रांची : काफी जद्दोजहद, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप, उलझन-असमंजस और तकनीकी दिक्कतों के बीच आज से करीब दो साल पहले एक जुलाई, 2017 को ‘वन नेशन, वन टैक्स’ के सिद्धांत पर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा टैक्स) प्रणाली को बड़े ही धूमधाम के साथ लागू किया गया था. आज इस प्रणाली के लागू होने के दो साल पूरे होने पर सरकार की ओर से भव्य कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी की जा चुकी है. इस बीच, हमें यह जानना बेहद जरूरी है कि इस टैक्स प्रणाली के लागू होने के बाद से देश के आम अवाम को कितना फायदा हुआ. आइये, चार बिंदुओं के जरिये जीएसटी से प्राप्त होने वाले फायदे के बारे में जानकारी हासिल करते हैं. पढ़ें यह रिपोर्ट…
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1. जीएसटी कलेक्शन में 6.52 लाख करोड़ रुपये का इजाफा
केंद्र की मोदी सरकार-I के कार्यकाल में जब एक जुलाई, 2017 को जीएसटी लागू किया गया था, तो उस समय अगस्त, 2017 से मार्च, 2018 तक कर वसूली की इस नयी प्रणाली के जरिये करीब 7.19 लाख करोड़ रुपये टैक्स के रूप में वसूल किये गये थे. इसके साथ ही, वित्त वर्ष 2018-19 में अप्रैल, 2018 से मार्च, 2019 तक करीब 11,75,830 करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन किया गया. वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान अप्रैल में 1.03 लाख करोड़ रुपये, मई में 94,016 करोड़ रुपये, जून में 95,610 करोड़ रुपये, जुलाई में 96,483 करोड़ रुपये, अगस्त में 93,960 करोड़ रुपये, सितंबर में 94,442 करोड़ रुपये, अक्टूबर में 1,00,710 करोड़ रुपये, नवंबर में 97,637 करोड़ रुपये, दिसंबर में 94,725 करोड़ रुपये, जनवरी, 2019 में 1.02 लाख करोड़ रुपये और फरवरी, 2019 में 97,247 करोड़ रुपये और आखिरी महीने मार्च, 2019 में रिकॉर्ड 1.06 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन किया गया. जीएसटी कलेक्शन में लगातार हो रही बढ़ोतरी, संसाधनों और नीतियों में लगातार हो रहे सुधार की वजह से सरकार ने नये वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीएसटी कलेक्शन इजाफा करते हुए 13.71 लाख करोड़ रुपये संग्रह का लक्ष्य निर्धारित किया.
2. जीएसटी परिषदों की विभिन्न बैठकों में 23 आइटम्स और 53 सेवाओं की दरों में की गयी कटौती
देश में जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद विभिन्न आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स निर्धारण और उनकी दरों को तय करने में सरकार और जीएसटी परिषद के सदस्यों को काफी माथा-पच्ची करनी पड़ी. परिषद की ओर से आयोजित करीब-करीब दो दर्जन से अधिक बार बैठक आयोजन किये जाने के बाद आखिर में 29 आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं में जीएसटी दरों को कम किया गया है. हालांकि, जीएसटी के तहत अन्य आवश्यक वस्तुओं को जोड़ने और उस पर टैक्स निर्धारण के साथ ही दरों में कटौती की प्रक्रिया अब भी बदस्तूर जारी है.
इन वस्तुओं पर से घटायी गयी जीएसटी की दरें
इन वस्तुओं पर 28 फीसदी से 18 फीसदी जीएसटी
- सार्वजनिक परिवहन की बायोफ्यूल से चलने वाली बसें
- पुरानी एसयूवी
- बड़ी कारें और मीडियम कारें
इन वस्तुओं पर 28 फीसदी से घटकर 12 फीसदी जीएसटी
- एसयूवी, मध्यम और बड़ी कारों को छोड़कर अन्य वाहन
इन वस्तुओं पर 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी जीएसटी
- सुगर बॉइल्ड कन्फेक्शरी
- 20 लीटर की बोतल में पेयजल
- खाद में इस्तेमाल होने वाला फॉस्फोरिक एसिड
- बॉयोडीजल
- बॉयो पेस्टीसाइड्स
- डिप इरीगेशन सिस्टम
- स्प्रिंकलर्स
- मेकेनिकल स्प्रेयर्स
- बांस की सीढ़ी
इन वस्तुओं पर जीएसटी 18 फीसदी से घटकर 5 फीसदी
- मेहंदी के कोन
- इमली का पाउडर
- निजी एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स द्वारा घरों में आपूर्ति की जाने वाली एलपीजी
- सैटेलाइट्स और लांच व्हीकल में इस्तेमाल होने वाले वैज्ञानिक और
- तकनीकी उपकरण
इन वस्तुओं पर 12 फीसदी से 5 फीसदी हुई जीएसटी
- स्ट्रॉ से बनी चीजें
- वैल्वेट फेब्रिक
इन पर 3 फीसदी से घटकर 0.25 फीसदी जीएसटी दरें
