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”घर बेचकर मकान खरीदने वालों को सरकारी बैंक या स्कीम में पैसा जमा करना जरूरी नहीं, पूंजीगत लाभ पर मिलेगी छूट”

नयी दिल्ली : अगर आपने अपना घर बेचकर उसी पूंजी से दूसरे मकान की खरीद की है या फिर मकान बनाने के लिए जमीन खरीदी और फिर मकान बनाया, तो इसके लिए बैंक में प्राप्त रकम जमा रखना जरूरी नहीं है. इसके साथ ही, आपको आयकर विभाग की ओर से पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन्स) पर […]

नयी दिल्ली : अगर आपने अपना घर बेचकर उसी पूंजी से दूसरे मकान की खरीद की है या फिर मकान बनाने के लिए जमीन खरीदी और फिर मकान बनाया, तो इसके लिए बैंक में प्राप्त रकम जमा रखना जरूरी नहीं है. इसके साथ ही, आपको आयकर विभाग की ओर से पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन्स) पर छूट भी मिल सकती है.

आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) की दिल्ली पीठ ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति ने घर बेचकर तय समय में रिहायशी मकान खरीदा या बनवाया है, तो वह सिर्फ इस आधार पर पूंजीगत लाभ में छूट पाने से वंचित नहीं किया जा सकता कि उसने खरीद या निर्माण से पहले बचा हुआ पैसा बैंक या दीर्घावधि पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) को खाते में नहीं रखा. न्यायाधिकरण ने यह साफ कर दिया है कि धारा54एफ (1) के तहत छूट के लिए जमा की शर्त सिर्फ यह देखने के लिए है कि कहीं नकदी जमाखोरी या रकम का गलत इस्तेमाल तो नहीं किया गया.

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हिंदी के अखबार नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के अनुसार, पेश मामले में असेसी ने 2011 में गाजियाबाद में अपना मकान बेचा. उस पर सितंबर, 2012 में दाखिल रिटर्न में उन्होंने 1.02 करोड़ रुपये का दीर्घावधि पूंजीगत लाभ दिखाया. हालांकि, मकान की बिक्री की तारीख से पहले मिली 46.75 लाख रुपये की अग्रिम राशि से उन्होंने गुड़गांव में घर बनाने के मकसद से एक प्लॉट खरीदा. पूरी रकम खर्च करने के बाद उन्होंने गुड़गांव के उस प्लॉट पर जुलाई, 2014 तक रिहायशी मकान बना लिया.

खबर के अनुसार, मूल्यांकन वर्ष 2012-13 में आकलन करने वाले अधिकारी ने 46.75 लाख रुपये का पूंजीगत लाभ में मिलने वाली छूट को खारिज करते हुए इसे करयुक्त आमदनी करार दिया. आकलन अधिकारी ने धारा 54एफ (1), (4) और धारा 139(1) के तहत दलील दी कि असेसी ने इस्तेमाल नहीं की गयी रकम रिटर्न भरने की तारीख से पहले सरकारी बैंक या केंद्रीय जमा योजना में जमा नहीं करायी. असेसी ने इसे आयुक्त (अपील) के सामने चुनौती दी, लेकिन वहां भी दावा खारिज होने के बाद उसने अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील की.

न्यायाधिकरण में विभाग की ओर से हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया गया, जिसमें बिक्री से प्राप्त रकम, अतिरिक्त रकम या इस्तेमाल से बची हुई रकम के बैंक जमाओं पर जोर दिया गया था. असेसी का कहना था कि बिक्री से प्राप्त अग्रिम राशि की पूरी रकम प्लॉट की खरीद में खर्च हुई थी और तीन साल के भीतर मकान पूरा होने का प्रमाणपत्र भी मिल गया था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधिकरण ने माना कि असेसी का इरादा घर में नकदी रखना नहीं था और सेक्शन 54एफ के तहत खाते में जमा की शर्त छूट की अनिवार्य शर्त नहीं है.

न्यायाधिकरण ने कहा कि चूंकि, असेसी ने तीन साल की समय सीमा में बिक्री की रकम से घर बनवा लिया है. ऐसे में, वह छूट से वंचित नहीं किया जा सकता. सेक्शन 54 के तहत बिक्री या हस्तांतरण की तारीख से एक साल पहले या दो साल बाद तक घर खरीदने पर पूंजीगत लाभ में छूट मिलती है. घर बनवाने के मामले में यह समय सीमा तीन साल तक है. इसकी शर्तों में यह भी जोड़ा गया है कि खरीद या निवेश से बची हुई रकम रिटर्न भरने की तारीख से पहले किसी सरकारी बैंक या निर्धारित स्कीम में जमा करानी होगी.

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