नयी दिल्ली : इंजीनियरिंग, रसायन एवं औषधि क्षेत्रों के बेहतर प्रदर्शन से निर्यात अप्रैल महीने में पिछले वर्ष के इसी महीने के मुकाबले 5.17 फीसदी बढ़कर 25.91 अरब डाॅलर रहा. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, आयात भी सालाना आधार पर 4.60 फीसदी बढ़कर 39.6 अरब डाॅलर रहा. इससे व्यापार घाटा 13.7 अरब डालर रहा, जो इससे पूर्व वर्ष के इसी महीने में 13.24 अरब डाॅलर था. वस्तु निर्यात में मार्च, 2018 में गिरावट दर्ज की गयी थी.
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जिन प्रमुख वस्तुआें के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गयी, उसमें इंजीनियरिंग में 17.63 फीसदी वृद्धि, रसायन (38.48 फीसदी), औषधि (13.56 फीसदी), धागा तथा हथकरघा उत्पाद (15.66 फीसदी) आैर प्लास्टिक तथा लिनोलीयम में 30.03 फीसदी की वृद्धि शामिल है. गैर-पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात अप्रैल 2018 में 11.73 फीसदी बढ़कर 19.8 अरब डाॅलर रहा, जो अप्रैल 2017 में 17.7 अरब डाॅलर था. आलोच्य महीने में पेट्रोलियम आयात 41.5 फीसदी बढ़कर 10.4 अरब डाॅलर रहा.
मंत्रालय ने कहा कि विश्व बैंक जिंस कीमत आंकड़े के अनुसार, वैश्विक बाजार में ब्रेंट कच्चा तेल का भाव अप्रैल 2017 के मुकाबले इस साल अप्रैल में 35.20 फीसदी ऊूंचा रहा. गैर-तेल आयात अप्रैल, 2018 के दौरान 29.21 अरब डाॅलर रहा, जो पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 4.3 फीसदी कम है. सोने का आयात भी अप्रैल में 33 फीसदी घटकर 2.58 अरब डाॅलर रहा. रिजर्व बैंक के आंकड़े के आधार पर सेवा निर्यात मार्च में 7.16 फीसदी बढ़कर 16.8 अरब डाॅलर रहा.
सेवा व्यापार का आंकड़ा एक महीने की देरी से आता है. सेवा आयात आलोच्य महीने में 1.35 फीसदी बढ़कर 10.2 अरब डाॅलर रहा. देश का सेवा क्षेत्र में व्यापार अधिशेष 6.5 अरब डाॅलर रहा. मार्च महीने में निर्यात 0.66 फीसदी घटकर 29.11 अरब डाॅलर रहा. हालांकि, पूरे वित्त वर्ष 2017-18 में निर्यात 9.78 फीसदी बढ़ा.
आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए निर्यातकों के शीर्ष निकाय फियो के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि निर्यात आंकड़ा उत्साहजनक नहीं है. उन्होंने कहा कि रत्न एवं आभूषण, चमड़ा तथा चमड़ा उत्पादों, जूट विनिर्माण, कालीन, हथकरघा, कृषि उत्पाद समेत लगभग सभी श्रम गहन क्षेत्रों में निर्यात में गिरावट दर्ज की गयी है. गुप्ता ने कहा कि कर्ज पहुंच, खासकर एमएसएमई के लिए कर्ज की लागत तथा जीएसटी वापसी के मुद्दा समेत घरेलू मामलों पर गंभीरता गौर किया जाना चाहिए, क्योंकि वैश्विक चुनौतियों तथा बढ़ते संरक्षणवाद से भी निर्यातकों की समस्याएं बढ़ रही है.
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