नयी दिल्ली : रियल एस्टेट क्षेत्र को राहत देते हुए सरकार ने बुधवार को अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के विशेष कोष के गठन का ऐलान किया है. इसके लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से भी मंजूरी प्रदान कर दी गयी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक अलग से विशेष कोष का गठन किया जायेगा, जिसमें सरकार की ओर से करीब 10 हजार करोड़ रुपये का योगदान दिया जायेगा.
उन्होंने कहा कि यह विशेष कोष कुल 25 करोड़ रुपये का का होगा. इसकी शुरुआत में जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहयोग करेंगे. उन्होंने कहा कि बाद में और भी संस्थान इस कोष में योगदान देकर जुड़ सकते हैं. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इस विशेष कोष की राशि को भविष्य में बढ़ाया भी जा सकता है.
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के द्वारा गठित इस विशेष कोष के खाते में पैसा डालकर अधूरी पड़ी परियोजनाओं को पूरा किया जायेगा. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि इस विशेष कोष का खाता देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के पास होगा. सीतारमण ने कहा कि रेरा के तहत जितनी भी अधूरी परियोजनाएं हैं, उनको एक पेशेवर तरीके से सहयोग दिया जायेगा और उन्हें तब तक मदद की जायेगी, जब तक कि वे पूरी नहीं हो जातीं.
यहां पर वित्त मंत्री ने यह साफ करते हुए बताया कि यदि रेरा के तहत आने वाली किसी परियोजना का काम केवल 30 फीसदी ही बचा हुआ है, तो इस कोष के जरिये परियोजना के काम को पूरा करने के लिए मदद दी जायेगी, ताकि घर खरीदने वालों को जल्द से जल्द अपने मकान का मालिकाना हक मिल सके. उन्होंने कहा कि यदि कोई परियोजना एनपीए यानी गैर-निष्पादित आस्तियां भी हो गयी होगी, तो ऐसी परियोजनाओं को भी सहयोग दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि यदि कंपनी नकदी प्रवाह की तरह रुख करती है, तो उसके इसका लाभ नहीं मिल सकेगा.
वित्त मंत्री ने कहा कि हमने पहले कहा था कि घर खरीदने वालों के लिए सरकार जल्द ही ऐलान करेगी. कई घर खरीदने वालों ने हमसे संपर्क किया और उन्होंने कहा कि अग्रिम राशि जमा कराने के बावजूद उन्हें उनके मकान नहीं मिल रहे हैं. मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 1,600 से ज्यादा आवासीय परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं और 4.58 आवासीय इकाइयों का काम रुका हुआ है.
उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में प्रभावित लोगों और बैंकों के साथ कई बैठकें कीं. एक बैठक में तो रिजर्ब बैंक के गवर्नर भी मौजूद थे, जिन्होंने घर खरीदने वालों के हित में तरीके सुझाये. वित्त मंत्री ने यह भी साफ किया कि अगर किसी इकाई की एक परियोजना शुरू हुई है और वह पूरी नहीं हो पायी है, तो उसे सहयोग मिलेगा. वहीं, उसी कंपनी की दूसरी परियोजना जिसका काम शुरू नहीं हुआ है, उसे इसका लाभ नहीं मिलेगा.
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