नयी दिल्ली : उद्योग संगठनों ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से कॉरपोरेट कर की दर घटाने की मांग की है. वित्त मंत्री के साथ बुधवार को बजट पूर्व बैठक में उन्होंने नये निवेश को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहनों की भी मांग की. इसके साथ ही, निर्यातकों ने जीएसटी का रिफंड जल्द किये जाने पर जोर दिया. उद्योग मंडलों ने वित्त मंत्री से कॉरपोरेट कर की दर को मौजूदा के 30 फीसदी से घटाकर 18 से 25 फीसदी के दायरे में लाने की बात उठायी. वहीं, निर्यातकों ने बैठक में निर्यात आय पर कर से छूट, विदेशी मुद्रा आमदनी पर कम दर तथा जीएसटी रिफंड का काम तेजी से किये जाने की मांग की.
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फिक्की अध्यक्ष पंकज पटेल ने कहा कि वित्त मंत्री ने काफी समय पहले कॉरपोरेट कर की दर को 25 फीसदी पर लाने का वादा किया था. हमें उम्मीद है कि इस बजट में वह अपने वादे को पूरा करेंगे. वित्त मंत्री एक फरवरी को वित्त वर्ष 2018-19 का बजट पेश करेंगे. एक जुलाई को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद यह पहला पूर्ण राजकोषीय बजट होगा. यह 2019 के आम चुनाव से पहले मौजूदा सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा. वर्ष 2019 में चुनावी वर्ष में परंपरागत लेखानुदान पेश किया जायेगा.
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआर्इआर्इ) की अध्यक्ष शोभना कामिनेनी ने कहा कि हमने कॉरपोरेट कर की दर को घटाने की मांग की है. दुनिया भर में कॉरपोरेट कर की दर घटायी जा रही है. भारत में यह दर सबसे अधिक दरों में से एक है. हमें निजी निवेश के लिए अधिक मांग और क्षमता बढ़ाने की जरूरत है. आज जीएसटी की वजह से कर दरें बढ़ गयी हैं. सीआईआई ने यह भी सुझाव दिया कि कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 18 फीसदी पर लाने के लिए रूपरेखा तय की जानी चाहिए.
इंजीनियरिंग निर्यात संवर्द्धन परिषद (र्इर्इपीसी) के पूर्व चेयरमैन पीके शाह ने कहा कि जीएसटी के क्रियान्वयन और रिफंड में देरी चिंता का विषय है. हमने सुझाव दिया है कि ड्रॉबैक के साथ वह आईजीएसटी रिफंड दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका में निर्यात आय के लिए कर की दर भिन्न है. हमने निर्यात आय पर कर की दर सामान्य कॉरपोरेट कर की दरों से कम करने की मांग की है.
एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जाजोदिया ने कहा कि हमने विकसित और औद्योगिक देशों की तरह यहां भी कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 25 फीसदी पर लाने की मांग की है. इससे निवेश आकर्षित किया जा सकेगा और रोजगार पैदा होगा. लाभांश वितरण कर को भी कम किया जाना चाहिए. यह कर इस समय 20 प्रतिशत के आसपास है.
उन्होंने कहा कि हमने सरकार से आग्रह किया है कि निर्यात क्षेत्र की उन इकाइयों को जो अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराते हैं, उन्हें वित्तीय समर्थन मिलना चाहिए. निर्यातकों के संगठन फियो ने कहा है कि प्रोत्साहन निर्यात वृद्धि और रोजगार वृद्धि के दोहरे मापदंड के आधार पर मिलना चाहिए. इससे निर्यात बढ़ने के साथ साथ रोजगार भी बढ़ेगा.
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