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SBI Ecowrap : केंद्र, राज्यों को श्रम कानूनों में सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत

नयी दिल्ली : केंद्र और राज्य सरकारों को रोजगार सृजन और निवेश आकर्षित करने के लिए श्रम कानूनों में सुधारों को आगे बढ़ाना जरूरी है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की बृहस्पतिवार को जारी शोध रपट ‘इकोरैप’ में यह जानकारी सामने आयी है. रपट में कहा गया है कि श्रम कानून में सुधारों को लेकर अब […]

नयी दिल्ली : केंद्र और राज्य सरकारों को रोजगार सृजन और निवेश आकर्षित करने के लिए श्रम कानूनों में सुधारों को आगे बढ़ाना जरूरी है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की बृहस्पतिवार को जारी शोध रपट ‘इकोरैप’ में यह जानकारी सामने आयी है.

रपट में कहा गया है कि श्रम कानून में सुधारों को लेकर अब तक जो भी पहल हुई हैं, वह ‘नगण्य’ हैं. बड़े कार्यबल की मौजूदगी वाली भारत जैसी अर्थव्यवस्था में यह महत्वपूर्ण है कि रोजगार और रोजगार की काबिलियत में सुधार लाया जाये.

श्रम क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को व्यवस्थित किया जाये साथ ही अर्थव्यवस्था में उपलब्ध श्रमबल के लिए पर्याप्त अवसर विकसित किये जाने चाहिए. देश के भीतर वर्तमान में केंद्र के 44 और राज्यों के 100 से अधिक श्रम कानून हैं.

श्रम मंत्रालय ने मौजूदा केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिताओं में वर्गीकृत करने के लिए कदम उठाए हैं. यह पारिश्रमिक, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण और कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं काम करने के हालात पर वर्गीकृत की गयीं श्रम संहिताएं हैं.

रपट में कहा गया है कि इसमें से एक पारिश्रमिक पर बनी श्रम संहिता को अगस्त 2017 में लोकसभा पटल पर रखा गया. अन्य तीन संहिताएं अभी कानून बनने से पहले की जाने वाली चर्चा के चरण में हैं और इन्हें जल्द ही पूरा करना चाहिए.

रपट के अनुसार, इसके अलावा घरेलू सहायकों के लिए अलग से एक राष्ट्रीय नीति जल्द से जल्द लाने की जरूरत है जिससे कि उनके अधिकारों को मान्यता मिल सके और उनके कामकाज की स्थिति में बेहतरी लायी जा सके.

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