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Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में आसमान भी अब जमीन की राजनीति का बड़ा मैदान बन गया है. कभी चुनावी प्रचार साइकिल, बैलगाड़ी और पैदल यात्राओं पर टिका रहता था. आज वही प्रचार हेलिकॉप्टरों की तेजी, रफ्तार और शोर में बदल चुका है. हर दिन 23 हेलिकॉप्टर बिहार की हवा चीरते हुए उम्मीदवारों और स्टार प्रचारकों को एक जिले से दूसरे जिले तक पहुंचा रहे हैं. खर्च ऐसा कि किसी बड़े कॉर्पोरेट इवेंट को भी मात दे दे.
रोज 2.5 करोड़ की उड़ान
चुनाव आयोग और विमानन एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टियां हर दिन लगभग 2.5 करोड़ रुपए सिर्फ हेलिकॉप्टरों पर खर्च कर रही हैं. 16 अक्टूबर से 7 नवंबर के बीच यह खर्च 42 करोड़ रुपए के पार पहुंच चुका है. इसमें हेलिकॉप्टर किराया, टैक्स और चालक दल की व्यवस्थाएं शामिल हैं. किराया प्रति उड़ान दिन के हिसाब से तय होता है, जो लगभग 10 से 11 लाख रुपए प्रति हेलिकॉप्टर है.
भाजपा सबसे आगे, रोज खर्च कर रही 1.5 करोड़
इस चुनावी आसमान में सबसे अधिक उड़ानें भाजपा के हिस्से में जा रही हैं. भाजपा ने 12 हेलिकॉप्टर किराये पर लिए हैं और रोजाना करीब 1.5 करोड़ रुपए सिर्फ इन पर खर्च कर रही है. भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची देश की सबसे लंबी लिस्टों में से एक है. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा और शिवराज सिंह चौहान तक दर्जनों बड़े चेहरे बिहार के आसमान से सीधे मैदान में उतर रहे हैं. भाजपा की रणनीति साफ है- अधिकतम रैलियां, कम से कम समय में अधिक जिलों तक पहुंच.
Bihar Elections 2025 में एनडीए ने लिए कुल 14 हेलिकॉप्टर
एनडीए गठबंधन इस मामले में पूरे चुनाव में सबसे आगे है. कुल 14 हेलिकॉप्टरों में से 12 भाजपा के पास हैं, जबकि जदयू ने 2 हेलिकॉप्टर किराये पर लिए हैं. नीतीश कुमार के हेलिकॉप्टर की खासियत यह है कि चढ़ना-उतरना आसान होने के कारण उनकी यात्रा बेहद सुगम रहती है. ललन सिंह और अन्य बड़े नेता भी इन्हीं हेलिकॉप्टरों से चुनावी उड़ानें भरते हैं.
तेजस्वी का ‘फास्ट फ्लाइंग मोड’
राजद ने भी दो हेलिकॉप्टर किराये पर लिए हैं. इनमें एक तेजस्वी यादव के लिए आरक्षित रहता है. तेजस्वी एक दिन में 10 से 12 सभाएं कर रहे हैं, और उनकी तेज़ी ने एनडीए की योजनाओं की रफ्तार को चुनौती दी है. राजद के दूसरे हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल पार्टी के वरिष्ठ नेता और स्टार प्रचारक करते हैं. तेजस्वी के हेलिकॉप्टर की रफ्तार और उनकी सभाओं की तादाद ने उन्हें इस बार चुनावी हवा का सबसे तेज यात्री बना दिया है.
तेज प्रताप भी पीछे नहीं
जनशक्ति जनता दल के नेता तेज प्रताप यादव ने भी हेलिकॉप्टर का इंतजाम किया है. वे भी आसमान के रास्ते गांव-गांव पहुंच रहे हैं. यह पहली बार है जब तेज प्रताप अपने स्तर पर स्वतंत्र उड़ानें भर रहे हैं और अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
पटना एयरपोर्ट बना हाई-प्रोफाइल हब
पटना एयरपोर्ट इन दिनों केवल विमान उतरने का स्थान नहीं, बल्कि पूरे चुनाव का नियंत्रण केंद्र बना हुआ है. रोज 4 से 5 चार्टर्ड प्लेन बड़े नेताओं को लेकर आते हैं. वहां से सीधे अलग-अलग हेलिकॉप्टर नेताओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाते हैं. एक तरह से देखिए तो बिहार में चुनाव अभियान अब हवा में चलता है, धरती पर उतरकर बस भाषण देना बाकी है.
हेलिकॉप्टर राजनीति का इतिहास भी दिलचस्प
आज हेलिकॉप्टर चुनावी अभियान का सामान्य हिस्सा बन चुके हैं, लेकिन बिहार में इसका इतिहास पुराने पन्नों में छिपा है. 1957 में जब दूसरी बार विधानसभा चुनाव हुआ था, तब रामगढ़ के राजा कामाख्या नारायण सिंह ने पहली बार प्रचार के लिए दो हेलिकॉप्टर रूस से मंगवाए थे. उनकी स्वतंत्र पार्टी का प्रचार उस वक्त पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन गया था.
कांग्रेस उस समय तक सिर्फ नेहरू ही हवाई यात्रा करते थे. बाकी कोई राजनेता नहीं करता था. बाद में मध्यप्रदेश के राजा चंद्रचूड़ प्रसाद सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार केबी सहाय के लिए दो सीटों वाला विमान भेजा, लेकिन तकनीकी खराबी ने योजना बिगाड़ दी. यानी बिहार में चुनाव प्रचार ने बैलगाड़ी, साइकिल और पैदल यात्रा से शुरू होकर अब करोड़ों की हवाई दौड़ तक का सफर तय कर लिया है.

