं, लेकिन अधिकांश समय में मामूली रिटर्न प्रदान करते हैं. नतीजतन, एक वित्तीय लक्ष्य के करीब पहुंचने वाला निवेशक अपने स्टॉक होल्डिंग्स की तुलना में बॉन्ड होल्डिंग्स को बढ़ा सकता है क्योंकि अधिक बॉन्ड रखने से कम रिटर्न देने के बावजूद कम जोखिम होना निवेशक के लिए आकर्षक होता है.

नकद : नकद और नकद समतुल्य – जैसे कि बचत जमा, जमा प्रमाण पत्र, ट्रेजरी बिल, मनी मार्केट डिपॉजिट एकाउंट और मनी मार्केट फंड – सबसे सुरक्षित निवेश हैं, लेकिन यह सबसे कम रिटर्न की पेशकश करते हैं. इस एसेट क्लास में निवेश पर पैसा खोने की संभावना आम तौर पर बहुत ही कम होती है यानी यह ज्यादा सुरक्षित निवेश है.

डाइवर्सिफिकेशन (विविधता)

विविधता एक ऐसी स्ट्रैटेजी है जिसे एक बहुत ही पुराने कहावत के माध्यम से समझा जा सकता है : ‘अपने सभी अंडों को एक टोकरी में न रखें’. इस स्ट्रैटेजी के तहत विभिन्न तरह के निवेश विकल्पों के बीच अपने पैसे को रखना होता है, जिससे यह उम्मीद बना रहे कि यदि एक निवेश में पैसा खो जाता है, तो दूसरा निवेश उन नुकसानों के लिए भरपाई करने वाला हो. एक विविध पोर्टफोलियो में दो स्तरों पर विविधता होनी चाहिए- एसेट क्लास के बीच और एसेट कैटेगरी के बीच.

इसलिए स्टॉक, बॉन्ड, कैश समतुल्य और संभवतः अन्य परिसंपत्ति श्रेणियों के बीच अपने निवेश को आवंटित करने के अलावा, आपको प्रत्येक परिसंपत्ति श्रेणी में अपने निवेश को फैलाने की भी जरूरी है. इसमें सबसे अहम है कि प्रत्येक एसेट क्लास के उन एसेट श्रेणी की पहचान करना, जो विभिन्न बाजार स्थितियों के तहत अलग-अलग प्रदर्शन कर सकते हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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