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पेप्सी और कोकाकोला जैसी कंपनियों को पासवान का निर्देश, तीन दिन में तलाशे बोतलबंद पानी पैक करने का विकल्प

नयी दिल्ली : प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार ने सोमवार को पेप्सी और कोकाकोला जैसी कंपनियों को अल्टीमेटम दिया है कि वह मिनरल वारट को पैक करने का तीन दिन के भीतर विकल्प की तलाशी कर ले. खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने बोतलबंद पानी बेचने […]

नयी दिल्ली : प्लास्टिक मुक्त भारत बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार ने सोमवार को पेप्सी और कोकाकोला जैसी कंपनियों को अल्टीमेटम दिया है कि वह मिनरल वारट को पैक करने का तीन दिन के भीतर विकल्प की तलाशी कर ले. खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने बोतलबंद पानी बेचने वाली पेप्सी और कोका कोला जैसी कंपनियों को तीन दिनों में पैकेजिंग की वैकल्पिक सामग्री का सुझाव देने का निर्देश दिया है. पासवान स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्लास्टिक के प्रभाव के कारण पैकेजिंग में इसके उपयोग पर पाबंदी के पक्षधर हैं.

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उन्होंने सोमवार को बताया कि मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है. इस समिति को एक ही बार में या चरणबद्ध तरीके से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया गया है. पासवान ने सोमवार को बोतलबंद पानी उद्योग और विभिन्न सरकारी विभागों के साथ बैठक की, जिसमें पीने के पानी को पैकबंद करने के लिए एकल उपयोग वाली प्लास्टिक की बोतलों का उपयुक्त विकल्प खोजने के बारे में विचार-विमर्श किया गया.

इस बैठक में उपभोक्ता मामलों के सचिव एके श्रीवास्तव तथा पर्यावरण और रासायनिक मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा भारतीय मानक ब्यूरो(बीआईएस), खाद्य नियामक एफएसएसएआई, आईआरसीटीसी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे. मंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मानव और पशुओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में प्लास्टिक की बड़ी भूमिका है. हमने गायों के पेट में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक पाये जाने की खबरें सुनी है.

पासवान ने कहा कि ‘रीसाइक्लिंग’ (पुनर्चक्रीकरण) भी कोई स्थायी समाधान नहीं है. इसलिए एक विकल्प खोजने की जरूरत है, जो समान रूप से सस्ती और विश्वसनीय हो. उन्होंने कहा कि शुद्ध कागज की बोतल भी कोई विकल्प नहीं हो सकता, क्योंकि उससे बनने वाले पैक में कुछ प्लास्टिक मिला होता है. मंत्री ने कहा कि हमें इस बैठक के दौरान बोतलबंद पेयजल का कोई ठोस विकल्प नहीं मिला है. इसलिए, मैंने सभी निर्माताओं से अपने सुझाव 11 सितंबर तक भेजने को कहा है.

उन्होंने कहा कि उनकी सिफारिशों को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और अंतर-मंत्रालयी समिति को भेजा जायेगा. पासवान ने कहा कि इस बारे में सरकार द्वारा अंतिम निर्णय लिया जायेगा. हालांकि, उन्होंने कहा कि मैं अपील करना चाहता हूं कि प्लास्टिक की वजह से प्रदूषण और विभिन्न बीमारियां फैलती हैं. पुनर्चक्रण एक विकल्प है, लेकिन यह एक स्थायी समाधान नहीं है. स्थायी समाधान यह है कि प्लास्टिक को हटाया जाना चाहिए और इस पर प्रतिबंध होना चाहिए.

मंत्री से जब इस प्रतिबंध के कारण उद्योग और अर्थव्यवस्था पर होने वाले प्रभावों के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि इस प्रतिबंध से रोजगार प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि वैकल्पिक सामग्री के कारण रोजगार पैदा होगा. मंत्री ने कहा कि रेल मंत्रालय जो ‘रेल नीर’ ब्रांड के तहत पैकबंद पेयजल बनाता और बेचता है, भी इस मुद्दे पर विचार कर रहा है.

‘ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ नेचुरल मिनरल वाटर इंडस्ट्री’ के सचिव बेहराम मेहता ने कहा कि पैकेज्ड पानी उद्योग, पीईटी (पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट) का इस्तेमाल करती है, जिसका 100 फीसदी पुनचक्रीकरण किया जा सकता है और इसका वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने कहा कि बोतलबंद पानी उद्योग ने 92 फीसदी रीसाइक्लिंग का स्तर हासिल किया है और जल्द ही इस मामले में 100 फीसदी हासिल कर लेगा.

एवीए नेचुरल मिनरल के प्रबंध निदेशक मेहता ने कहा कि बोतलबंद पानी उद्योग का आकार 30,000 करोड़ रुपये का है. पूरे प्लास्टिक उद्योग 7.5 लाख करोड़ रुपये का है और इसमें सात करोड़ लोगों की रोजी रोटी जुड़ी है. मेहता ने जोर देकर कहा कि कागज, कांच और स्टील न तो एक किफायती विकल्प हैं और न ही पर्यावरण के अनुकूल हैं.

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