- हीरे और कीमती पत्थर
इन वस्तुओं से हटाया गया टैक्स
- भभूत
- हियरिंग एड यानी सुनने की मशीनों में इस्तेमाल होने वाले पुर्जे
- एसेसरीज
- डीऑइल्ड राइस ब्रान
इन पर 12 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी हुईं जीएसटी दरें
- सिगरेट फिल्टर रोड्स
इस पर 0 फीसदी से बढ़कर 5 फीसदी हुई जीएसटी
- राइस ब्रान (डीऑइल्ड राइस ब्रान के अलावा)
इन सेवाओं से हटाया गया टैक्स
- आरटीआइ के तहत सूचना मुहैया करने की सेवा पर
- सरकार या स्थानीय निकाय द्वारा दी जाने वाली विधिक सेवाएं
- भारत से बाहर विमान या समुद्र के रास्ते सामान भेजने पर
- विद्यार्थियों, फैकल्टी और स्टॉफ को ले जाने के लिए माध्यमिक स्तर तक शैक्षिक संस्थानों को परिवहन सेवाएं
इन वस्तुओं पर जीएसटी 18 फीसदी से 5 फीसदी
- टेलरिंग सेवाएं
- पेट्रोल व एटीएफ जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की ढुलाई पर इनपुट क्रेडिट के बगैर
- लैदरगुड्स के जॉब वर्क
इन वस्तुओं पर जीएसटी 28 फीसदी से 18 फीसदी
- थीम पार्क, वाटर पार्क, जॉय राइड
इन वस्तुओं पर जीएसटी 18 फीसदी से 12 फीसदी
- मेट्रो रेल परियोजनाओं के कंस्ट्रक्शन
- डीजल
- पेट्रोल व एटीएफ जैसे पेट्रोलियम उत्पादों की ढुलाई पर इनपुट क्रेडिट के साथ
- कॉमन एफ्ल्यूएंट ट्रीटमेंट प्लांट
3. एक अप्रैल, 2018 को सरकार ने लागू किया ई-वे बिल प्रणाली
एक जुलाई, 2017 को देश में जीएसटी लागू किये जाने के करीब नौ महीने बाद सरकार ने राज्यों में वस्तुओं की आपूर्ति करने और उनका दस्तावेज तैयार करने के लिए एक अप्रैल, 2018 से ई-वे बिल प्रणाली को लागू किया. हालांकि, इस नयी व्यवस्था को लेकर कई सवाल भी उठाये गये, लेकिन सरकार ने तमाम सवालों का जवाब देते हुए इस नयी प्रणाली में सुधार किया.
दरअसल, ई-वे बिल एक दस्तावेज है. इसे उन लोगों को हासिल करने की जरूरत है, जो 50 हजार रुपये से ज्यादा की कीमत की वस्तु ट्रांसपोर्टर के जरिये सप्लाई कर रहे हैं. वैसे तो यह एक राज्य से दूसरे राज्य में इस कीमत की वस्तु व सामान को ट्रांसपोर्ट करने के लिए जरूरी है, लेकिन कुछ राज्यों में अंतरराज्यीय ट्रांसपोर्ट के लिए भी यह अनिवार्य होगा. हालांकि, 50 हजार रुपये से ज्यादा के सामान के अंतरराज्यीय ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था धीरे-धीरे लागू की गयी.
कैसे हासिल किये जाते हैं ई-वे बिल : ई-वे बिल हासिल करने के लिए ewaybillgst.gov.in पर जाना जरूरी है. अगर कोई रजिस्टर्ड कारोबारी है और वह 50 हजार रुपये से ज्यादा का सामान कहीं भेज रहा है, तो उसे साइट पर पहुंचकर Part A का EWB-01 फॉर्म भरना होगा. वस्तु सप्लाई करने से पहले उसको ई-वे बिल प्राप्त करना जरूरी है. अगर सामान भेजने वाला कारोबारी रजिस्टर्ड नहीं है और सप्लाई प्राप्त करने वाला कारोबारी रजिस्टर्ड है, तो उसे Part A का EWB-01 फॉर्म भरना होगा.
इसके साथ ही, अगर कोई ट्रांसपोर्टर रजिस्टर्ड नहीं है, तो वह जीएसटी के कॉमन पोर्टल पर खुद को एनरॉल कर सकता है और अपने क्लाइंट के लिए ई-वे बिल जनरेट कर सकता है. सरकार के मुताबिक, कोई भी शख्स, जो अपने सामान और वस्तु को ट्रांसपोर्ट कर रहा है, वह भी जीएसटी कॉमन पोर्टल पर पहुंचकर खुद को एनरॉल कर ई-वे बिल जनरेट कर सकता है.
4. जीएसटी दायरे से अब भी बाहर हैं पेट्रोलियम पदार्थ
सरकार की ओर से वस्तु और सेवाओं पर दरों को निर्धारित करने के लिए गठित जीएसटी परिषद ने देशे के आम उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचाने के लिए विभिन्न आवश्यक और जीवनोपयोगी वस्तुओं और सेवाओं पर दरों को निर्धारित तो किया, लेकिन उसने पेट्रोल-डीजल और विमान ईंधन एटीएफ समेत तमाम पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे से बाहर ही रखा है. हालांकि, तत्कालीन वित्त सचिव हसमुख अधिया ने कहा था कि पेट्रोल और डीजल समेत सभी पेट्रोलियम उत्पाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में आ सकते हैं और जीएसटी परिषद इस पर विचार भी करेगी, लेकिन इस काम को कई चरण में पूरा किया जायेगा. इसके लिए देश के लोगों को इंतजार करना पड़ेगा.
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