नयी दिल्ली : भारतीय अर्थव्यवस्था और सरकार के वृद्धि एजेंडा को लेकर आशंकाओं को खारिज करने का प्रयास करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वैश्विक अर्थव्यवस्था या किसी अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था से कहीं अधिक है. वित्त मंत्री सीतारमण ने शुक्रवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सुधार एक सतत प्रक्रिया है. यह उनकी सरकार के एजेंडा में टॉप पर है. उन्होंने कहा कि वैश्विक वृद्धि दर का अनुमान कम किया जा सकता है. अभी इसके 3.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मांग कमजोर रहेगी.
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वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक औसत या अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रही है. सीतारमण ने कहा कि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और मुद्रा के अवमूल्यन की वजह से वैश्विक व्यापार में काफी उतार-चढ़ाव पैदा हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर संबोधन का भी वित्त मंत्री ने जिक्र किया. प्रधानमंत्री ने कहा था कि परिसंपत्तियों का सृजन करने वालों का सम्मान होना चाहिए. सीतारमण ने कहा कि उनके 2019-20 के बजट में भी यह भावना थी. वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के साथ बैठक की है, ताकि उनकी जरूरतों के बारे में समझा जा सके. हमने सुधारों की रफ्तार कम नहीं हुई है.
FPI पर बढ़ा हुआ टैक्स सरचार्ज वापस
इसके साथ ही, वित्त मंत्री सीतारमण ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की मांग को पूरा करते हुए उन पर लगाया गया ऊंचा टैक्स सरचार्ज वापस लेने का ऐलान भी किया है. इस मामले में बजट पूर्व की स्थिति बहाल कर दी गयी है. वर्ष 2019-20 के बजट में ऊंची कमाई करने वालों पर ऊंची दर से कर अधिभार लगा दिया गया. एफपीआई भी इस बढ़े हुए अधिभार के दायरे में आ गये थे.
शॉर्ट और लॉन्ग टर्म के कैपिटल गेन्स पर भी सरचार्ज वापस
सीतारमण ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इक्विटी शेयरों के हस्तांतरण से होने वाले दीर्घावधि और लघु अवधि के पूंजीगत लाभ पर अधिभार को वापस ले लिया गया है. उन्होंने कहा कि बजट से पहले की स्थिति को फिर कायम कर दिया गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि यह कदम पूंजी बाजार में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए उठाया गया है.
बजट में एफपीआई पर अधिभार बढ़ाने की घोषणा से शेयर बाजार डगमगा गये थे. बजट में अधिक कमाई करने वालों पर सरचार्ज बढ़ाने की घोषणा के बाद दो से पांच करोड़ रुपये की कर योग्य आमदनी पर आयकर की प्रभावी दर 35.88 फीसदी से बढ़कर 39 फीसदी पर पहुंच गयी. इसी तरह, पांच करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी पर यह 42.7 फीसदी तक पहुंच गयी.
इससे पहले, इसी महीने पूंजी बाजार के भागीदारों तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों ने वित्त मंत्री को अपनी मांगों के समर्थन में मांग पत्र सौंपा था. इसमें एफपीआई से अधिभार वापस लेने और लाभांश वितरण कर (डीडीटी) की समीक्षा की मांग की गयी थी.
स्टार्टअप शुरू करने वाले और उसके निवेशकों को मिली एंजल टैक्स से राहत
सीतारमण ने कहा कि स्टार्टअप्स और उनके निवेशकों की दिक्कतों को दूर करने के लिए उनके लिए एंजल कर के प्रावधान को भी वापस लेने का फैसला किया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य के तहत स्टार्टअप्स की समस्याओं के समाधान के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया जायेगा.