नयी दिल्ली : माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था को सरल एवं सुगम बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित सलाहकार समूह का देश के असंगठित क्षेत्र के खुदरा व्यापारियों के शीर्ष संगठन कैट ने स्वागत किया है और उसने वैट के समय की तरह जीएसटी परिषद में भी व्यापारियों को प्रतिनिधित्व दिए जाने का सरकार से आग्रह किया है. यह समिति जीएसटी कानून एवं उसके नियमों में बदलाव के संबंध में जीएसटी परिषद की कानून समीक्षा समिति को अपनी सिफारिशें देगी.
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) कैट के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि जीएसटी कानून को लेकर आपसी सहमति बनाने की दिशा में सरकार का यह पहला ठोस कदम है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि जीएसटी परिषद में व्यापारियों को प्रतिनिधित्व दिया जाए जैसा वैट के समय वित्त मंत्रियों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष एवं व्यापारी प्रतिनिधियों की संयुक्त समिति बनी थी.
उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद इस नई कर व्यवस्था का अधिकार सम्पन्न मुख्य निकाय है और इसकी व्यवस्था जीएसटी संविधान संशोधन के तहत की गयी है जिसमें केंद्र और राज्यों तथा केंद्र शासित क्षेत्रों के प्रतिनिधि हैं. केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के पूर्व मुख्य आयुक्त गौतम रे जीएसटी पर सलाहकार समूह के संयोजक हैं और खंडेलवाल को भी इसका सदस्य बनाया गया है. सेंटर फोर लीगल पॉलिसी के शोध निदेशक अर्घ्यसेन गुप्ता, चार्टर्ड अकाउंटेंट विनोद जैन, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स ऑर्गेनाइजेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय सहाय एवं लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष ओम प्रकाश मित्तल भी इसमें शामिल हैं.
खंडेलवाल ने बताया कि समिति की पहली बैठक आठ नवंबर को होगी जिसमें जीएसटी कानून एवं नियमों के हर पहलू पर गम्भीरतापूर्वक चर्चा होगी. प्रस्तावित बदलावों की सिफारिशें कानून समिति को 30 नवम्बर तक सौंपी जाएंगी और आवश्यक होने पर कानून कमेटी के साथ बैठक भी की जाएगी.
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