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सुप्रीम कोर्ट में नयी स्कीम सौंपेगी जेपी एसोसिएट्स, अदालत में 1000 करोड़ रुपये जमा कराने की मियाद पूरी

नयी दिल्ली : संकट में फंसी जेपी ग्रुप की प्रमुख कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स का अदालत में करीब 1000 करोड़ रुपये जमा कराने की मियाद शुक्रवार को पूरी हो गयी है. आज की तारीख तक अदालत में पैसा न जमा करा पाने की स्थिति में कंपनी ने अब फ्लैट खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए […]

नयी दिल्ली : संकट में फंसी जेपी ग्रुप की प्रमुख कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स का अदालत में करीब 1000 करोड़ रुपये जमा कराने की मियाद शुक्रवार को पूरी हो गयी है. आज की तारीख तक अदालत में पैसा न जमा करा पाने की स्थिति में कंपनी ने अब फ्लैट खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए अदालत को एक योजना सौंपने का फैसला किया है. कंपनी अपने फ्लैट खरीदारों के हितों की रक्षा के बारे में एक उचित योजना जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी.

इसे भी पढ़ें : जेपी इंफ्राटेक को दो हजार करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश, कोर्ट की अनुमति के बगैर एमडी के देश से बाहर जाने पर रोक

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने जयप्रकाश एसोसिएट्स को आज की तारीख तक रजिस्ट्री में 1,000 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया था, जो अब समाप्त हो चुकी है. इससे पहले कंपनी अदालत की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपये जमा करा चुकी है. यह 1,000 करोड़ रुपये इसके अतिरिक्त हैं. जेपी समूह के एक सूत्र ने कहा कि कंपनी सुप्रीम कोर्ट में एक उचित व्यवस्था सौंपने जा रही है. यह कदम फ्लैट खरीदारों के हित में निर्देश के लिए उठाया जा रहा है.

इससे पहले 16 मई को शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह राशि जमा कराने पर जयप्रकाश एसोसिएट्स की कर्ज के बोझ से दबी अनुषंगी जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड के खिलाफ परिसमापन की प्रक्रिया रुकी रहेगी. जयप्रकाश एसोसिएट्स कहती रही है कि उसे जेपी इन्फ्राटेक के पुनरुद्धार की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि इसका परिसमापन न तो ऋणदाताओं के हित में है और न ही घर के खरीदारों के हित में.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 15 जून तक कंपनी यदि यह राशि जमा नहीं करा पाती है, तो जेपी इन्फ्राटेक के खिलाफ सांविधिक प्रक्रिया शुरू की जायेगी. आवासीय परियोजनाओं में उल्लेखनीय देरी के मद्देनजर जेपी इन्फ्राटेक के फ्लैट खरीदार सुप्रीम कोर्ट की शरण में गये थे. इस याचिका में कहा गया है कि फ्लैट खरीदारों की परेशानी उस समय और बढ़ गयी, जब पिछले साल 10 अगस्त को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने आईडीबीआई बैंक की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें 526 करोड़ रुपये की ऋण चूक के लिए जेपी इन्फ्राटेक के खिलाफ दिवाला कार्रवाई शुरू करने की अपील की गयी है.

इसके बाद एनसीएलटी ने अनुज जैन को कंपनी के कारोबार के प्रबंधन के लिए अंतरिम निपटान पेशेवर नियुक्त किया. बाद में आईआरपी ने जेपी इन्फ्राटेक के अधिग्रहण के लिए इच्छुक पक्षों से बोलियां मांगी. इसमें सुधीर वालिया की अगुवाई वाली सुरक्षा एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी और मुंबई की दोस्ती रीयल्टी के संयुक्त लक्षद्वीप ने 7,350 करोड़ रुपये की बोली लगायी. हालांकि, जेपी इन्फ्राटेक के ऋणदाताओं ने लक्षद्वीप की बोली को खारिज कर दिया.

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