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जीएसटी के नाम पर मुनाफाखोरी करने वाले कारोबारियों की खैर नहीं, अथॉरिटी की रहेगी पैनी नजर

नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नाम पर मुनाफाखोरी करने वाले कारोबारियों की अब खैर नहीं है. इसका कारण यह है कि अभी हाल ही के महीनों में सरकार की आेर से देश में लागू किये गये जीएसटी के बाद मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक अथाॅरिटी का गठन […]

नयी दिल्ली : वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नाम पर मुनाफाखोरी करने वाले कारोबारियों की अब खैर नहीं है. इसका कारण यह है कि अभी हाल ही के महीनों में सरकार की आेर से देश में लागू किये गये जीएसटी के बाद मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने एक अथाॅरिटी का गठन किया है. यह अथाॅरिटी मुनाफाखोरी करने वाले कारोबारियों पर पैनी निगाह रखेगी. बताया जा रहा है कि 200 से ज्यादा वस्तुओं पर कर की दर कम करने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जीएसटी के तहत मुनाफाखोरी रोकने की पहल की है.

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केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (एंटी प्रोफिटियरिंग अथॉरिटी) के गठन को मंजूरी दी. इस प्राधिकरण के गठन के पीछे मकसद वस्तु एवं सेवाओं की घटी दरों का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना है. केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि राष्ट्रीय मुनाफारोधी प्राधिकरण देश के उपभोक्ताओं के लिए एक विश्वास है. यदि किसी ग्राहक को लगता है कि उसे घटी कर दर का लाभ नहीं मिल रहा है, तो वह प्राधिकरण में इसकी शिकायत कर सकता है.

सरकार जीएसटी के क्रियान्वयन का पूरा लाभ आम आदमी तक पहुंचाना चाहती है. मालूम हो कि हाल ही में 200 से ज्यादा वस्तुओं को 28 एवं 18 फीसदी के ऊंचे स्लैब से हटाकर उन पर कर की दरें कम की गयी हैं. अब सिर्फ 50 ऐसी वस्तुएं जीएसटी की 28 प्रतिशत के ऊंचे कर स्लैब में रह गयी हैं. एसी और नॉन एसी रेस्तरां पर कर की दर को कम कर पांच प्रतिशत कर दिया गया.

कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा की अगुआई वाली एक समिति प्राधिकरण के चेयरमैन और सदस्यों का नाम तय करेगी. इस समिति में राजस्व सचिव हसमुख अधिया, सीबीईसी के चेयरमैन वनाजा सरना और दो राज्यों के मुख्य सचिव शामिल हैं. प्राधिकरण में केंद्र सरकार के सचिव स्तर के एक अधिकारी के अलावा केंद्र/राज्यों से चार तकनीकी सदस्य भी होंगे. प्राधिकरण का कार्यकाल चेयरमैन के पद संभालने की तारीख से दो साल का होगा.

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