NDA Seat Sharing: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए गठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग पर गहमागहमी शुरू हो गई है. लोजपा (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान अपने भरोसेमंद नेताओं को उनकी पसंद की सीट दिलवाने की कोशिश में लगे है. इसमे दिक्कत यह आ रही है कि जिन सीटों पर लोजपा (रा) की नजर है, वहां पहले से ही NDA के सहयोगी दलों का दावा मजबूत है. ऐसे में इन नेताओं को टिकट दिलवाने के लिए एनडीए के अन्य दलों को अपनी दावेदारी छोड़नी होगी.
किन सीटों पर दावेदारी ठोक रहे चिराग
गोविंदगंज
लोजपा (रा) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी के लिए चिराग पासवान गोविंदगंज सीट की मांग कर रहे हैं. 2020 में भी वे यहीं से चुनाव लड़े थे, लेकिन तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्हें करीब 31461 वोट मिले थे. उस चुनाव में बीजेपी के सुनील कुमार मणि ने कांग्रेस के ब्रजेश पांडे को हराया था. अगर इस बार लोजपा (रा) को यह सीट दी जाती है तो बीजेपी को अपने मौजूदा विधायक की टिकट काटनी होगी. यही सबसे बड़ा पेच है.
ब्रह्मपुर
दूसरी महत्वपूर्ण सीट है ब्रह्मपुर. यहां से चिराग पार्टी के वरिष्ठ नेता हुलास पांडेय को उतारना चाहते हैं. पिछली बार यानी 2020 में वे यहां से चुनाव लड़े थे, लेकिन राजद उम्मीदवार शंभू यादव से हार गए थे. शंभू यादव को 90176 वोट मिले थे जबकि हुलास पांडेय को 39035 वोट मिले थे. तब एनडीए ने यहां वीआईपी पार्टी को उतारा था, जो तीसरे नंबर पर रही थी.
अतरी
चिराग पासवान की नजर अतरी विधानसभा पर भी है. यहां से वे पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अरविंद सिंह को मैदान में उतारना चाहते हैं. 2020 में इस सीट पर राजद के अजय यादव ने जीत हासिल की थी. जदयू की मनोरमा देवी दूसरे नंबर पर और अरविंद सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे. अरविंद सिंह को 25873 वोट मिले थे. अगर जदयू इस बार यह सीट छोड़ती है तभी अरविंद सिंह को मौका मिल पाएगा.
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महुआ
महुआ विधानसभा से लोजपा (रा) के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह चुनाव लड़ना चाहते हैं. 2020 में यहां से राजद के मुकेश रौशन जीते थे. जदयू की आसमा परवीन दूसरे स्थान पर रहीं थी. 25198 वोट के साथ संजय सिंह को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था. महुआ सीट अभी जदयू के खाते में है, इसलिए यह तभी लोजपा को मिलेगी जब जदयू अपने दावे से पीछे हटेगी.
सिमरी बख्तियारपुर
चिराग पासवान सिमरी बख्तियारपुर सीट भी चाहते हैं. यहां से 2020 में संजय कुमार सिंह ने लोजपा की ओर से चुनाव लड़ा था और तीसरे स्थान पर रहे थे. उस वक्त राजद के यूसुफ सलाउद्दीन ने वीआईपी चीफ मुकेश सहनी को हराया था. अगर यह सीट इस बार एनडीए के हिस्से में आती है और लोजपा को मिलती है, तो संजय सिंह को एक और मौका मिल सकता है.
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