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Thursday, March 28, 2024

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आखिर 4 सितंबर को ही बाजार में क्यों आयेगी आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की किताब…?

नयी दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की किताब 4 सितंबर को बाजार में पाठकों के लिए उतार दी जायेगी. इस बीच सवाल यह भी पैदा होता है कि आखिर 4 सितंबर को ही राजन की किताब बाजार में क्यों उतारी जायेगी? हालांकि, मीडिया में आ रही खबरों में इस बात का […]

नयी दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की किताब 4 सितंबर को बाजार में पाठकों के लिए उतार दी जायेगी. इस बीच सवाल यह भी पैदा होता है कि आखिर 4 सितंबर को ही राजन की किताब बाजार में क्यों उतारी जायेगी? हालांकि, मीडिया में आ रही खबरों में इस बात का जिक्र जोरों से किया जा रहा है कि रिजर्व बैंक के पूर्व और चर्चित गवर्नर रघुराम राजन के आलेखों और भाषणों पर आधारित किताब अगले महीने की चार तारीख बाजार में आयेगी, लेकिन चार सितंबर और रघुराम राजन का कनेक्शन क्या है.

इसे भी पढ़ें: रघुराम राजन को सर्वश्रेष्ठ गवर्नर का पुरस्कार

दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव के रिटायर होने के बाद रघुराम राजन केंद्रीय बैंक के 23वें गवर्नर के रूप में 4 सितंबर, 2013 को पदभार ग्रहण किया था. इतना ही नहीं, पिछले साल यानी 2016 में जब उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने उन्हें कार्य विस्तार नहीं दिया, तो 4 सितंबर को ही उनका कार्यकाल समाप्त भी हुआ था.

इसी 4 सितंबर को रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर उर्जित पटेल को केंद्रीय बैंक के प्रमुख के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. उर्जित पटेल ने 4 सितंबर को ही अपना पदभार ग्रहण किया. हालांकि, इस तारीख को दिन रविवार था, फिर भी उन्होंने बिना किसी तामझाम के ही पदभार ग्रहण किया था. आरबीआई ने इसे एक दिन बाद एक बयान के जरिये इसकी सार्वजनिक घोषणा की थी.

रघुराम राजन को जानने वालों के बीच इस बात की चर्चा जोरों पर है कि चूंकि राजन ने 4 सितंबर, 2013 को रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में काम की शुरुआत की थी और उनका कार्यकाल भी इसी तारीख को समाप्त हुआ था, इसीलिए उनकी किताब 4 सितंबर को बाजार में उतारी जा रही है.

बताया यह भी जा रहा है कि प्रकाशन संस्थान हार्परकोलिंस इंडिया द्वारा प्रकाशित यह किताब ‘आई डू वॉट आई डू: ऑन रिफार्म, रेटोरिक एंड रिसोल्व’ चार सितंबर को बिक्री के लिए उपलब्ध होगी. किताब में रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में राजन के आलेखों तथा भाषणों को शामिल किया गया है. अपनी इस किताब में राजन ने सहिष्णुता तथा राजनीतिक आजादी तथा संपन्नता के बीच संबंध जैसे मुद्दों पर बात बात की है.

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