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दुनिया में सबसे अधिक हथियार खरीदता है अहिंसा का पुजारी भारत

नयी दिल्ली : भारत अहिंसा का पुजारी देश माना जाता है, लेकिन यह जानकर हर कोर्इ चौंक जायेगा कि अहिंसा के पुजारी देश में दुनिया का सबसे अधिक हथियार खरीदा जाता है. भारत में हथियार बनाने की तमाम योजनाओं के बावजूद आज भी भारत दुनिया का सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश बना हुआ है. […]

नयी दिल्ली : भारत अहिंसा का पुजारी देश माना जाता है, लेकिन यह जानकर हर कोर्इ चौंक जायेगा कि अहिंसा के पुजारी देश में दुनिया का सबसे अधिक हथियार खरीदा जाता है. भारत में हथियार बनाने की तमाम योजनाओं के बावजूद आज भी भारत दुनिया का सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश बना हुआ है. हाल ही में ‘इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की आेर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2013-17 के बीच में दुनिया भर में आयात किये गये हथियारों में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी है.

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सोमवार को स्टॉकहोम की थिंक टैंक इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने दुनिया भर के देशों में आयात किये गये हथियारों पर एक रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश बना हुआ है. भारत के बाद सउदी अरब, मिस्र, यूएई, चीन, ऑस्ट्रेलिया, अल्जीरिया, इराक, पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देशों ने भारी मात्रा में हथियार बाहर से खरीदा है. भारत ने 2013-17 के बीच में सबसे ज्यादा हथियार रूस से खरीदे हैं. कुल खरीदे गये हथियारों में रूस की हिस्सेदारी 62 फीसदी है. वहीं, अमेरिका से 15 फीसदी और इजराइल से 11 फीसदी हथियार खरीदे गये हैं.

रूस और इजराइल से हथियार लेने में भारत पहले नंबर पर है. वहीं, भारत ने एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका के साथ अपने कूटनीतिक रिश्ते बेहतर करने शुरू कर दिये हैं. इस दिशा में पहल करते हुए भारत ने अमेरिका से 2013-17 के बीच में 15 बिलियन डॉलर(97000 करोड़ से ज्यादा) के हथियार खरीदे हैं, जो साल 2008-12 के मुकाबले 557 फीसदी ज्यादा है.वहीं, चीन अपना धमक जमाते हुए दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हथियार विक्रेता बना हुआ है.

हालांकि, इस मामले पहले नंबर पर अमेरिका है. उसके बाद रूस, फ्रांस और जर्मनी हैं. भारत अभी भी अपनी रक्षा जरूरतों को पूरी करने के लिए 65 फीसदी रक्षा सामान बाहर से खरीदता है. 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने देश में ही हथियार बनाने के कई वादे किये थे, लेकिन धरातल पर इसका कोई प्रभाव पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है. आज भी हथियारों के मामले में भारत विदेशों पर निर्भर है.

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