अहमदाबाद : भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम) ने 52 करोड़ रुपये का जीएसटी नोटिस के मामले को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के समक्ष रखा है. संस्थान ने मंत्रालय से मामले को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाने और इसके समाधान का आग्रह किया है. आईआईएम-अहमदाबाद का कहना है कि अगर ऐसा नहीं होता है, तो उसके वित्त पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. कर मांग उस ट्यूशन शुल्क से जुड़ा है, जो संस्थान ने 2009 से 2015 के बीच अपने कुछ स्नात्कोत्तर छात्रों से लिया. उस समय जीएसटी लागू नहीं था, ऐसे में यह सेवा कर की मांग है.
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केंद्रीय जीएसटी (अहबदाबाद दक्षिण) के प्रधान आयुक्त ने 52 करोड़ रुपये के सेवा कर मांग करते हुए नोटिस भेजा है. यह मांग आईआईएम-अहमदाबाद के चार स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रमों के संदर्भ में की गयी है. कर मांग नोटिस के बाद संस्थान ने केंद्रीय मानव संसाधन विभाग (एचआरडी) मंत्रालय से संपर्क किया है और उनसे मामले को वित्त मंत्रालय के समक्ष उठाने का आग्रह किया है. आईआईएम-ए के निदेशक एरोल डीसूजा ने एक बयान में कहा कि हमने मामले में मानव संसाधन मंत्रालय से हस्तक्षेप का आग्रह किया है, ताकि हमारे कुछ कार्यक्रमों पर जो जीएसटी लगाया गया है, उसे हटाया जा सके.
ऐसा समझा जाता है कि मंत्रालय ने इस अनुरोध पर वित्त मंत्रालय से संपर्क साधा है. उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्रालय ने हाल ही में कहा कि आईआईएम- अहमदाबाद का प्रमुख स्नात्कोत्तर कार्यक्रम के साथ खाद्य एवं कृषि व्यापार प्रबंधन, प्रबंधन में फेलोशिप कार्यक्रम तथा कार्यकारियों के लिये एक वर्षीय प्रबंधन कार्यक्रम वित्त वर्ष 2009-10 से कर योग्य है. इस संदर्भ में जारी अधिसूचना के आधार पर नोटिस जारी किया गया है. डीसूजा ने इस बारे में मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि 52 करोड़ रुपये का कर देने से संस्थान की वित्तीय स्थिति पर फर्क पड़ेगा.
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