बीजिंग : वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच अनौपचारिक शिखर बैठक के बाद भारत ने शुक्रवार को पहली बार उसे 15 लाख टन चीनी निर्यात का मुद्दा उठाया है. इससे भारत को अपने अधिशेष चीनी भंडार को कम करने में मदद मिलेगी. चीन की 25 चीनी कंपनियों के 50 अधिकारियों ने भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक में 10 से 15 लाख टन भारतीय चीनी आयात की संभावनाओं पर चर्चा की. इससे करीब 35 करोड़ डॉलर प्राप्त हो सकते हैं.
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चीन के अधिकारियों के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक के बाद इस्मा के अध्यक्ष गौरव गोयल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत के पास इस साल 70 लाख टन अधिशेष चीनी है. अच्छी बारिश के अनुमान से अगले साल यह भंडार और बढ़ने की उम्मीद है. भारत में उत्पादित ज्यादातर चीनी की खपत देश में हो जाती है. भारत अभी तक सिर्फ पूर्वी अफ्रीका और श्रीलंका को चीनी का निर्यात करता है. अब अधिशेष भंडार होने की वजह से भारत की निगाह चीन को भी चीनी का निर्यात करने पर है.
इंडियन शुगर एक्जिम कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अविनाश शर्मा ने कहा कि चीन अभी करीब 45 लाख टन अधिशेष चीनी का आयात करता है. वह यह आयात मुख्य रूप से ब्राजील, थाइलैंड और क्यूबा से करता है. उन्होंने बताया कि यह पहला मौका है, जब भारत जोरदार तरीके से चीन को चीनी निर्यात करने का प्रयास कर रहा है. हालांकि, इससे पहले 2007 में भी भारत ने चीन को दो लाख टन चीनी का निर्यात किया था.
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