लॉस एंजिलिस : कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन से भारतीय अर्थव्यवस्था को हर साल 210 अरब डॉलर का नुकसान होता है. एक वैश्विक शोध में यह बात सामने आयी है. इसमें बताया गया है कि अमेरिका के बाद जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान भारत को ही झेलना पड़ा है और इसमें आर्थिक और सामाजिक (स्वास्थ्य इत्यादि संबंधी) नुकसान शामिल है.
पिछले शोध में सारा ध्यान इस बात पर था कि जीवाश्म ईंधन आधारित अर्थव्यवस्थाओं से अमीर देशों को किस तरह लाभ पहुंचा जबकि इसका नुकसान विकासशील देशों को उठाना पड़ा है.
हालांकि कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने पाया कि जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाले देशों में अमेरिका शीर्ष पर है, जबकि इनके बाद क्रमश: भारत और सऊदी अरब हैं.
विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और इस रपट की सह-लेखक कैथरीन रिकी ने कहा, आर्थिक नुकसान का मॉडल संकेत देता है कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा, भारत की आर्थिक वृद्धि धीमी होगी.
शोधकर्ताओं ने कार्बन उत्सर्जन की सामाजिक लागत (कार्बन उत्सर्जन से लोगों के स्वास्थ्य एवं अन्य पर पड़ने वाला असर) का अनुमान लगाया है और भारत में प्रति टन कार्बन उत्सर्जन की सामाजिक लागत 86 डॉलर है.
मौजूदा उत्सर्जन स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था को 210 अरब डॉलर वार्षिक का नुकसान उठाना पड़ रहा है. यह रपट नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशित हुई है.
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